एक सास जिसने करवायी अपनी बहू की शादी
राजस्थान के सीकर के एक गांव में हाल ही में एक सास ने अपनी विधवा बहू की शादी करवायी है। महज 3 महीने की शादी के बाद जब कमला देेवी का बेटा चल बसा, तो उनके दिल में बस यही सवाल था कि बहू, जो महज 21 साल की है अपना जीवन कैसे काटेगी।
राजस्थान के सीकर के एक गांव में हाल ही में एक सास ने अपनी विधवा बहू की शादी करवायी है। महज 3 महीने की शादी के बाद जब कमला देेवी का बेटा चल बसा, तो उनके दिल में बस यही सवाल था कि बहू, जो महज 21 साल की है अपना जीवन कैसे काटेगी।
राजस्थान के सीकर के एक गांव में हाल ही में एक सास ने अपनी विधवा बहू की शादी करवायी है। महज 3 महीने की शादी के बाद जब कमला देेवी का बेटा चल बसा, तो उनके दिल में बस यही सवाल था कि बहू, जो महज 21 साल की है अपना जीवन कैसे काटेगी।
राजस्थान के सीकर के एक गांव में हाल ही में एक सास ने अपनी विधवा बहू की शादी करवायी है। महज 3 महीने की शादी के बाद जब कमला देवी का बेटा चल बसा, तो उनके दिल में बस यही सवाल था कि बहू, जो महज 21 साल की है अपना जीवन कैसे काटेगी।
एक सास के बहुत अरमान होते हैं, जब वह अपनी बहू को लाती है। मेरे भी थे। मुझे सुनीता बहुत प्यारी लगती थी, वह मेरे बेटे की पसंद थी। घर में जब आयी, तो बहुत ही अपनेपन से रहने लगी। उसकी हंसी से मेरे घर में रौनक हो गयी। शादी के कुछ समय बाद ही मेरे बेटे को एमबीबीएस करने किर्गिस्तान जाना था। बेटे के विदेश चले जाने के बाद भी उसके व्यवहार में कोई कमी नहीं आयी। जीवन बहुत खुशहाल था, लेकिन तभी अचानक मेरे जीवन में भूचाल आया। मेरे बेटे को किर्गिस्तान में ही ब्रेन स्ट्रोक हुआ और वह चल बसा।
लगा दुनिया खत्म हो गयी
बेटा अगर दुनिया में ना रहे, तो मां की हालत क्या होगी, यह तो शब्दों में बयां करना मुश्किल है। एक सदमा था, जो मेरे पूरे परिवार को लगा। कुछ सोचने-समझने की स्थिति में हम लोग कुछ महीनों तक नहीं थे। लेकिन इस सदमे से बाहर आ कर जब अपनी बहू की तरफ देखा, तो वह सवाल और चुनौती बन कर मेरे सामने खड़ी थी। साथी के बिना अकेली हो गयी थी वह। कैसे काटेगी इतनी बड़ी जिंदगी? यह सवाल मुझे सोने नहीं देता था।
मम्मी, मैं पढ़ना चाहती हूं
वह मेरे बेटे के चले जाने के बाद बिल्कुल चुप हो गयी थी । कभी बैठे-बैठे रो देती, तो कभी गुमसुम रहती। समझ नहीं आ रहा था कि इस बच्ची का क्या भविष्य होगा। जब पूछा क्या तुम्हें वापस अपने घर जाना है, तो इसने मना कर दिया। वह बोली मम्मी, मैं पढ़ना चाहती हूं। मैंने उसे बताया कि बेटा 4-5 साल लगेंगे तुम्हें अपने पैरों पर खड़े होने में। वह तैयार थी। उस समय मुझे लगा कि जीवन एक नयी करवट लेने को तैयार है।
वह बेटी बन गयी
उसे एमए बीएड करवाया। हम तो गांव में रहते हैं, लेकिन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए उसे शहर पढ़ने भेजा। जब भी घर आती, मेरे कमरे में मेरे साथ ही सोती। उसकी बातें कभी खत्म नहीं होती थीं। कभी सहेलियों की, कभी कॉलेज की बातें करती। मेरे तो 2 बेटे हैं और यह मेरे छोटे बेटे की बीवी है। बहू से बेटी का रास्ता इसने कब तय किया, मुझे पता ही नहीं चला। मैं एक सरकारी टीचर हूं, स्कूल में भी सभी टीचर्स इसके बारे में मुझसे बातचीत करते थे। पूछते थे कि आपकी बिटिया कैसी है, उसकी पढ़ाई कैसी चल रही है।
मुझे शादी करवानी है
जब इसकी सरकारी नौकरी लगी, तब विचार आया कि एक मंजिल तो पा ली, लेकिन अब इसकी शादी करवानी है। शुरुआत में यह तैयार नहीं थी। सास नहीं, अब मां हूं उसकी। उसे मानसिक रूप से मैंने तैयार किया। उसे बताया कि जीवन में आगे बढ़ना कितना जरूरी होता है। मुझे नहीं लगता कि मैंने कुछ अनोखा किया उसके साथ, जो किया मुझे लगता था कि मेरी जिम्मेदारी है। अपने ही घर से मैंने उसे विदा किया। मुझे वह बहुत याद आती है। अपनी शादी के बाद पगफेरे की रस्म के लिए भी वह यहीं आयी थी। यह घर अब उसका मायका है। उसके जीवन को एक नयी दिशा मिली। तसल्ली इस बात की है कि उसका जीवन संवर गया।