मैरिड लाइफ में उत्साह, उमंग, खुशी बनाए रखने के लिए हेल्दी सेक्सुअल रिलेशनशिप जरूरी है, लेकिन क्या स्त्रियों की सेक्सुअल लाइफ पर्याप्त सुखद होती है? सेक्स को ले कर स्त्रियों की उलझनों पर डॉ. अनुनीत सब्बरवाल से जानिए उनकी राय-

मैरिड लाइफ में उत्साह, उमंग, खुशी बनाए रखने के लिए हेल्दी सेक्सुअल रिलेशनशिप जरूरी है, लेकिन क्या स्त्रियों की सेक्सुअल लाइफ पर्याप्त सुखद होती है? सेक्स को ले कर स्त्रियों की उलझनों पर डॉ. अनुनीत सब्बरवाल से जानिए उनकी राय-

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मैरिड लाइफ में उत्साह, उमंग, खुशी बनाए रखने के लिए हेल्दी सेक्सुअल रिलेशनशिप जरूरी है, लेकिन क्या स्त्रियों की सेक्सुअल लाइफ पर्याप्त सुखद होती है? सेक्स को ले कर स्त्रियों की उलझनों पर डॉ. अनुनीत सब्बरवाल से जानिए उनकी राय-

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मैरिड लाइफ में उत्साह, उमंग, खुशी बनाए रखने के लिए हेल्दी सेक्सुअल रिलेशनशिप जरूरी है, लेकिन क्या स्त्रियों की सेक्सुअल लाइफ पर्याप्त सुखद होती है? उनके मन की परतों में दबी हजार उलझनें उन्हें प्यार के उस मीठे अहसास से दूर रखती हैं, जिसकी उन्हें तलाश रहती है। सेक्स को ले कर स्त्रियों की उलझनों पर डॉ. अनुनीत सब्बरवाल से जानिए उनकी राय- 

प्रश्नः महिलाएं सेक्स को ले कर कितना सोचती हैं? क्या रुटीन के कामों में एक बार भी उन्हें सेक्स का ख्याल आता है?

उत्तरः पुरुषों की तुलना में स्त्रियां सेक्स को ले कर ज्यादा नहीं सोचतीं। कई शोध भी यही बताते हैं कि सेक्स के मामले में पुरुष 1 घंटे में दो बार सोचते हैं, क्योंकि पुरुष के लिए सेक्स सिर्फ शरीर से जुड़ी बात होती है। महिलाओं के साथ ऐसा नहीं होता। काम के दौरान वे केवल काम के बारे में सोचती हैं। जब वे साथी के बारे में सोचती हैं, तो उन्हें सेक्स के बजाय इमोशनल लगाव ज्यादा आकर्षित करता है। डॉक्टरों की राय में सेक्स के बारे में सोचने से ही उसके प्रति जिज्ञासा बनती है। महिलाओं को चाहिए कि वे खाली समय में टीवी के चैनल बदलने के बजाय अपने साथी के साथ खिंची फोटो देखें, रोमांटिक किताबें पढ़ें और पोर्न मूवी देखें। कुछ रोमांटिक पल साथ-साथ गुजारें। यही बातें सेक्स लाइफ को हेल्दी बनाए रखने में मदद करेंगी। 

प्रश्नः क्या महिलाएं साथी के आगे सेक्स की मांग रखती हैं? 

उत्तरः साथी से सेक्स की मांग को ले कर स्त्री हमेशा दुविधा में रहती है। उन्हें बचपन से यही सिखाया जाता है कि सेक्स बहुत गंदी चीज है। उन महिलाओं की संख्या कम है, जो ऑर्गेज्म को जानती हैं व अपने साथी से इसकी मांग भी करती हैं। जहां तक प्रेम और सेक्स को ले कर अपनी मन की इच्छाएं जाहिर करने की बात है, वे अपने तन की तरंगों को दबाए रखने में रखने में विश्वास करती हैं। कभी जिज्ञासावश पोर्न देखती भी हैं, तो उनका मन घृणा से भर उठता है। डॉक्टरी राय के मुताबिक वे जब तक अपनी बातों को जाहिर नहीं करेंगी, तब तक सेक्सुअल लाइफ अच्छी कैसे होगी। अगर सेक्स शब्द से स्त्री को डर लगता है, उन्हें शरम आती है या उन्हें ऐसा लगता है कि यह गंदी चीज है, तो दिन में 15 मिनट तक 2 बार पोर्न मूवी देखें। हस्तमैथुन करें। ऐसा एक हफ्ते तक भी करेंगी, तो सेक्स के दौरान अच्छा लगने लगेगा और साथी से खुलेंगी भी।

प्रश्नः क्या महिलाएं कॉन्ट्रासेप्शन को ले कर सजग हैं? 

उत्तरः इंडियन वुमन को सेक्सुअल प्लेजर के बारे में भले ही ज्ञान ना हो, लेकिन गर्भ निरोध के बारे में जानकारी होती है। डॉक्टरी राय के मुताबिक ज्यादातर महिलाएं कोई ना कोई गर्भनिरोध इस्तेमाल कर रही हैं। सेक्स प्लेजर में कभी भी कॉन्ट्रासेप्शन आड़े नहीं आता है। हर स्त्री को सेक्स में हमेशा प्लेजर और प्रिकॉशन के बीच बैलेंस बैठाना आना चाहिए। बार-बार कंसीव करने और अबॉर्शन से उनकी सेहत के साथ खिलवाड़ होता है। बेहतर है कि कॉन्ट्रासेप्शन का इस्तेमाल किया जाए। 

प्रश्नः क्या सेक्स के दौरान किसी तीसरे का ख्याल आता है? क्या इसे ले कर मन शर्मिंदगी या उधेड़बुन तो नहीं है?

उत्तरः यह समस्या तब आती है जब महिला अपने पार्टनर से संतुष्ट ना हो। उनका साथी दिखने में कमतर या उनकी लाइफस्टाइल कमजोर हो। कुछ महिलाओं के पति मोटे या पतले होते हैं, पान-तंबाकू ज्यादा खाते हैं शराब और सिगरेट भी पीते हैं, जिससे महिलाओं को उत्तेजित होने में दिक्कत होती है। इसीलिए यह असामान्य बात नहीं है कि तीसरे आदमी के बारे में सेक्स के दौरान ख्याल आता हो, यह उन्हें खुशी देता है। सही-गलत के चक्कर में ना ही पड़ें, तो बेहतर है। सुख मिलना ही खास बात है और वही होना चाहिए। 

प्रश्नः महिला को क्या अपनी बॉडी इमेज परेशान करती है? 

उत्तरः स्लिम महिलाएं भी सेक्स में असंतुष्ट हो सकती हैं और उनका कॉन्फिडेंस जीरो हो सकता है। दूसरी ओर मोटी महिलाएं दिन में 2-3 बार कॉन्फिडेंस के साथ सेक्स कर सकती हैं। डॉक्टरों के मुताबिक सेक्स में शेप एंड साइज से कोई भी फर्क नहीं पड़ता । इन सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप कितने खुश हैं। आपका कनेक्शन अपने पार्टनर के साथ कितना मजबूत है। आपको खुद पर कितना भरोसा है और आप अपने पार्टनर को आकर्षित करने में कितने सफल हैं। यह सोच कॉन्फिडेंस बढ़ाती है और इससे सेक्सुअल लाइफ इंप्रूव होती है। सेंसुअल सेक्स लाइफ के लिए बॉडी इमेज इतनी जरूरी नहीं है, जितना एक-दूसरे के प्रति लगाव और आकर्षण जरूरी है। बहुत सी मोटी महिलाएं होती हैं, जिन्हें लगता है हमारे अंदर कोई दिक्कत नहीं है। वे खुद को अच्छी तरह से मैनेज कर लेती हैं। अच्छी बॉडी इमेज सेक्स का कॉन्फिडेंस बढ़ाती है। उनकी बॉडी इमेज अच्छी नहीं है, तो उन्हें अपने बदन को ले कर हीन भावना होती है। जब खुद ही अपने को ले कर नापसंद करेंगी, तो उन्हें कोई और पसंद क्यों करेगा।

प्रश्नः ऑर्गेज्म के बाद कुछ महिलाएं हंसती या रोती हैं। ऐसा क्यों?

उत्तरः ऑर्गेज्म के बाद 10 से 15 प्रतिशत महिलाएं रोती हैं। रोने और हंसने के पीछे बहुत साधारण मनोविज्ञान है। स्त्री जब खुश होती है,तभी हंसती है। रोती इसीलिए हैं जब उन्हें अपने साथी को खोने का डर हो। उन्हें लगता है, जिसे मैं चाहूं, वह मुझसे अलग ना हो। कभीकभार दुखदायी अतीत भी ऑर्गेज्म के बाद उनके रोने की वजह होती है। 

प्रश्नः क्या महिला ऑर्गेज्म के सच और झूठ में उलझती हैं?

उत्तरः बचपन से भारतीय महिलाओं को यह सिखाया जाता है कि सेक्स सिर्फ पुरुषों के लिए होता है। उन्हें यह नहीं बताया जाता है कि स्त्री भी सेक्स सुख की हकदार है। इसीलिए इस बारे में वह सोचती ही नहीं। दूसरी ओर, पुरुष अपने प्लेजर को ही ध्यान में रखता है। कम पुरुष हैं, जिन्हें अपने साथी के सुख व संतुिष्ट को ले कर फिक्र है। आज भी 30-40 वर्ष तक की उम्र की महिलाएं ऑर्गेज्म और क्लाइटोरिस से मिलने वाले सुख से अंजान है। आज धीरे-धीरे युवा स्त्री इस सुख को खुद खोज पाने में कामयाब हो रही है। 

प्रश्नः क्या महिलाएं सेक्सुअल लाइफ को सहेली से शेअर करती हैं?

उत्तरः महिलाओं को अपनी सेक्सुअल लाइफ अपने बहनों या भाभियों से शेअर करना सबसे ज्यादा पसंद है, जो बड़ी अजीब सी बात है। इसका मकसद ही यही है कि वह बाकियों से अपनी सेक्स लाइफ कैसे बेहतर बना सकती है। यही उसकी सेक्सुअल नॉलेज को बढ़ाती है। पर उससे अच्छा है इसके बारे में किसी डॉक्टर से मिल कर सलाह लें। महिलाएं अपनी सहेलियों के साथ सेक्सुअल लाइफ बिलकुल शेअर नहीं करती हैं। ऐसा करना उन्हें असुरक्षित लगता है।