Lakshmi and Ganesha

दीवाली के दिन मां लक्ष्मी और गणेश भगवान की पूजा का विशेष महत्व है। दिल्ली के ज्योतिषाचार्य पं. संजय शर्मा बता रहे हैं दीवाली में मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा में कौन-कौन सी सामग्री इस्तेमाल में आती है और उनका क्या महत्व है- दीवाली पूजन की सामग्री में मुख्य रूप से मां लक्ष्मी और गणेश जी की

दीवाली के दिन मां लक्ष्मी और गणेश भगवान की पूजा का विशेष महत्व है। दिल्ली के ज्योतिषाचार्य पं. संजय शर्मा बता रहे हैं दीवाली में मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा में कौन-कौन सी सामग्री इस्तेमाल में आती है और उनका क्या महत्व है- दीवाली पूजन की सामग्री में मुख्य रूप से मां लक्ष्मी और गणेश जी की

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दीवाली के दिन मां लक्ष्मी और गणेश भगवान की पूजा का विशेष महत्व है। दिल्ली के ज्योतिषाचार्य पं. संजय शर्मा बता रहे हैं दीवाली में मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा में कौन-कौन सी सामग्री इस्तेमाल में आती है और उनका क्या महत्व है- दीवाली पूजन की सामग्री में मुख्य रूप से मां लक्ष्मी और गणेश जी की

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दीवाली के दिन मां लक्ष्मी और गणेश भगवान की पूजा का विशेष महत्व है। दिल्ली के ज्योतिषाचार्य पं. संजय शर्मा बता रहे हैं दीवाली में मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा में कौन-कौन सी सामग्री इस्तेमाल में आती है और उनका क्या महत्व है-

दीवाली पूजन की सामग्री में मुख्य रूप से मां लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमा, लकड़ी की चौकी, लाल कपड़ा, दीपक, रूई, घी, कपूर, धूपबत्ती, अगरबत्ती, गंगाजल, हल्दी, कुमकुम, अक्षत (चावल), सुपारी, पान, लौंग, इलायची, फूलमाला, फल, मिठाई, खील-बताशे, दूर्वा, जनेऊ और नारियल शामिल हैं।

  • लकड़ी की चौकी : इस पर देवी-देवताओं की मूर्तियां या तसवीरें रखी जाती हैं और यह धार्मिक अनुष्ठानों के लिए पवित्र आधार प्रदान करती है।
  • लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा : इनकी प्रतिमा मिट्टी या धातु की होती हैं। मिट्टी की प्रतिमा को पूजा के बाद विसर्जित करते हैं।
  • पीला या लाल कपड़ा : धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का प्रतीक होता है।
  • अक्षत : पूर्णता, शांति और पवित्रता का प्रतीक है।
  • चंदन : पवित्रता, शांति और दिव्य गुणों को जगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
  • सिंदूर/राेली : सौभाग्य, शक्ति और पवित्रता के प्रतीक के रूप में पूजा विधि में शामिल।
  • कुमकुम : पवित्रता, शुभता, सौभाग्य और शक्ति की प्राप्ति के लिए।
  • कलावा : रक्षासूत्र बांधने का मुख्य कारण सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करना है।
  • हल्दी की गांठ : शुभता, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक।
  • अष्टगंध : दिव्य ऊर्जा का आह्वान करने और ध्यान केंद्रित करने के लिए।
  • दूर्वा : भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए दूर्वा अर्पित करते हैं।
  • कपूर/लौंग/सुपारी : सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने और नकारात्मकता दूर करने के लिए।
  • गंगाजल/दूध, दही, शहद : पंचामृत बनाने के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं।
  • चुनरी/कमलगट्टे : सकारात्मक ऊर्जा पाने के लिए।
  • कौड़ी : मां लक्ष्मी शीघ्र प्रसन्न होती हैं, पूजा स्थल पर 7, 11 या 21 कौड़ी रखते हैं।
  • बताशे : शुभता और प्रचुरता के प्रतीक।
  • चीनी के खिलौने : मां लक्ष्मी के प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है।
  • धान का लावा (खील) : देवी लक्ष्मी का आभार व्यक्त करने और धन-धान्य की देवी का आशीर्वाद पाने के लिए।
  • मिट्टी का दीया : भगवान को प्रसन्न करता है।
  • पान व आम का पत्ता : शुभता का प्रतीक।
  • चांदी का सिक्का : मां लक्ष्मी और गणेश जी की कृपा पाने के लिए।
  • जनेऊ : यह ज्ञान,पवित्रता और नैतिक कर्तव्यों का प्रतीक है।
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