म घर पर कॉमेडी पर बहुत गंभीरता से बात करते हैं। बाहर की राय तो बाद में मिलती है, घर में आलोचना या सराहना पहले होती है। मेरा भाई जस्सी और चाचा भी बहुत फनी हैं। हम सब एक-दूसरे को सपोर्ट करते हैं

म घर पर कॉमेडी पर बहुत गंभीरता से बात करते हैं। बाहर की राय तो बाद में मिलती है, घर में आलोचना या सराहना पहले होती है। मेरा भाई जस्सी और चाचा भी बहुत फनी हैं। हम सब एक-दूसरे को सपोर्ट करते हैं

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म घर पर कॉमेडी पर बहुत गंभीरता से बात करते हैं। बाहर की राय तो बाद में मिलती है, घर में आलोचना या सराहना पहले होती है। मेरा भाई जस्सी और चाचा भी बहुत फनी हैं। हम सब एक-दूसरे को सपोर्ट करते हैं

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बॉलीवुड के जाने-माने एक्टर-कॉमेडियन जॉनी लीवर की बेटी जैमी लीवर उन कॉमेडियन्स में हैं, जिन्होंने साबित किया है कि लड़कियां भी फनी होती हैं और कॉमेडी की दुनिया में राज कर सकती हैं। जैमी लीवर ने लंदन बेस्ड मार्केट रिसर्च एजेंसी से 2012 में कैरिअर की शुरुआत की, लेकिन खून में तो कॉमेडी घुली थी। जैमी कहती हैं, ‘‘घर में कभी हम बच्चों पर कोई दबाव नहीं रहा। हां, शुरुआत में पढ़ाई पर फोकस ज्यादा था। माता-पिता को तो लगता ही है कि उनकी बेटी जीवन में अच्छी तरह सेटल हो जाए, मेरे पेरेंट्स भी ऐसा ही सोचते थे। वे चाहते थे कि मैं किसी मुश्किल में ना पड़ूं। जब कॉमेडी में आयी, तो लोगों को लगा था कि लड़की है, ज्यादा दिन नहीं टिक सकेगी। दर्शकों को लगता होगा कि पता नहीं कितना आगे तक जा सकेगी। पर मैं टिक गयी। मैंने आशा भोंसले जैसी महान सिंगर की मिमिक्री की। अब तो यह हाल है कि नींद में भी उनकी मिमिक्री कर सकती हूं।’’ मशहूर पिता की बेटी होने का दबाव कितना होता है, इस पर जैमी कहती हैं, ‘‘जॉनी लीवर घर में मेरे पिता हैं, मगर काम के लिहाज से सीनियर हैं। इसलिए वे मेरे गाइड और मेंटर भी हैं। हम घर पर भी काम को ले कर काफी बातें करते हैं। वे मुझे सुझाव देते हैं, किसी काम को कैसे आगे बढ़ाया जा सकता है, कैसे कॉमेडी में कुछ अलग कर सकते हैं, यह सब कुछ डैड मुझे बताते हैं। दूसरी ओर सोशल मीडिया से जुड़ी जानकारियां वे मुझसे मांगते हैं।’’ 

कोविड टाइम में काम को कैसे मैनेज किया, पूछने पर जैमी कहती हैं, ‘‘पिछले 2 वर्षों में सोशल मीडिया ने हम जैसे कलाकारों की बड़ी मदद की। मैं लगातार वीडियो बना कर अपलोड करती रही, मेरी फैन फॉलोइंग बढ़ी। इन 2 वर्षों में जब दुनिया का हाल बुरा था, मैंने सोच लिया था कि लोगों को हंसाऊंगी, भले ही इसके लिए मुझे पैसे मिलें या नहीं। सोशल मीडिया ने मेरी रीच बढ़ायी, मुझे इसके जरिये काम भी मिला। लोगों ने दिल खोल कर मेरा स्वागत किया। कहीं भी जाऊं, मुझे लोग पहचानने लगते हैं। अभी मैं बहुत से प्रोजेक्ट्स में जुटी हूं। एक फिल्म की शूटिंग बनारस में की है। इसमें रघुवीर यादव और सीमा पाहवा भी हैं। ओटीटी में एक वेबसीरीज पर काम कर रही हूं, एक शॉर्ट फिल्म की बात भी चल रही है। बाकी मेरा अपना काम तो है ही।’’

कोई दिलचस्प अनुभव या प्राउड मोमेंट... जैमी कहती हैं, ‘‘एक बार उषा उथुप जी ने मुझे कॉल किया। उन्होंने कहा कि मैं उनकी मिमिक्री करूं। यह तब की बात है, जब आशा ताई की मिमिक्री लोग बहुत पसंद कर रहे थे। मेरे लिए यह प्राउड मोमेंट था। कई बार पापा भी कहीं जाते हैं, तो लोग उनसे मेरे बारे में पूछते हैं। वे अकसर कहते हैं कि यह तुम्हारा टाइम है।’’ 

कॉमेडी हाल के सालों में कितनी बदली है? जैमी का मानना है कि उनके पिता के समय में वे एक बार में 5-5 फिल्में कर लेते थे, लेकिन आज सब कुछ बहुत डिटेल में होता है, दर्शक डिमांडिंग हैं, लोगों की सेंस ऑफ ह्यूमर बहुत बढ़ी है। कॉमेडियन के बोलने से पहले ही लोग हंसने लगते हैं। दर्शक कॉमेडियन से भी ज्यादा फनी हैं, तो कॉमेडी काफी मुश्किल भी हो गयी है। किसी को हंसाना आसान काम नहीं होता। कॉमेडी में सबसे जरूरी है कि हम नया क्या दे रहे हैं। मैं जब मिमिक्री में आयी, तो इस फील्ड में कोई दूसरा यह काम नहीं कर रहा था। यह यूनीक चीज थी। किसी की नकल ना करना, अपना मौलिक काम करना बहुत जरूरी है। मैं आशा ताई की मिमिक्री इसलिए कर पायी, क्योंकि मुझे संगीत की समझ है। सोनम कपूर और फराह खान को लोगों ने मेरे जरिये एक अलग रूप में देखा। कॉमेडी मेहनत का काम है, बहुत होमवर्क करना पड़ता है इसमें। टेक्निकल चीजें होती हैं, कॉमेडी टाइमिंग पर ध्यान देना होता है।’’ 

सोशल मीडिया के जमाने में ट्रोलिंग एक आम प्रथा बनती जा रही है। इस पर जैमी कहती हैं, ‘‘मैं अपनी पोस्ट पर आए लगभग सारे कमेंट्स पढ़ती हूं। 90 फीसदी तक अच्छे कमेंट्स होते हैं। कुछ अजीब भी होते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि ये खुद में दुखी लोग हैं, तो इन्हें क्या जवाब देना। मैं अपना काम करने में यकीन करती हूं।’’