कैसे बैठे प्रेम के सुर ताल
मौसम जब खुशगवार हो तो पार्टनर्स तुरंत डेट का प्रोग्राम बना लेते हैं, पर रूखी हवाएं, पतझड़ , धूलभरी आंधी या यों कहें दो मौसमों के बीच में आनेवाले समय में मन खिन्न, उदास औरकभी-कभी चिड़चिड़ा हो जाता है। वैसे वे अकेले नहीं हैं, जो ऐसा महसूस करते हैं। रिसर्च द्वारा जानी हुई बात है कि जब मैसे करवट लेता
मौसम जब खुशगवार हो तो पार्टनर्स तुरंत डेट का प्रोग्राम बना लेते हैं, पर रूखी हवाएं, पतझड़ , धूलभरी आंधी या यों कहें दो मौसमों के बीच में आनेवाले समय में मन खिन्न, उदास औरकभी-कभी चिड़चिड़ा हो जाता है। वैसे वे अकेले नहीं हैं, जो ऐसा महसूस करते हैं। रिसर्च द्वारा जानी हुई बात है कि जब मैसे करवट लेता
मौसम जब खुशगवार हो तो पार्टनर्स तुरंत डेट का प्रोग्राम बना लेते हैं, पर रूखी हवाएं, पतझड़ , धूलभरी आंधी या यों कहें दो मौसमों के बीच में आनेवाले समय में मन खिन्न, उदास औरकभी-कभी चिड़चिड़ा हो जाता है। वैसे वे अकेले नहीं हैं, जो ऐसा महसूस करते हैं। रिसर्च द्वारा जानी हुई बात है कि जब मैसे करवट लेता
मौसम जब खुशगवार हो तो पार्टनर्स तुरंत डेट का प्रोग्राम बना लेते हैं, पर रूखी हवाएं, पतझड़ , धूलभरी आंधी या यों कहें दो मौसमों के बीच में आने वाले समय में मन खिन्न, उदास औरकभी-कभी चिड़चिड़ा हो जाता है। वैसे वे अकेले नहीं हैं, जो ऐसा महसूस करते हैं। रिसर्च द्वारा जानी हुई बात है कि जब मैसे करवट लेता है, हमेशा प्रकृति ही नहीं, रिश्ते भी प्रभावति हाते हैं। गरमी की शुरूआती मौसम में डॉक्टरों के पास सबसे जयादा डिप्रेशन, गुस्सा, आक्रोश, खीज, एंग्जाइटी पैनिक अटैक, आपसी मनमुटाव औरआत्महत्या के मामले सामने आते हैं। एक आंकड़े के अनुसार हर साल भारत में तकरीबन 10 मिलियन लोग सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (SAD) से प्रभावित होते हैं। बदलते मौसम खासतौर पर शुरुआती गरमी और सरदी में लोगों में असर दिखता है। एक रिसर्च के मुताबिक मौसम का तापमान जब 20 डिग्री हाेता है, तब इमोशन्स अपने चरम पर होते हैं। लेकिन धीरे-धीरे तापमान 30 डिग्री और उससे ऊपर होना शुरू होता है, तब इमोशन में गिरावट और तन-मन में थकावट हावी होना शुरू हो जाती है। गरमी शुरू होते-होते व्यवहार में आक्रोश आने लगता है।
दिल्ली के आर्टेमिस लाइट एनएफसी के वरिष्ठ सलाहकार एवं प्रमुख मनोचिकित्सक डॉ. राहुल चंडोक बताते हैं कि मौसम परिवर्तन का कपल्स के मनोविज्ञान पर गहरा असर पड़ता है और यह उनके वैवाहिक जीवन को भी प्रभावित करता है। मन के विपरीत मौसम उनके मिजाज पर नेगेटिव असर ना डाले, इसके लिए दंपती कुछ उपाय कर सकते हैं। सबसे पहले जानें कि किस मौसम में दंपती सबसे ज्यादा प्रभावित हाेते हैं।
मनोवैज्ञानिक प्रभाव
समर डिप्रेशन : गरमी के मौसम में अत्यधिक गरमी और उमस के कारण पार्टनर के बीच चिड़चिड़ापन, नींद में कमी, सुस्ती, उदासी, बेचैनी औरतनावपूर्ण स्थितियां पैदा हो सकती हैं। लेकिन गरमी की शुरुआत में व्यक्ति का मन खीजा हुआ महसूस होता है। गरमी के कारण कपल्स के एनर्जी लेवल व रोमांस में कमी आने लगती है।
विंटर मेनिया : सरदियों में दिन छोटे होते हैं और धूप कम मिलती है, इससे दंपती उदास, आलसी और चिड़चिड़े हो सकते हैं। एक-दूसरे के प्रति उदासी होने लगती है। इसकी वजह यह भी है कि सरदियों में लोग घर के अंदर अधिक समय बिताते हैं, जिससे पार्टनर के साथ संवाद कम हो सकता है और एक-दूसरे से दूरियां बढ़ सकती हैं। हालांकि, सरदियों में ठंड का मौसम कपल्स को एक-दूसरे के करीब लाने का भी काम कर सकता है। वे एक-दूसरे का सहारा लेते हैं और भावनात्मक रूप से निकट आने की कोशिश करते हैं।
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ के मुताबिक मौसम में बदलाव की वजह से ज्यादातर कपल्स SAD से प्रभावित होते हैं। गरमियाें में घर में रहने व बाहर ना निकलने से औरसरदियाें में धूप कम निकलने की वजह से मस्तिष्क में सिरोटोनिन का स्तर काफी कम हो जाता है, जिसकी वजह से डिप्रेशन के केस बढ़ते हैं। SAD का ट्रीटमेंट लाइट थेरैपी, विटामिन डी सप्लीमेंट, एंटी डिप्रेसेंट मेडिकेशन और काउंसलिंग से किया जाता है। अगर पति-पत्नी में लगातार उदासी बनी हुई है, खाने-पीने से मन उकता गया हो, वजन कम होने लगा हो, नींद नहीं आ रही हो तो डॉक्टर के पास जाने से ना कतराएं। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर का जोखिम ज्यादा है। मैरिज काउंसलर प्रज्ञा त्रिवेदी के मुताबिक, ‘‘बदलते मौसम में डोपामाइन हारमोन्स शरीर में उथल-पुथल मचाते हैं। जैसे ही मार्च का महीना आता है तो मंद पड़ चुके हारमोन्स बॉडी में तेजी से एक्टिव होने लगते हैं। इस मौसम में व्यक्ति अपनी भावनाओं को ज्यादा एक्सप्रेस करना शुरू करता है। आमतौर पर माना जाता है कि जहां एक जैसा ही मौसम रहता है, वहां इस तरह के बदलाव नहीं देखे जाते हैं। पर जिस स्थान पर बहुत गरमी और बहुत सरदी दोनाें ही हैं, वहां गुस्सा और प्यार दोनों को एक्सप्रेस करने की क्षमता व एक-दूसरे से अपेक्षाएं बढ़ जाती हैं।’’
क्या करें कपल्स
बदलते मौसम का ह्यूमन साइकोलॉजी पर खास असर होता है और यह वैवाहिक जीवन को भी प्रभावित करता है। हम मौसम को कंट्रोल तो नहीं कर सकते हैं, लेकिन बदलते माैसम में कुछ बातों को ध्यान में रख कर मूड में हाे रहे बदलाव को मैनेज कर सकते हैं। कपल्स को मौसम परिवर्तन के असर को समझना चाहिए और उनके रिश्ते पर इसका नेगेटिव असर ना पड़े, इसके लिए उपाय खोजने चाहिए। मैरिज काउंसलर प्रज्ञा त्रिवेदी के अनुसार कपल्स कुछ बातों पर गौर करें।
- मार्च में जब पेड़ाें में पत्तियां कम होती हैं, हरियाली भी नहीं होती, तब अपने आसपास निराशा के माहौल से बचने के लिए कलरफुल कपड़े पहनने चाहिए। घर के परदे वगैरह कलरफुल और फ्लोरल डिजाइन वाले रखें। यह निराशा से बचने का बेहतर तरीका है।
- पतझड़ में कपल एक साथ जिम जाएं, योग करें, किसी ग्रुप, क्लब को जॉइन करें या थोड़ी आउटिंग करें।
- अपने घर के आसपास की जगहें एक्सप्लाेर करें। इसके भी सकारात्मक परिणाम मूड पर आते हैं। कपल्स के बीच कनेक्टिविटी बढ़ती है।
- छोटे-बड़े मुद्दे पर बार-बार बहस करने और शब्दों को पकड़ कर झगड़ने जैसी आदत पालने से बचें तो बेहतर है।
- कम से कम अपेक्षाएं रखें। एक-दूसरे के पर्सनल स्पेस का ध्यान रखें। जो बातें या आदतें एक-दूसरे को खिन्न करती हैं, वे ना करें।
- एक खास समय में पति-पत्नी चाय का कप पकड़ कर आपसी समस्या को सुलझाएं। बिना लड़े सार्थक चर्चा करें। इसी तरह 2-3 बार बैठक से समस्या का हल निकालें।-
- रिश्ते को लाइट रखना और एक-दूसरे के प्रति ट्रांसपेरेंट भी होना हैप्पी लाइफ के लिए जरूरी है।