Tuesday 27 October 2020 03:10 PM IST : By Meena Pandey

बंगलौर के दो युवाअों ने शुरू किया चिट्ठी लिखने का स्टार्टअप, आज चला रहे हैं कंपनी

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हाथ से खत लिख कर अपने करीबियों को स्पेशल फील कराइए और उनका दिल जीत लीजिए, इस बात में दम तो है, आइडिया भी जबर्दस्त है। हाथ से लिखे खतों के सामने फेसबुक या वॉट्सएप का हाउ आर यू फेल है।

एक बहुत पुराना गाना है, बाबू जी तुम क्या-क्या खरीदोगे, यहां तो हर चीज बिकती है... लेकिन भावनाएं? ये रेडीमेड नहीं हो सकतीं। इनका टोटा तबसे से शुरू हुआ जबसे इंटरनेट ने घर-घर में पांव पसारने शुरू किए। इंटरनेट और फेसबुक जज्बातों से कोरे हैं। लेकिन हाथों से लिखे खत मन की बातों को जिस तरह बयां कर जाते हैं, वह काम तो जबान भी नहीं कर सकती। लेकिन पत्र कौन लिखे? ना तो भावनाएं महसूस करने का वक्त है और ना ही अभिव्यक्त करने का। कोई बात नहीं, जज्बातों से लबरेज खत लिखनेवाले अंकित अनुभव और जसवंत चेरिपल्ली जैसे युवा हैं ना। ये खो रही भावनाअों को अपनी कलम में समेट कर ऐसे पत्र लिखते हैं कि खत पानेवाला सात समंदर पार से दौड़ा चला आए। प्यारभरे खत रिश्ते का रंग बनाए रखते हैं। जज्बात हर रिश्ते में अहम हैं, प्रेमी-प्रेमिका, माता-पिता, दादी-नानी, जिनके प्यार का सागर छलक कर रह जाता है, पर सामनेवाला देख कर
भी नहीं देखता। उसी छलकते प्यार को शब्दों में पिरो कर सही व्यक्ति तक पहुंचाते हैं, अंकित अनुभव और जसवंत चेरिपल्ली। दोनों ने मिल कर www.tihlc.com की नींव रखी। दोनों इसे अपना ब्रेन चाइल्ड कहते हैं।

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वे कहते हैं कि हम दिलोजान से मेहनत करके हाथ से चिट्ठियां लिखते हैं। कंप्यूटर, टाइपराइटर का इस्तेमाल नहीं करते। इसलिए हमारी कंपनी का नाम द इंडियन हैंडरिटन लेटर क. है। हम इंग्लिश, उड़िया, तमिल, तेलुगू, मराठी, बंगाली, उर्दू सब भाषाअों में लिखते हैं। साथ ही इस बात का ख्याल रखते हैं कि हमारे कस्टमर्स चिट्ठी में क्या और कैसे लिखवाना चाहते हैं।

यह जानना दिलचस्प होगा कि ऐसी अनूठी कंपनी को शुरू करने का ख्याल कहां से आया? अंकित का बचपन बोर्डिंग में बीता। वे हर हफ्ते घर पत्र लिखा करते थे। इस लेटर राइटिंग की आदत ने भावनाअों और कल्पनाअों को कागज में उतारने का हुनर भी दिया। लेकिन टेक्नोलॉजी की दुनिया ने लेखन कला को गहरा धक्का दिया। बदलते दौर की यही टीस जसवंत भी महसूस कर रहे थे। दोनों के बीच बातचीत हुई और दोनों को लेटर राइटिंग को अपना कैरिअर बनाने का आइडिया भा गया। दोनों ने मिल कर कंपनी शुरू की।

उनके साथ 6 लोग और भी हैं, जो अंकित और जसवंत के साथ रोज बैठ कर लेटर्स लिखते हैं। लव लेटर्स खूब डिमांड में हैं। खासकर वेलेंटाइन के मौके पर खूब लिखवाए जाते हैं। एक बार एक 10 साल की लड़की ने अपनी मम्मी की बॉस के लिए मां को लंच टाइम में घर आने देने का रिक्वेस्ट लेटर लिखने को कहा। अंकित-जसवंत ने शाम को उसकी मां से फोन पर बात की। आखिर बेटी की ओर से लिखे खत ने बॉस को इजाजत देने के लिए राजी कर लिया। वे कहते हैं, ‘‘हम हरेक की जरूरत, इच्छा और बतायी गयी बातों के हिसाब से उनके लिए खत लिखते हैं।’’

जैसे दीवाली में जॉब की वजह से अपने घर ना जा पाने पर कई युवाअों ने माता-पिता के लिए खत लिखवाए। हमने उनकी ओर से अच्छा सा पत्र लिखा, जिसमें ना आने की वजह के साथ ही न्यू इयर में आने का वादा था। यही बात फोन पर कही होती, तो उतना असर ना करती। प्यार का प्रस्ताव हो या दीवाली का मौका, लोग खूब शुभकामनाएं लिखवा कर भेजते हैं। हम कई तरह की चिट्ठियां लिखते हैं। पर्सनल लेटर्स भी लिखते हैं। हसबैंड-वाइफ के लिए, गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड के लिए। बिजनेस लेटर भी लिखते हैं। हम लोगों के आपसी रिश्तों व पर्सनल कनेक्ट को सुधारने की कोशिश करते हैं। हम काफी ब्रांड्स के लिए काम कर रहे हैं। हम अपॉइंटमेंट लेटर, रेजिग्नेशन लेटर व कवरिंग लेटर यानी हर तरह का लेटर लिखते हैं।

10% लव लेटर्स

बहुत सारी जनता ऐसी है, जो नहीं जानती कि लिखना और लिखवाना क्या है? वे लोग हमें बता देते हैं कि 100 शब्दों में क्या-क्या लिखना है? हम उनके लिए उनकी भाषा में एक ड्राफ्ट बनाते हैं। उस ड्राफ्ट को ई-मेल करते हैं, जिसे कस्टमर पढ़ता है। उसका संतुष्ट होना जरूरी है। उसे पसंद आता है, तो ठीक, वरना नया ड्राफ्ट दोबारा लिख कर भेजते हैं। हम अपनी ओर से कुछ थोपते नहीं हैं।

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अब तक हमने जितनी भी चिट्ठियां लिखी हैं, उनमें से 10% लव लेटर्स रहे होंगे। लेकिन हम सिर्फ लव लेटर तक ही सीमित नहीं हैं। त्योहार व न्यू इयर के मौके पर खूब शुभकामना पत्र लिखवाए जाते हैं। त्योहारों और खासकर से वेलेंटाइंस डे के लिए पहले से बुकिंग हो जाती है। ये फेस्टिवल सीजन लेटर होते हैं।

लोगों के हैंडरिटन लेटर के पीछे भागने की वजह है कि चिट्ठियां लोगों को आपस में ज्यादा जोड़ती और नजदीक लाती हैं। इसके जरिए एक पर्सनल टच भी रहता है। डिजिटल मैसेज में तो बस हाय-हेलो होती है। उसके बाद भूल जाते हैं। हमारी बातों का वजन बढ़ जाता है, यदि लेटर हाथ से लिखा गया हो। मान लीजिए मैं अपने पापा को सिर्फ मैसेज करूं और चिट्ठी भी लिखूं। मैसेज वे बस पढ़ लेंगे, लेकिन चिट्ठी मिलेगी, तो वे फोन करके कहेंगे कि बेटा तुम्हारी चिट्ठी मिली, बहुत अच्छा लगा। वे उस चिट्ठी को कई बार पढ़ेंगे। इसमें पर्सनल टच महसूस करेंगे। इसके बाद 4 दिन तक बात ना हो, तो भी फर्क नहीं पड़ता। बार-बार लेटर पढ़ने का मजा ही और होता है।

हमें अकसर लोग काम हो जाने पर थैंक्यू लेटर भेजते हैं। इन पत्रों के माध्यम से कई रूठे माने, टूटे रिश्ते जुड़े, नए रिश्ते भी बनें और कइयों को नौकरियां मिलीं। लोग अकसर फोन करके कहते हैं कि सर जी बहुत अच्छा लिखा, मेरी वाइफ बहुत खुश हुई या मेरी मंगेतर को पत्र पा कर बड़ी खुशी हुई। ऐसी बातें हमें प्रोत्साहित करती हैं। हम 20 प्रतिशत पर्सनल लेटर, 30 प्रतिशत कैरिअर से जुड़े लेटर व बिजनेस लेटर लिखते हैं। अंकित कहते हैं कि हमारे पास 18 साल से ले कर 35 की उम्र तक के लोग लेटर राइटिंग कराने आते हैं। ये वही लोग हैं, जो इंटरनेट की शरण में रहने के आदी हैं।

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देश-विदेश में लोग हमारे इस काम के साथ जुड़ रहे हैं। जैसे रूस से एक महिला का पत्र आया कि वह रशियन भाषा में लिखना चाहती हैं, वे हमसे जुड़ी हुई हैं। इसी तरह 2 लोग यूएस में रहते हुए हमारी कंपनी का हिस्सा बन कर लेटर राइटिंग कर रहे हैं, यूके में भी ऐसे 3 लोग हैं। हमारा नेटवर्क बढ़ रहा है। अगर भारत से कोई चिट्ठी अमेरिका, इंग्लैंड या रूस भेजें, तो शिपिंग का ही 750 रुपए पड़ जाता है। लेकिन यदि वहीं से लेटर राइटिंग हो रही है, तो लोकल खर्च ही लगेगा। समय से लेटर भी मिल जाता है। बहुत इंतजार नहीं करना पड़ता।