बचपन में काफी मुश्किलें झेलनेवाली बॉबी का दिल समाज सेवा के भाव से भरा है। ना सिर्फ अपनी कम्युनिटी, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए काम करने को तत्पर दिल्ली नगर निगम की पहली ट्रांसजेंडर काउंसलर बॉबी किन्नर एक मिसाल हैं।

बचपन में काफी मुश्किलें झेलनेवाली बॉबी का दिल समाज सेवा के भाव से भरा है। ना सिर्फ अपनी कम्युनिटी, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए काम करने को तत्पर दिल्ली नगर निगम की पहली ट्रांसजेंडर काउंसलर बॉबी किन्नर एक मिसाल हैं।

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बचपन में काफी मुश्किलें झेलनेवाली बॉबी का दिल समाज सेवा के भाव से भरा है। ना सिर्फ अपनी कम्युनिटी, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए काम करने को तत्पर दिल्ली नगर निगम की पहली ट्रांसजेंडर काउंसलर बॉबी किन्नर एक मिसाल हैं।

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दिल्ली में हुए पिछले एमसीडी चुनावों में अपनी जीत दर्ज कराने वाली आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार बॉबी किन्नर ने एमसीडी की पहली ट्रांसजेंडर पार्षद होने का गौरव प्राप्त किया है। उन्होंने कांग्रेस की उम्मीदवार वरुणा ढाका को हराया। इन्होंने 2017 के एमसीडी चुनावों में भी बतौर निर्दलीय उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमायी थी, लेकिन उस समय ये चुनाव हार गयी थीं।

बॉबी का जीवन विसंगतियों से भरा रहा। बचपन में वे स्कूल में बुली हुईं और कई प्रताड़ना भी झेलनी पड़ी। यही वजह रही कि उन्होंने नवीं क्लास में ही स्कूल छोड़ दिया। किन्नर समुदाय के पारंपरिक काम करते हुए भी बॉबी में समाज के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा था। समाज सेवा के कामों के साथ बॉबी ने सुलतानपुरी में बच्चों के लिए एक स्कूल भी खोला हुआ है। उन्होंने बहुत सी गरीब लड़कियों की शादियां करायीं। समाज सेवा के कार्यों को करते हुए उनका राजनीति में आने का मार्ग प्रशस्त हुआ। ‘‘मैं चाहती हूं कि हमारे समुदाय के औरर लोग भी सक्रिय राजनीति में आएं,’’ कहती हैं बॉबी। बॉबी हिंदू युवा समाज एकता अवाम एंटी टेररिज्म कमिटी की प्रेसिडेंट भी हैं, जिसके साथ वे पिछले 15 वर्षों से जुड़ी हुई हैं।

परिवार छूटा गुरु मिले

बॉबी कहती हैं कि सबको पता ही है कि हमारे मां-बाप का साया छुटपन से ही छूट जाता है। जब वे 14-15 साल की थीं, तभी उन्हें किन्नर समुदाय के लोग अपने साथ ले गए। फिर बॉबी उन लोगों के साथ शादियों में गाना-बजाना करने लगी। किन्नर के गुरु ही उनके मां-बाप होते हैं। अब उनके गुरु का देहांत हो गया है, अब वे ही अपने ग्रुप की गुरु हैं। उनके साथ 25-30 शिष्य रहते हैं।

राजनीति में आने की वजह

बॉबी कहती हैं, ‘‘मैंने जबसे होश संभाला, देखा कि सभी राजनैतिक पार्टियां भ्रष्टाचार ही कर रही हैं, पब्लिक के हित में कोई काम नहीं करतीं। मेरा राजनैतिक सफर अन्ना हजारे के आंदोलन के समय 2011 में शुरू हुआ था। मैंने देखा कि एक 75 साल का बुजुर्ग पब्लिक के हित के लिए अनशन पर बैठा है, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहा है, तो हम क्यों नहीं कर सकते। यही सब देख कर मेरे मन में राजनीति में आने की इच्छा हुई। जब आम आदमी पार्टी बनी, तो उन्होंने दिल्ली में सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाया, मोहल्ला क्लीनिक बना कर लोगों को सहूलियत दी, बसों में महिलाअों के लिए टिकट फ्री करायी, जरूरतभर की पानी-बिजली फ्री की, यही देख कर मैंने आम आदमी पार्टी जॉइन कर ली। अब राजनीति में आ कर बहुत सी नयी बातें पता चली हैं।’’

कम्युनिटी के लोगों के लिए

बॉबी का मानना है कि उनकी कम्युनिटी को उनके काउंसलर बनने से काफी उम्मीदें जगी हैं। कहती हैं, ‘‘मेरा सरकार से यही कहना होगा कि हमारे समुदाय के बुजुर्गों के लिए वृद्धाश्रम बनाएं, जहां वे आराम से रह सकें। हम लोगों के लिए अलग स्कूल बनने चाहिए, जहां हम अच्छी शिक्षा पा सकें। शिक्षा एेसी चाबी है, जो सभी बंद ताले खोल सकती है।’’ किन्नर समुदाय के कई लोग ट्रैफिक लाइटों पर भीख मांगते नजर आते हैं, उनके लिए इनकी पार्टी कुछ ना कुछ अच्छा करेगी, एेसा बॉबी का मानना है।

आगे की योजनाएं

‘‘मेरे पहले के काउंसलर्स ने जो काम अधूरे छोड़े हैं, उन्हें पूरा करना है। साफ-सफाई के काम, पार्कों का सौंदर्यीकरण, स्कूलों में सुविधाअों का ध्यान रखना है। अपने क्षेत्र का चौतरफा विकास करना मेरी प्राथमिकता में शामिल है,’’ कहना है बॉबी का।

जनता की सेवा ही धर्म

बॉबी कहती हैं, ‘‘ देखिए, मेरा है ही कौन, जिसके लिए मैं गलत काम करके पैसे कमाऊं। मेरा काम अपने क्षेत्र के लोगों के लिए काम करना है और वही करूंगी। अभी मेरे क्षेत्र में एक अधिकारी किसी से घर बनाने को ले कर 2 लाख रुपए मांग रहा था। हमें पता चला, तो हमने उसे जा कर भगाया।’’