एक स्टैंडअप कॉमेडियन, जो बेहद सरलता से काम वाली बाई और मालकिन के बीच की खिटपिट के किस्से सुना-सुना कर लोगों को हंसा-हंसा कर लोटपोट करती है। जानें दीपिका महात्रे का कुक से कॉमेडियन तक का सफर।

एक स्टैंडअप कॉमेडियन, जो बेहद सरलता से काम वाली बाई और मालकिन के बीच की खिटपिट के किस्से सुना-सुना कर लोगों को हंसा-हंसा कर लोटपोट करती है। जानें दीपिका महात्रे का कुक से कॉमेडियन तक का सफर।

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एक स्टैंडअप कॉमेडियन, जो बेहद सरलता से काम वाली बाई और मालकिन के बीच की खिटपिट के किस्से सुना-सुना कर लोगों को हंसा-हंसा कर लोटपोट करती है। जानें दीपिका महात्रे का कुक से कॉमेडियन तक का सफर।

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आज से लगभग 4 साल पहले लोगों के घरों में जा कर काम करने वाली दीपिका महात्रे ने सोचा भी नहीं था कि एक दिन उनकी जिंदगी ऐसा मोड़ लेगी कि वे सोशल मीडिया पर इस कदर वायरल हो जाएंगी कि लोग उनका इंटरव्यू लेने को उतावले हो जाएंगे। वुमंस डे पर सभी महिलाएं अपनी-अपनी तरह से सेलिब्रेशन करती हैं, लेकिन हर साल की तरह यह उनकी जिंदगी में कोई बदलाव नहीं लाता, लेकिन घर-घर जा कर खाने बनाने वाली दीपिका महात्रे के लिए एक वुमंस डे खास बन गया। उस दिन सोसाइटी की महिलाओं ने अपने घरों में काम करनेवाली मेड्स यानी बाइयों के लिए एक छोटे से प्रोग्राम का आयोजन किया, ताकि वे भी एक दिन एंजॉय कर सकें। उस दिन दीपिका ने अपनी स्टैंडअप कॉमेडी से सब को हंसा-हंसा कर लोटपोट कर दिया। उस समय वहां पर एक महिला पत्रकार भी मौजूद थी, जिसने दीपिका की तारीफ करते हुए एक इंटरव्यू अखबार में छाप दिया। थोड़ी सी तारीफ मिली और दीपिका ने घरों में काम करना छोड़ कर स्टैंडअप कॉमेडी की राह पकड़ ली। 

दीपिका अपने इस सफर के बारे में बताते हुए कहती हैं, ‘‘मेरा जन्म मुंबई के प्रभादेवी इलाके में हुआ था। शादी के बाद मैं अपने पति के साथ चॉल में रहने लगी, जब पति बीमार रहने लगे, तो हमारा बुरा वक्त शुरू हुआ। तीन बेटियों की पढ़ाई, पालन-पोषण और घर के खर्चे पूरे करने के लिए मैंने घरों में खाना बनाने का काम करना शुरू कर दिया। जब वे पैसे भी कम पड़ने लगे, तो मैं मुंबई की लोकल ट्रेन में इमिटेशन ज्वेलरी बेचने लगी। सुबह 4.30 बजे मैं घर से निकल जाती थी और 6 बजे तक ट्रेनों में ज्वेलरी बेचते हुए 6.30 बजे अपने काम पर पहुंच जाती थी। लेकिन वुमंस डे के मौके पर हुए फंक्शन ने मेरी जिंदगी बदल दी। इसी दौरान मेरी मुलाकान कॉमेडियन अदिति मित्तल से हुई। उन्होंने मेरी कॉमेडी की तारीफ करते हुए अपने साथ स्टेज शो करने को कहा। मैंने कहा कि मैडम मैंने तो स्कूल में भी कभी ड्रामा नहीं किया, मैं इतने लोगों के सामने स्टेज पर कैसे खड़ी हो पाऊंगी। इसके बाद अदिति जी ने मुझे ट्रेनिंग दी और स्टेज पर खड़े हो कर माइक व ऑडियंस को हैंडल करना सिखाया। धीरे-धीरे मुझे इस काम में मजा आने लगा। सच कहूं, तो तब तक मुझे यह भी नहीं पता था कि स्टैंडअप कॉमेडी किस चिडि़या का नाम है। मेरी बेटी ने ही मुझे इसके बारे में बताया और कई वीडियोज दिखाए।’’

कॉमेडी मार्के की

दीपिका महात्रे की कॉमेडी का मुख्य मुद्दा मैडम और काम वाली बाई ही होती हैं। 20-25 साल तक घरों में काम करने के दौरान कई कड़वे, खट्टे व मीठे अनुभव हुए। चाय का कप, खाने के बर्तन यहां तक कि इन बाइयों के लिए सोसाइटी में लिफ्ट भी अलग हुआ करती है। ऐसी ही कई कड़वी बातों को कॉमेडी की चाशनी में लपेट कर दीपिका जब स्टेज से अपनी बात कहती है, तो दर्शकों के ठहाकों में इस अमानवीय व्यवहार का दर्द भी घुला हुआ दिखायी देता है। दसवीं पास दीपिका आज जब पीछे मुड़ कर देखती है, तो अभी भी ओ काम वाली बाई, ओ नेकलेसचेन वाली आवाजें कानों में पड़ती हुई महसूस होती हैं। लेकिन आज की हकीकत कुछ और है। इस काम वाली बाई की पहचान और काम दोनों बदल चुके हैं। अब लोग दीपिका जी कह कर बुलाते हैं, सेल्फी खिंचवाने की होड़ में रहते हैं और कन्नी काटने वाले रिश्तेदार टूटे रिश्ते जोड़ने की फिरोक में रहते हैं। दीपिका का कहना है, ‘‘पहले मुझे ऐसा लगता था कि जैसे मेरी जिंदगी कभी सुधरेगी नहीं, नाला सोपारा की इसी चॉल में अपनी परेशानियों से जूझते हुए ही मैं इस दुनिया को अलविदा कह दूंगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। आज उसी नाला सोपारा में मैं किसी सेलिब्रिटी की तरह रहती हूं। पड़ोसी अपने रिश्तेदारों को मुझसे मिलवाने के लिए लाते हैं और अब मेरे घर में काम करने के लिए काम वाली बाई आती है।’’

स्वभाव से चुलबुली दीपिका हंसते हुए बताती हैं कि पूरे भारत के शहरों में मेरे कई शोज हो चुके हैं, अब विदेशों की बारी है। दीपिका की कहानी ऐसी महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो रोजाना संघर्ष से गुजरते हुए भरपूर मेहनत करती हैं। बकौल दीपिका, ‘‘जब काम करना ही है, तो रोने से क्या फायदा, हंसते हुए काम करो, इससे सेहत भी अच्छी रहती है। मैं हर महिला को यही कहना चाहूंगी कि सभी के जीवन में उतार चढ़ाव आते हैं, इसकी टेंशन नहीं लेनी चाहिए।’’ 

रैपिड फायर विद दीपिका

कपिल शर्मा मिल जाएं तो क्या कहेंगी- हम दोनों बिल्कुल एक जैसे हैं, आपको भी इंग्लिश नहीं आती और मुझे भी नहीं आती, चलो मिल कर शो बनाते हैं।

भारती सिंह से क्या कहेंगी- अरे यार, हम दोनों जुड़वां बहनें तो नहीं हैं कहीं। 

सिद्धूजी से क्या कहेंगी- सर जी, आप ही की तरह जज बनना चाहती हूं। 

नरेंद्र मोदी से क्या कहेंगी- दुनिया बदल दीजिए भाईसाहब, घर का काम करने वालों की पगार तो बढ़ा दो।

अमिताभ बच्चन से क्या कहेंगी- सर जी मेरे हसबैंड की हाइट आपकी तरह है और मेरी जया जी जैसी। एक बार तो किसी फिल्म में मुझे ले लीजिए।

आपका अधूरा सपना- बस एक सुंदर सा घर मिल जाए।