कॉलेज में लेक्चर हो या बोरिंग मीटिंग में प्रेजेंटेशन, पास पड़ी नोटबुक या डायरी के पन्ने में, मूड या पर्सनेलिटी के अनुसार लोग डूडल बनाने लगते हैं। चलें डूडल की दुनिया में जानें ये क्या कहते हैं।

कॉलेज में लेक्चर हो या बोरिंग मीटिंग में प्रेजेंटेशन, पास पड़ी नोटबुक या डायरी के पन्ने में, मूड या पर्सनेलिटी के अनुसार लोग डूडल बनाने लगते हैं। चलें डूडल की दुनिया में जानें ये क्या कहते हैं।

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कॉलेज में लेक्चर हो या बोरिंग मीटिंग में प्रेजेंटेशन, पास पड़ी नोटबुक या डायरी के पन्ने में, मूड या पर्सनेलिटी के अनुसार लोग डूडल बनाने लगते हैं। चलें डूडल की दुनिया में जानें ये क्या कहते हैं।

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दिल दीवाना हो रहा हो या मन अनमना हो उठा हो, कागज और कलम सामने हो, तो हाथ खुदबखुद उस पर कुछ ना कुछ उकेरने लगता है। कभी एक फूल तो, कभी फूल की पूरी बेल ही कागज के सीने पर कलम का दामन थामे अपनी जगह बना लेती है। इनमें फूल-पत्तों के अलावा चेहरे की अलग-अलग भावभंगिमाएं, आसपास के वातावरण को रेखांकित करते चित्र, जीवनशैली को दर्शाती आकृतियां शामिल हैं। बोलचाल की भाषा में ऐसी आकृतियों को डूडल कहते हैं। वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, डूडल का सीधा संबंध उसे बनाए जाने के दौरान दिलोदिमाग में चल रही उठापटक से है। यह बनाए जाने वाले के व्यक्तित्व से जुड़ा होता है। आइए जानें, कागज पर उकेरे जानेवाले ये सारे डूडल अपने रचयिता के बारे में क्या कहते हैं-

सीधी रेखाएं आत्मविश्वास और आत्म नियंत्रण का सूचक हैं। वे लोग जो टेढ़ीमेढ़ी रेखाएं बनाते हैं, वे परिस्थिितयों के अनुसार ढलनेवाले, कल्पनाशील और भावुक होते हैं। जिगजैग रेखाएं यह बताती हैं कि व्यक्ति दैनिक जीवन की सचाई से बचना चाहता है।

विभिन्न जानवरों के डूडल अलग-अलग बातें बताते हैं। छोटे और कमजोर जानवरों के डूडल बनानेवाले मध्यमगति से काम करनेवाले होते हैं। जबकि जंगली जानवरों के डूडल बनानेवाले जिद्दी होते हैं। वहीं मस्तमौले जीव के चित्र मजाकिया स्वभाव की ओर इशारा करते हैं।

रुई के फाहे की तरह के बादल खुशमिजाज मन के बारे में बताता है। इस तरह के लोग दिन में भी सपने देखने में माहिर होते हैं। तूफानवाले बादल गुस्सैल स्वभाव या कठिनाई से बाहर निकलने की जद्दोजहद की ओर इशारा करते हैं।

कुछ लोग डिब्बियां, बॉक्स जैसी घनाकार संरचना बनाते हैं, यह उनकी क्रियात्मकता को उजागर करता है। खासकर थ्री डाइमेंशनल यानी लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाईवाले चित्र यह बताते हैं कि इन्हें बनानेवाला किसी भी मुद्दे के सभी पक्षों को ध्यान में रखता है। इनकी तािर्कक क्षमता अच्छी होती है।

सीढ़ी बनानेवाले लोगों में नाम कमाने की तीव्र लालसा होती है। यह अति महत्वाकांक्षा का सूचक है।

बार-बार डॉट्स यानी बिंदुओं को बनानेवाले लोग काफी केंद्रित होते हैं।

घर के डूडल को काफी सामान्य माना गया है। आमतौर पर इसे युवतियों को ही बनाते देखा गया है। घर की चिमनी से धुआं निकलता दिखायी दे, तो इसका मतलब है कि वह युवती हमेशा ही मेहमानों का वेलकम करने को तैयार रहती है। घर की याद सताने पर भी ऐसे चित्र बनते हैं।

चेहरे की आकृतियां बनाने वाली अकसर कम उम्र की लड़कियां होती है। यह अंतर्मुखी होने की निशानी भी है। कॉमिक चेहरे बनानेवाले आमतौर पर पुरुष होते हैं, इनमें आकर्षण का केंद्र बनने की लालसा भी पायी गयी है। भद्दे चेहरे बनानेवालों में आत्मविश्वास की कमी होती है। ये गरम मिजाज के होते हैं। इसके ठीक विपरीत हंसमुख चेहरे की आकृति बताती है कि आप काफी आशावादी हैं। ऐसे लोग सामाजिक भी होते हैं।

कभीकभार हाथ से प्रश्नवाचक चिह्न भी बन जाते हैं। यह अकसर तब होता है, जब कठिन निर्णय लेना होता है। जीवन में अपनी भूमिका को ले कर संदेह होने पर भी उंगलियां ऐसे चित्र उकेर जाती हैं।

बिना पत्तों और जड़ोंवाला वृक्ष बनाने का मतलब है कि अंदर से आप बेहद अलग-थलग महसूस कर रहे हैं।

अपने नाम को लिख-लिख कर उसे बार-बार दोहरा रहे हैं, तो इसका तात्पर्य है कि आप अपनी पहचान को ले कर दुविधा में हैं। नाम को अंडरलाइन करनेवाले लोग अपनी महत्ता बताने में यकीन रखते हैं।

छतरी का डूडल बनानेवाले दूसरों की मदद को हमेशा तैयार रहते हैं। साथ ही यह खुद को भी अवांछित परिस्थितयों से बचा कर रखना चाहते हैं।

कड़ी या चेन बनानेवाले अपने रिश्तों को ले कर पजेसिव होते हैं। व्यवहार और विश्वास को ले कर भी ऐसी ही सोच रखते हैं।

गोल घेरे बनानेवाले शांति और एकता में यकीन करनेवाले होते हैं। बातूनी और सामाजिक होते हैं।

ज्यादातर लोगों को कभी ना कभी दिल बनाते पाया गया है, ऐसे लोग प्यार के बंधन में बंधना चाहते हैं। वे प्यार पाने की ख्वाहिश रखते हैं।

फूल और पत्ते बनानेवाले लोग बेहद सेंसेटिव, खुशमिजाज और दयालु होते हैं।

खाने की चीजों की तसवीरें बनानेवाले वास्तव में भूखे होते हैं। साथ ही वे भावनात्मक रूप से भी असंतुष्ट होते हैं।

कार, प्लेन, ट्रेन बनोनवाले आजाद ख्यालों के होते हैं या फिर स्वतंत्रता की चाह रखते हैं। साथ ही ट्रैवल में रुचि रखते हैं।

ज्यामितीय आकृतियां जैसे वर्ग, त्रिभुज, आयत, षट्कोण बनानेवाले तार्किक सोच रखते हैं। प्लानिंग करने में भी स्मार्ट होते हैं। त्रिभुज बनानेवाले लोग कैरिअर में आगे बढ़ने की ख्वाहिश रखते हैं।

विशाल वृक्ष का डूडल ईगो और आकांक्षाओं का सूचक होता है। पत्तों और फलों से लदा वृक्ष बताता है कि आपको प्यार और बच्चों के साथ की जरूरत महसूस हो रही है।

कहां बनाते हैं डूडल, इसका भी पड़ता है असर

कागज पर बिलकुल ऊपर डूडल बनाने वाले लोगों में काफी एनर्जी होती है। यह भी माना जाता है कि ये लोग आजाद ख्यालों के होते हैं। इतना ही नहीं आइडियाज के मामले में भी कमाल के साबित होते हैं। कुछ लोग पेज के बायीं ओर आकृतियां बनाते हैं, जो उनके जीवन के बीते दिनों से जुड़ी होती हैं। ऐसा डूडल आमतौर पर पुरानी बातों के बारे में सोचते समय या भूतकाल की घटना के किसी पछतावे से जुड़ा होता है। कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते हैं, जो कागज के मध्य में डूडल करते हैं। कहा जाता है कि ऐसे लोग बेहद बेबाक किस्म के होते हैं। यह भी हो सकता है कि कागज के केंद्र में आकृतियां बनाते हुए उनमें अटेंशन की चाहत होती है या फिर वे थोड़े एकांत की तलाश में होते हैं। कागज की बेहद दाहिनी ओर बने डूडल कम ही देखने को मिलते हैं। इस स्पेस का उपयोग कोई इस काम के लिए कर रहा है, तो इसका मतलब है कि वह मन में दबी किसी भावना को जल्द से जल्द शेअर करना चाह रहा है। कागज के बिलकुल नीचे की तरफ डूडल बनानेवाले काफी व्यावहारिक होते हैं। साथ ही यह आत्मविश्वास की कमी और तनाव का भी सूचक है।