क्या आप के साथ भी कुछ ऐसी घटनाएं घटती हैं या घटी हैं, जिन पर विश्वास करना मुश्किल होता है। ज्योतिषाचार्य पूनम वेदी से जानें कि क्या है इन अलौकिक घटनाअों का रहस्य।

क्या आप के साथ भी कुछ ऐसी घटनाएं घटती हैं या घटी हैं, जिन पर विश्वास करना मुश्किल होता है। ज्योतिषाचार्य पूनम वेदी से जानें कि क्या है इन अलौकिक घटनाअों का रहस्य।

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क्या आप के साथ भी कुछ ऐसी घटनाएं घटती हैं या घटी हैं, जिन पर विश्वास करना मुश्किल होता है। ज्योतिषाचार्य पूनम वेदी से जानें कि क्या है इन अलौकिक घटनाअों का रहस्य।

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सपनों में अचानक कोई संदेश मिलना और सपना सच हो जाना, अचानक बहुत जरूरत के समय पैसों का मिल जाना, डायरी में लिखा हुआ पता ही नहीं चले कि हमने कब लिखा था। मनुष्य के जीवन में ऐसी अनेक घटनाएं हैं, जिन्हें हम अंधविश्वास या मन का भ्रम कह कर टाल देते हैं, लेकिन क्या कभी आपने गंभीरता से उस पर विचार किया कि वह आपके मन का वहम नहीं, बल्कि कुछ ऐसी घटनाएं थीं, जिनका आपको कोई तर्क या उत्तर नहीं मिलता है।

ऐसी ही अप्रत्याशित सहायता टीवी कलाकार वरूण बडोला के साथ घटी। उन्हीं के शब्दों में- ‘‘यह घटना 1994 की है, मैं अपनी बहन, मामा और दो दोस्तों के साथ वैष्णो देवी गया था। ट्रेन में इत्तेफाक से चार दोस्त और मिल गए। दोस्तों के कहने पर ट्रिप थोड़ा लंबा हो गया अौर वापसी में हमारा पूरा बजट हिल गया, ट्रेन के किराए के पैसे भी पूरे नहीं पड़ रहे थे। हम सब एक ही स्थिति में थे, पर मैं ना जाने क्यों अपनी जेबें टटोल रहा था। दर्शन के बाद हमने खाना तक नहीं खाया था, मेरा हाथ बार-बार जेब टटोलने लगा, तभी एक कागज का टुकड़ा मेरे हाथ आया। जब बाहर निकाला, तो वह 100 रुपए का नोट था। यह देख कर मैं दंग रह गया, जबकि मैंने पूरे पैसे गिन कर रखे थे। जब यह 100 रुपए का नोट मिला, तब हमने 24 घंटे बाद पहली बार खाना खाया और किसी तरह घर पहुंचे। ऐसा लग रहा था किसी अलौकिक शक्ति ने हमें घर पहुंचा दिया।’’

अलौकिक शक्ति का आभास

वैष्णो देवी के बारे में अप्रत्याशित सहायता के संस्मरण अकसर सुनने में आते हैं। हम सभी की सहायक दिव्यात्मा होती है, जो लगातार हमारेे ऊपर निगाह रखती है। जब भी हम दिल से पुकारते/चाहते हैं, तो दिव्य शक्तियां हमें सहायता देने को तत्पर हो जाती हैं। मिसाल के तौर पर कई बार आप भीड़ से गुजर रहे हैं, सामने से बस आ रही है, बचने का कोई रास्ता नहीं होता। अचानक कोई व्यक्ति आ कर आपको एक तरफ धकेल देता है। आप गिर जरूर पड़ते हैं, लेकिन बस से बच जाते हैं। फिर जब आप उसे धन्यवाद के लिए तलाशते हैं,तो वह गायब हो जाता है।

ऐसी विचित्र घटनाएं मृत्यु की अवस्था में भी घटती हैं। हमें महसूस होता है कि हम दृष्टा की तरह अपनी मौत देख रहे हैं। ऐसी ही एक घटना का जिक्र डाॅ. पलाश सेन ने मुझसे किया। यह घटना उनके मित्र गौरव मिश्रा के साथ घटी। ‘‘गौरव अस्थमा का मरीज है। एक दिन उसका अस्थमा बिगड़ गया, मैं उस वक्त उनके साथ ही था, उसे तुरंत अस्पताल ले गया। गौरव की सांस थम रही थी अौर हालत बिगड़ती जा रही थी। वह बेहोशी की अवस्था में था, तभी उसने कहा, ‘‘पलाश, देखो वह मेरे पास खड़ा है (एक मृत दोस्त का नाम लिया) और मुझे साथ चलने के लिए कह रहा है।’’ गौरव की पुतली दरवाजे की ओर घूमती हुई ठहर गयी। इसके बाद गौरव बेहोश हो गया। इस दौरान हम लगातार उसे दवाइयां, आॅक्सीजन दे कर होश में लाने की कोशिश करते रहे। काफी देर बाद गौरव होश में आया। फिर उसने जो बताया वह अकल्पनीय था। उसने कहा, ‘‘अस्थमा के अटैक के बाद कुछ देर तक मुझे कुछ होश नहीं रहा। थोड़ी देर बाद मैं अपने शरीर को बिस्तर पर लेटे देख रहा था। मेरे बिस्तर के पास मेरा एक मृत दोस्त खड़ा था, जो मुझे अपने पीछे आने का इशारा करते हुए दरवाजे की ओर जा रहा था, लेकिन मैं जाने से मना कर रहा था। आप मेरा इलाज कर रहे थे। जब मुझे होश आया, तो सीने में दर्द हो रहा था, थकान जरूरत से ज्यादा थी, ऐसी जैसे किसी लंबी यात्रा से लौटने के बाद होती है। आप मेरे सीने की मालिश कर रहे थे। कुछ देर बाद आपकी आवाज सुनायी दी कि अब नब्ज सामान्य है।’’

गौरव मिश्रा का यह केस नियर डेथ एक्सपीरियंस से जुड़ा है। इसे एन.डी.ई. (NDE) भी कहते हैं। इस प्रकार की मृत्यु से वापस लौटे ज्यादातर लोगों का अनुभव एक सा रहता है। इस प्रकार के अनुभववाला व्यक्ति ऐसी बातों को फिल्म के टुकड़ों के रूप में देखता है। इसमें कई बार अपने मृत परिचित भी दिखायी देते हैं जैसा कि गौरव मिश्रा को मृत मित्र दिखायी दिया। इन्हें ज्यादातर इस प्रकार का अनुभव हाेता है, मानो कोई शक्ति उनके भौतिक शरीर से बाहर निकल कर जा रही हो।

Man with third eye, psychic supernatural senses

संदेहवादी इस पर दावा भी करते हैं कि एन.डी.ई. कुछ नहीं, बल्कि मृत्यु के समय मस्तिष्क में होनेवाली अनुभूति है। लेकिन इस प्रश्न का उत्तर देने में वे भी असमर्थ हैं कि अनुभवकर्ता ने इतनी बारीकी से सब कुछ कैसे बता दिया।

ऐसे ही एक बड़ा विचित्र किस्सा श्रीमान क के साथ हुआ (कारणवश नाम नहीं दे रहे)। वे एक बहुत सुंदर ड्रेसिंग टेबल खरीद कर लाए। वह लकड़ी की नक्काशी की हुई अनेक शीशोंवाली एंटीक ड्रेसिंग टेबल थी। उनकी पत्नी बड़े मन से रोज उसके सामने तैयार होती। श्रीमान क ने महसूस किया कि उनकी पत्नी के व्यवहार में अजीब सा परिवर्तन आ रहा है। वह घंटों ड्रेसिंग टेबल के सामने तैयार होती तथा सजने का ढंग बड़ा नाटकीय होता। गहरी लाल लिपस्टिक, काजल, बालों की लटें लहराती। बालों में गजरा लगा लेती, कई बार खिड़की पर सजधज कर खड़ी हो जाती। बहुत परेशान होने पर पति ने जहां से ड्रेसिंग टेबल खरीदी थी, उस कबाड़ी से ड्रेसिंग टेबल के बारे में पूछा, तो सुन कर दंग रह गए कि वह ड्रेसिंग टेबल किसी कोठेवाली के यहां से बिकने आयी थी। उन्होंने उस टेबल को नष्ट कर दिया। आज तक वे अपनी पत्नी के व्यवहार में परिवर्तन का कारण नहीं समझ पाए।

इस केस के सिलसिले में लैथब्रिज और कोलिन विल्सन की खोज का जिक्र कर सकते हैं। लैथब्रिज के अनुसार जैसी भी भावना हो, वह आसपास की हर चीज पर ठहर जाती है। यदि किसी ने आत्महत्या की हो, तो उस स्थान पर पीड़ा और उदासीनता जम जाती है। शिक्षा के केंद्रों की चीजों पर ज्ञान का प्रभाव आ जाता है। शीशा प्रतिबिंब से जुड़ा होने के कारण चंद्रमा से प्रभावित होता है। चंद्रमा में जलीय तत्व होने के कारण प्रभाव ग्रहण करने की क्षमता सर्वाधिक होती है। दूसरी तरफ लकड़ी में भी आवाजों को शोषित करने का गुण होता है।

वास्तव में हर सजीव अथवा निर्जीव वस्तु का अपना ऑरा होता है। वस्तु का प्रयोग जितना ज्यादा होगा, उसका ऑरा भी उतना सघन होगा। इस ऑरा के द्वारा किसी वस्तु के इतिहास का पता करना साइकोमिट्री कहलाता है। हिंदी में इसे मनोमिती कहते हैं।

हमारे विचार एक प्रकार की ऊर्जा ही हैं, जिससे विचार कार्यों में बदल जाते हैं। हमारी अपनी ऊर्जा वस्तु के चारों ओर एकत्रित हो जाती है। वस्तु हमारे विचार ग्रहण करने लगती है। यह वस्तु हमारे जीवन के अनुभव को भी रेकाॅर्ड कर लेती है।

जब माध्यम या सूचना ग्रहण करनेवाला व्यक्ति इस प्रकार की वस्तु छूता है, तो उसे द्रव्य में स्वयं प्रविष्ट होने जैसे अनुभूति होती है। यह अनुभूति उसे अस्पष्ट विचारों से ले कर तीव्र उद्वेगों तक हो सकती है। यदि किसी व्यक्ति की चेतना का पेंडुलम जाग्रत हो, तो वह तीव्रता से इन प्रभाव को ग्रहण करने लगता है। ऐसा ही श्रीमती क के साथ हुआ।

अलौकिक घटनाओं का अनंत सागर है। कहते हैं कि मनुष्य अपने मस्तिष्क की क्षमता का केवल चार प्रतिशत ही उपयोग करता है। इसी कारण बहुत से रहस्य समझने में असमर्थ रहता है, लेकिन इन अलौकिक घटनाओं पर लंबे समय से शोध चल रहा है और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इन्हें समझने का प्रयास किया जा रहा है।