अामतौर पर फिल्मों को यू, यू/ए अौर ए सर्टिफिकेट दिया जाता है। ए सर्टिफिकेट उन फिल्मों को दिया जाता है, जिन्हें केवल एडल्ट ही देख सकते हैं । अामतौर पर ऐसी फिल्मों में हिंसा अौर सेक्स की भरूपर डोज होती है।
1952 के सिनेमैटोग्राफिक एक्ट के अनुसार सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष के पास फिल्मों को सर्टिफिकेट दिए जाने के बारे में निर्णय लेने का अधिकार होता है।
बोर्ड के सदस्यों से विचार विमर्श से निकले निष्कर्ष के बाद अध्यक्ष इसे केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय के पास पहुंचाता है। अंतिम निर्णय सूचना अौर प्रसारण मंत्रालय का होता है। अध्यक्ष के पास नियम बनाने का अधिकार नहीं है अौर ना ही वह अादेश दे सकता है।
कुछ फिल्मकारों का कहना है कि धर्म, सेक्स, हिंसा जैसे मुद्दों का संबंध कल्चर से जुड़ा होता है। ये निरंतर अपडेटेड होते रहते हैं, इसलिए वर्तमान सिनेमैटोग्राफिक एक्ट अाउटडेटेड हो गया है।