नोएडा की फिटनेस कोच और मी स्टूडियो की फाउंडर मीनल पाठक टीवी शोज और कॉरपोरेट ट्रेनिंग के लिए जानी जाती हैं। उम्र के 40वें पड़ाव पर वे स्वयं तो फिट हैं ही, दूसरों को भी फिटनेस के मायने समझा रही हैं। फिटनेस उनके लिए लाइफस्टाइल का जरूरी हिस्सा है।

नोएडा की फिटनेस कोच और मी स्टूडियो की फाउंडर मीनल पाठक टीवी शोज और कॉरपोरेट ट्रेनिंग के लिए जानी जाती हैं। उम्र के 40वें पड़ाव पर वे स्वयं तो फिट हैं ही, दूसरों को भी फिटनेस के मायने समझा रही हैं। फिटनेस उनके लिए लाइफस्टाइल का जरूरी हिस्सा है।

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नोएडा की फिटनेस कोच और मी स्टूडियो की फाउंडर मीनल पाठक टीवी शोज और कॉरपोरेट ट्रेनिंग के लिए जानी जाती हैं। उम्र के 40वें पड़ाव पर वे स्वयं तो फिट हैं ही, दूसरों को भी फिटनेस के मायने समझा रही हैं। फिटनेस उनके लिए लाइफस्टाइल का जरूरी हिस्सा है।

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लगभग 13 वर्ष तक कॉरपोरेट बैंकर रहीं, एवीपी की पोस्ट तक पहुंचीं मीनल पाठक फिटनेस को ले कर शुरू से जागरूक थीं। खुद फिट थीं और अपने कलीग्स और क्लाइंट्स को भी फिटनेस संबंधी सलाह देती रहती थीं। एक बार मुंबई ताज में जुंबा फिटनेस सेशन अटेंड किया। यह कई साल पहले की बात है, जब जुंबा के बारे में लोग कम ही जानते थे। महिलाएं जिम भी कम ही जाती थीं। उन्हें जुंबा का कॉन्सेप्ट बहुत पसंद आया। उन्हें लगा कि भागमभाग वाले जीवन में लोग बहुत तनावग्रस्त हैं, सेहत व डाइट का ध्यान नहीं रख पा रहे। एक बार यह बात दिमाग में आयी तो फिर जॉब स्विच करने के बारे में सोचा। इस तरह 10 साल पहले उनके मी स्टूडियो की शुरुआत हुई। इसकी एक वजह बकौल मीनल यह थी कि, ‘‘बैंकिंग सेक्टर में तब बड़े बदलाव हो रहे थे। मेरे बच्चे छोटे थे। कई बार मैं देर शाम घर लौटती तो बच्चे सो रहे होते थे, सुबह घर से निकलती तो भी वे सोते थे। मुझे लगा कि पैसे और घर के बीच तालमेल बिठाना जरूरी है। हालांकि तब भी मैं छुट्टी वाले दिन कोशिश करती थी कि बच्चों को 3-4 घंटे क्वॉलिटी टाइम दे सकूं। मैं उनके साथ खेलती, एक्सरसाइज करती, कहानियां पढ़ती...। मैं हमेशा खुशमिजाज मां बन कर रही।’’

फिटनेस के बारे में मीनल का विचार बिलकुल अलग है। वे कहती हैं, ‘‘कई बार लोग दुबला-पतला होने को ही फिटनेस मान लेते हैं, मगर फिटनेस इससे आगे की चीज है। यह लाइफस्टाइल का हिस्सा है। जीवन की आखिरी सांस तक आप अपने कार्य खुद कर पाते हैं, जरूरत पड़ने पर छोटे बच्चे को गोद में उठा कर 30 सीढ़ियां चढ़ जाते हैं या 1-2 किलोमीटर तेज गति से चल लेते हों तो यही फिटनेस है। अगर अपने शरीर के साथ कंफर्टेबल हैं तो फिट हैं। यह तो फिजिकल फिटनेस की बात हुई, लेकिन फिटनेस में भोजन का भी बड़ा योगदान है। जो खाना हमारे पूर्वजों ने खाया, वैसा ही हमें भी चाहिए। आज हम मिलेट्स को दोबारा अपनी थाली में वापस ला रहे हैं, धूप में कुछ देर रहना चाहते हैं, नीचे बैठ कर खाना चाहते हैं, चल रहे हैं, दौड़ रहे हैं, तो कहीं ना कहीं हमें यह बात समझ आ रही है कि हमारे पूर्वजों की जीवनशैली हमसे बहुत बेहतर थी।’’

आज बच्चे-बूढ़े-युवा सभी को नींद संबंधी समस्याएं हैं। इसके लिए मीनल सलाह देती हैं कि सप्लीमेंट्स लेने के बजाय पालक का सूप पी लें, नींद अच्छी आएगी। बच्चों की आंखों और त्वचा को सेहतमंद बनाए रखने के लिए उन्हें किसी भी रूप में गाजर खाने को दें। फ्रिज में बेकरी या फ्रोजन आइटम्स के बजाय नट्स, सीड्स, फ्रूट्स भरें। डाइट से चीजें ठीक रहेंगी तो दवाओं या सप्लीमेंट्स की जरूरत नहीं पड़ेगी। हर खाद्य पदार्थ खाएं, थोड़ी-थोड़ी मात्रा में। अपने खाने से प्यारा रिश्ता बनाएं। अपनी थाली में एक रोटी, एक कटोरी सब्जी, दाल, सलाद और दही एड करें। यह कंप्लीट फूड है, इतना भी कर लेंगे तो स्वस्थ रहेंगे। रात का खाना जल्दी खाएं, सब्जियां-फल लोकल मार्केट से खरीदें। प्रोटीन इनटेक का ध्यान रखें, नेगेटिविटी से बचें, न्यूट्रिशन का ध्यान रखें, सुबह उठ कर नीबू डाल कर गुनगुना पानी पिएं, 5 मिनट मलासन में बैठें, सुबह उठ कर मोबाइल देखने के बजाय आधे घंटे वॉकिंग, जॉगिंग, स्ट्रेचिंग या वर्कआउट करें, कुछ देर घास में नंगे पैर चलें, प्रकृति के करीब रहें। साल में एकाध बार खेतों-जंगलों में घूमें, प्रकृति से कनेक्ट करें, इसी से जीवन संतुलित हो जाएगा, स्ट्रेस दूर होगा और एनर्जी रिलीज होगी, चैनलाइज होगी।

40+ महिलाओं को मीनल सलाह देती हैं कि जो भी काम करें, पैशन और खुशी के साथ करें। शरीर की बात सुनें। खुश व मस्त रहें। ना सिक्स पैक्स एब्स बनाने हैं, ना जीरो फिगर दिखानी है, बस एक्टिव रहें। 5 मिनट ध्यान करें, कुछ देर हल्की-फुल्की एक्सरसाइज कर लें तो दिन भर की एनर्जी मिल जाएगी।