कुछ लोगों के लिए मामी, आंटी या टीचरों ने मां की जगह ली है। इन मदर फिगर्स ने हमेशा मां से बढ़ कर प्यार देने की कोशिश की है और हर कदम पर दोस्त की तरह साथ भी दिया है। मदर्स डे पर मां के साथ-साथ उन सभी लोगों की भी याद जरूर आ जाती है, जो मां से कम नहीं हैं। मां की जगह कोई नहीं ले सकता, लेकिन मां का फर्ज

कुछ लोगों के लिए मामी, आंटी या टीचरों ने मां की जगह ली है। इन मदर फिगर्स ने हमेशा मां से बढ़ कर प्यार देने की कोशिश की है और हर कदम पर दोस्त की तरह साथ भी दिया है। मदर्स डे पर मां के साथ-साथ उन सभी लोगों की भी याद जरूर आ जाती है, जो मां से कम नहीं हैं। मां की जगह कोई नहीं ले सकता, लेकिन मां का फर्ज

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कुछ लोगों के लिए मामी, आंटी या टीचरों ने मां की जगह ली है। इन मदर फिगर्स ने हमेशा मां से बढ़ कर प्यार देने की कोशिश की है और हर कदम पर दोस्त की तरह साथ भी दिया है। मदर्स डे पर मां के साथ-साथ उन सभी लोगों की भी याद जरूर आ जाती है, जो मां से कम नहीं हैं। मां की जगह कोई नहीं ले सकता, लेकिन मां का फर्ज

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कुछ लोगों के लिए मामी, आंटी या टीचरों ने मां की जगह ली है। इन मदर फिगर्स ने हमेशा मां से बढ़ कर प्यार देने की कोशिश की है और हर कदम पर दोस्त की तरह साथ भी दिया है। मदर्स डे पर मां के साथ-साथ उन सभी लोगों की भी याद जरूर आ जाती है, जो मां से कम नहीं हैं। मां की जगह कोई नहीं ले सकता, लेकिन मां का फर्ज कई लोग बहुत अच्छी तरह अदा कर देते हैं, जिनके लिए दिल में खास जगह बनी रहती है। हॉस्टल में नया दाख्लिा लिए छोटे बच्चे के लिए वो प्यारी सी क्लास टीचर जो उसे खाना ख्लिाती है, उसका खास ध्यान रखती है और मां की याद अाने पर उसके आंसू भी पोछती है। शहर से दूर मिली एक अतरंगी सी रूममेट, जो आपको घर आने से पहले खाने का इंतजाम कर देती है या बीमार पड़ने पर डॉक्टर के पास ले जाती है, सामान की पैकिंग से ले कर आपको जरूरी कागजों को गुमा देने की आदत तक को जानती है, वह भी मां से कम नहीं है। घर में कोई मासी या मामी रिश्ते में मां ना सही, लेकिन मां जैसी ही बन जाती हैं। मां के हिस्से का प्यार कहीं और से पूरा नहीं हो सकता, लेकिन कुछ लोग मां का आंचल अच्छी तरह ओढ़ लेते हैं और अपनी मां जैसे ही लगने लगते हैं। मदर्स डे पर कुछ लोगों ने शेअर की अपने खास रिश्ते की कहानी।

कामाक्षी याग्निक अपनी मामी और बहनों के साथ

 

इमरान अहमद अपनी अम्मी सीमा भट्ट के साथ

मेरी मामी मेरी दोस्त - कामाक्षी याग्निक

मेरे लिए मेरी मामी मां जैसी ही नहीं, बल्कि मेरी बहुत अच्छी दोस्त भी हैं। मेरे लिए मेरी मां मेरी रोल मॉडल थीं। उन्होंने मुझे बहुत कुछ सिखाया, अकेले पाला और इतना कॉन्फिडेंट बनाया। उनकी जगह कोई नहीं ले सकता, लेकिन मेरी मामी ने मुझे अपनी बेटी की तरह ही माना है। मेरी मामी की 2 बेटियां हैं आकृति और सुकृति। वे दोनों भी मेरा बहुत ज्यादा ध्यान रखती हैं, मदरली बिहेव करती हैं। मुझसे छोटी हैं, लेकिन जब मामी घर पर नहीं होतीं, तो मेरा ध्यान रखते हुए डांट भी लगाती हैं। मेरे खाने-पीने से ले कर हेल्थ तक अपडेट लेती रहती हैं। 19 साल की उम्र से मैं मां के बिना अपने मामा और मामी के साथ रहने लगी थी। मैं सारी बातें मामी से शेअर कर सकती हूं। ऑफिस और पर्सनल लाइफ में जो भी बात होती है, मैं उनसे शेअर कर लेती हूं या कभी सलाह भी लेती हूं। मां ने मामी-मामा को फ्रीडम दी थी कि अगर मैं कभी गलती करूं, तो मुझे डांटें। लेकिन उन्होंने मुझे बहुत आजादी दी है, तो मैं उनसे कभी कुछ नहीं छुपाती हूं।मामी भी मेरे साथ उतनी ही कंफर्टेबल हैं, जितनी मैं उनके साथ हूं। हम साथ शॉपिंग जाते हैं, कपड़े कौन से पहनने हैं, इस पर एक-दूसरे की राय लेते रहते हैं। ‘‘मेरे लिए मेरी मामी मां जैसी ही नहीं, बल्कि मेरी बहुत अच्छी दोस्त भी हैं। 19 साल की उम्र से मैं मां के बिना अपने मामा और मामी के साथ रहने लगी थी। मामी ने मुझे अपनी बेटी की तरह ही माना है।’’

 

अम्मी से मिलने की ख्वाहिश है - इमरान अहमद

मैं उनसे कभी नहीं मिला हूं, लेकिन वे मेरे लिए मेरी अम्मी ही हैं। मेरे पापा पत्रकार थे, 12वीं क्लास में मैंने उन्हें खो दिया। कुछ समय बाद मेरी अम्मी भी अपनी बीमारी के कारण चल बसीं। उनके जाने के बाद अब मैं अपने बड़े भाई और बहन के साथ रह रहा हूं। बहन की शादी के बाद अब भाई और मैं साथ रहते हैं। हिंदी में एमए के साथ मैं एसएससी की तैयारी कर रहा हूं और साथ ही घर का भी ध्यान रखता हूं। सभी कामों में उलझे रहने के बाद भी अपने पापा की बुक पर काम कर रहा हूं। उसे जल्द ही पूरी करके छपवाना मेरे लिए ड्रीम है। असीमा जी से मेरी पहली बार बात उनके जन्मदिन पर हुई थी। हैप्पी बर्थडे अम्मी मेरा उनके लिए पहला मैसेज था। मेरी अम्मी ने मुझे बहुत मजबूत बनाया है। मैं हर मुश्किल से लड़ने के लिए खुद को तैयार समझता हूं। दोनों के जाने के बाद घर को संभालना आसान नहीं था। खेत का ध्यान रखना, किसी भी तरह के कानूनी मुद्दों को संभालना और पैसों से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना आसान नहीं रहा। इन सबमें असीमा अम्मी दूर मुंबई से मेरा सहारा बनी रहीं। कोई भी छोटी या बड़ी बात हो, मैं उनसे सब कुछ शेअर कर लेता हूं। जिस भी समय उनसे बात करना चाहूं, वे मेरा फोन जरूर उठाती हैं। दूरियां मायने नहीं रखतीं, जब रिश्ते मजबूत हों। असीमा अम्मी मेरे पापा की पहली किताब के लिए अपनी प्रस्तावना लिख रही थीं। पापा के जाने के बाद उनका फोन मेरे पास आया और इस तरह उनसे संपर्क हुआ। साल 2018 में पहली बार बात हुई। उसके बाद उन्होंने मेरा हाल पूछना कभी नहीं छोड़ा। हमें एक-दूसरे का जन्मदिन याद रहता है। मेरे जीवन की कोई भी घटना हो, मैं सबसे पहले असीमा अम्मी से ही शेअर करना चाहता हूं। मेरे लिए शायद सबसे खूबसूरत दिन होगा, जब मैं उनसे मिलने जा पाऊंगा।

असीमा भट्ट- मैंने शायद कुछ बहुत अच्छा किया होगा, जो मुझे एसे बच्चे मिले हैं। मेरे बर्थडे पर मुझे एक अचानक नंबर से मैसेज आया हैप्पी बर्थ डे अम्मी। मुझे लगा किसी बच्चे का गलती से मैसेज आया है। मैंने जवाब दिया, बेटा शायद मैसेज गलत नंबर पर जा रहा है। फिर मेरी इमरान से पहली बार बात हुई। मैंने कभी आउट ऑफ द वे जा कर उसके लिए कुछ नहीं किया, लेकिन उसने मुझे इतना प्यार, इतनी इज्जत दी है। यह मेरा अच्छा नसीब है, जो मैं इमरान के संपर्क में हूं। यूपी से मुंबई की दूरी बहुत कम लगती है।