यूनाइटेड नेशंस ने हाल ही में दुनिया की जो हैप्पीनेस रिपोर्ट प्रस्तुत की है, उसमें अभी हम 136वें नंबर पर हैं, जबकि पिछले साल हम 139वें पायदान पर थे। यानी हम सुधर रहे हैं। लाफ्टर योग कम्युनिटी मई महीने के पहले संडे को लाफ्टर डे मनाती है। यों भी पोस्ट कोविड दुनिया में लाफ्टर थेरैपी की जबर्दस्त जरूरत है।

यूनाइटेड नेशंस ने हाल ही में दुनिया की जो हैप्पीनेस रिपोर्ट प्रस्तुत की है, उसमें अभी हम 136वें नंबर पर हैं, जबकि पिछले साल हम 139वें पायदान पर थे। यानी हम सुधर रहे हैं। लाफ्टर योग कम्युनिटी मई महीने के पहले संडे को लाफ्टर डे मनाती है। यों भी पोस्ट कोविड दुनिया में लाफ्टर थेरैपी की जबर्दस्त जरूरत है।

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यूनाइटेड नेशंस ने हाल ही में दुनिया की जो हैप्पीनेस रिपोर्ट प्रस्तुत की है, उसमें अभी हम 136वें नंबर पर हैं, जबकि पिछले साल हम 139वें पायदान पर थे। यानी हम सुधर रहे हैं। लाफ्टर योग कम्युनिटी मई महीने के पहले संडे को लाफ्टर डे मनाती है। यों भी पोस्ट कोविड दुनिया में लाफ्टर थेरैपी की जबर्दस्त जरूरत है।

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क्या आप जानते हैं कि हमारे देश का हैप्पीनेस ग्राफ कैसा है ! हम भारतीय जबर आशावादी हैं, हर आपदा में अवसर तलाश लेते हैं। तो बताते चलें कि वर्ष 2021 से 2022 तक आते-आते हमारा हैप्पीनेस ग्राफ 3 पॉइंट सुधर चुका है। यूनाइटेड नेशंस ने हाल ही में दुनिया की जो हैप्पीनेस रिपोर्ट प्रस्तुत की है, उसमें अभी हम 136वें नंबर पर हैं, जबकि पिछले साल हम 139वें पायदान पर थे। यानी हम सुधर रहे हैं।

लाफ्टर योग कम्युनिटी मई महीने के पहले संडे को लाफ्टर डे मनाती है। यों भी पोस्ट कोविड दुनिया में लाफ्टर थेरैपी की जबर्दस्त जरूरत है। द लाफ्टर क्लब मूवमेंट की शुरुआत 1995 में मुंबई में हुई थी और आज 116 देशों में इसकी शाखाएं हैं। डॉ. मदन पेशे से चिकित्सक हैं और उनका कहना है कि पोस्ट कोविड दौर में हंसी की जरूरत कई गुना बढ़ गयी है, क्योंकि लोगों के पास काम नहीं है, सेहत बिगड़ चुकी है, संसाधन कम हो गए हैं, काम का तनाव घेर रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से महंगाई आसमान छू रही है। मगर इसका मतलब यह नहीं कि हम निराश बैठ जाएं, शरीर व मन को रोगों का घर बना लें। हमने हैप्पीनेस के लिए लाफ्टर योगा और ब्रीदिंग एक्सरसाइज को कंबाइन किया है। इसके जरिये हम सुख-दुख दोनों में हंस सकते हैं। हंसने से इम्युनिटी बढ़ती है। यह स्वस्थ रहने का सबसे सस्ता-टिकाऊ और प्रभावकारी उपाय है। लोग खुश रहेंगे, तो दुनिया में शांति आएगी। अच्छी बात यह है कि चाहे आप मन से हंसें या हंसने की एक्टिंग करें, इसका प्रभाव सकारात्मक पड़ता है। 

लाफ्टर योगा है क्या, इसके बारे में डॉ. मदन कहते हैं कि इसमें 4 क्रियाएं होती हैं। इसे 15 से 30 मिनट तक रोजाना किया जाना चाहिए। पहली क्रिया है- हंसते हुए ताली बजाना। इसमें हमारे क्लब के सदस्य हा-हा, हो-हो करके जोर से हंसते हैं। दूसरी क्रिया में नाक से लंबी सांस लें और फिर हंसते हुए सांस छोड़ें। ब्रीदिंग और लाफ्टर को कंबाइन करने वाली यह क्रिया बहुत प्रभावकारी है। तीसरी क्रिया में मासूम बच्चों की तरह किसी भी बात पर हंसना है। जैसे लड़ते हुए हंसना, किसी को कुछ देते हुए हंसना। चौथी क्रिया में कुछ लाफ्टर एक्सरसाइज हैं। इनमें अलग-अलग व्यायाम हैं। हंसने से एंडोर्फिन का स्राव होता है, जो फील गुड हारमोन है। इससे लोग खुश रहते हैं। खुश रहने से दोस्त बनते हैं और सामाजिक दायरा बढ़ता है। भारत के कई शहरों में सार्वजनिक पार्कों में लाफ्टर क्लब चल रहे हैं, कुछ ऑनलाइन क्लासेज भी हो रही हैं। 

हंसी के फायदे बताते हुए डॉ. कटारिया कहते हैं कि हंसी लंबी होनी चाहिए। हास्य योग में हंसी 15 मिनट तक भी चल सकती है। व्यक्ति को ठहाके लगाने चाहिए। यह हंसी पेट से आनी चाहिए। हंसी का कोई कारण ना हो, तो भी हंसना चाहिए। शरीर को यह नहीं पता चलता कि हंसना अकारण हो रहा है या उसकी एक्टिंग की जा रही है। हंसने से फेफड़े खुलते हैं और उन्हें ऑक्सीजन मिलती है। हास्य योग सिखाता है कि सिर्फ अच्छे वक्त में ही नहीं, बुरे वक्त में भी हंसा जा सकता है। हंसने से डोपामाइन और सेरोटोनिन जैसे हारमोन्स के स्राव से डिप्रेशन कम होता है। यही नहीं, हंसने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे ब्रोंकाइटिस, दमा, कैंसर जैसी बीमारियां पास नहीं फटकतीं और लंबी बीमारियों या लंबे दर्द से भी निजात मिलती है। डॉ. मदन कटारिया का मानना है कि तनाव-दबाव से भरी दुनिया में रोज अगर 15-20 मिनट हास्य योग कर लिया जाए, तो बहुत सी परेशानियां खुद दूर हो जाएंगी। ब्रीदिंग के साथ इस लाफ्टर योग को मिला लिया जाए, तो नतीजे बहुत अच्छे हो सकते हैं।