ठंड सिर्फ हमें ही नहीं, पौधों को भी लगती है। क्या आपने देखा नहीं कि तुलसी के पौधे ठंड की शुरुआत होते ही मुरझा जाते हैं। ठंड के मौसम में गमले में लगे पौधों को अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है। पढ़ें कुछ उपयोगी सुझाव -

ठंड सिर्फ हमें ही नहीं, पौधों को भी लगती है। क्या आपने देखा नहीं कि तुलसी के पौधे ठंड की शुरुआत होते ही मुरझा जाते हैं। ठंड के मौसम में गमले में लगे पौधों को अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है। पढ़ें कुछ उपयोगी सुझाव -

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ठंड सिर्फ हमें ही नहीं, पौधों को भी लगती है। क्या आपने देखा नहीं कि तुलसी के पौधे ठंड की शुरुआत होते ही मुरझा जाते हैं। ठंड के मौसम में गमले में लगे पौधों को अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है। पढ़ें कुछ उपयोगी सुझाव -

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ठंड सिर्फ हमें ही नहीं, पौधों को भी लगती है। क्या आपने देखा नहीं कि तुलसी के पौधे ठंड की शुरुआत होते ही मुरझा जाते हैं। गमले में लगे दूसरे नाजुक पौधों की पत्तियां भी सूख कर झड़ने लगती हैं। इससे पहले कि आपकी बगिया ठंड के प्रकोप से वीरान हो जाए, कुछ ऐसे उपाय कर लें, जिससे ये पौधे सरदी के मौसम में भी हरेभरे रहें।

रोशनी मिलती रहे

ज्यादातर इनडोर पौधों को भी पर्याप्त रोशनी की जरूरत होती है, जो सरदी के माैसम में नहीं मिल पाती। एक तो सरदी में दिन छोटे होते हैं और दूसरे हम उन्हें ठंड से बचाने के लिए खुली जगह में नहीं रखते। बेहतर होगा कि आप पौधों के गमलों को दिन में ऐसी जगह पर रखें, जहां सूरज की रोशनी आती हो। रोशनी पूरी तरह से पत्तियों में जज्ब हो, इसके लिए पत्तियों को साफ रखना जरूरी है। अगर आप पौधे को धूप दिखाने के लिए खिड़की पर अंदर की ओर रखते हैं, तो खिड़की के शीशे साफ होने चाहिए। जब भी पौधों में पानी दें, गमले को थोड़ा घुमा दें, इससे पौधों को चारों ओर बराबर धूप मिलेगी। सरदियों में पौधों को थोड़ी गरमी मिले, तो वे अच्छी तरह ग्रो करते हैं।

पानी भी जरूरी है

सरदियों में जिस तरह हम कम पानी पीते हैं, उसी तरह पौधों को भी कम पानी चाहिए। गमले में ज्यादा पानी भर देंगे, तो पौधों को नुकसान ही होगा। गरमियों में गमले की मिट्टी की ऊपरी सतह का सूखा होना पानी की जरूरत की ओर इशारा करता है, उससे थोड़ा एडवॉन्स तरीका अपनाने की जरूरत है। दरअसल कैक्टस और सक्कुलेंट जैसे पौधों को ठंड में पानी की बहुत कम जरूरत होती है। आप मिट्टी में उंगली 2-3 इंच घुसा कर चेक करें। अगर वहां तक भी मिट्टी सूखी है, तो ही पानी डालें। बीकानेर के विजय शर्मा स्वीमिंग कोच हैं, लेकिन कोरोना ने उनका कामकाज ठप कर दिया। आजकल वे कई किस्म की सब्जियों की खेती कर रहे हैं। वे कहते हैं कि पौधों में ठंड से बचने की कुदरती ताकत पैदा करने के लिए उनमें शाम में थोड़ा-थोड़ा पानी डालें। पानी की मात्रा कम ही रखें। पौधों को कीड़े-मकोड़ों से बचाना भी जरूरी है। 

छंटाई की रुत आयी

हमारे लिए समय-समय पर हेअर कट जरूरी है, तो पौधों के लिए क्यों नहीं। सरदियों का सीजन पौधों की छंटाई के लिए उपयुक्त समय है। इससे उनकी ग्रोथ अच्छी होती है। इधर-उधर फैलती शाखाअों को छांट दें। नीचे की शाखाअों की छंटाई इस तरह करें कि पौधे के निचले हिस्से में धूप-हवा लगेे। फूलों वाले पौधों की ना सिर्फ छंटाई करें, बल्कि उन्हें दूसरे गमले में भी शिफ्ट कर दें। इससे आने वाले सीजन में वे फूलों से भर जाएंगे। छंटाई की तरह पौधों की गुड़ाई भी समय-समय पर करनी जरूरी है।

कीड़े ना पड़ें

ठंड के मौसम में नमी बढ़ जाती है, धूप कम निकलती है और इससे कीड़े-मकोड़ों को पनपने का अनुकूल वातावरण मिल जाता है। जैसे ही ये पौधों पर दिखें, इन्हें दूर भगाएं। विजय शर्मा कहते हैं कि आप बाजारू पेस्टिसाइड की जगह घर में पेस्टिसाइड बना कर पौधों पर छिड़काव करें। इसके लिए 2 प्याज, 1 लहसुन और 1 हरी मिर्च ले कर उबाल कर काढ़े जैसा बना लें। इसे पानी में मिला कर पौधों पर छिड़क दें, तो उन पर लगने वाले कीड़े खत्म हो जाएंगे।