सिगरेट की आदत ना सिर्फ सेहत पर असर करती है, बल्कि रिश्ते के लिए आफत बन जाती है। सिगरेट पीने वाले पति की लाइफ में कुछ ऐसे टर्निंग पॉइंट होते हैं, जब वे चाहें, तो सिगरेट छोड़ सकते हैं। इसमें पत्नी उनकी मदद कर सकती हैं।

सिगरेट की आदत ना सिर्फ सेहत पर असर करती है, बल्कि रिश्ते के लिए आफत बन जाती है। सिगरेट पीने वाले पति की लाइफ में कुछ ऐसे टर्निंग पॉइंट होते हैं, जब वे चाहें, तो सिगरेट छोड़ सकते हैं। इसमें पत्नी उनकी मदद कर सकती हैं।

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सिगरेट की आदत ना सिर्फ सेहत पर असर करती है, बल्कि रिश्ते के लिए आफत बन जाती है। सिगरेट पीने वाले पति की लाइफ में कुछ ऐसे टर्निंग पॉइंट होते हैं, जब वे चाहें, तो सिगरेट छोड़ सकते हैं। इसमें पत्नी उनकी मदद कर सकती हैं।

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सिगरेट पीने वाले पति की लाइफ में कुछ ऐसे टर्निंग पॉइंट होते हैं, जब वे चाहें, तो सिगरेट छोड़ सकते हैं। इसमें पत्नी उनकी मदद कर सकती हैं।

टर्निंग पॉइंट 1- शादी से पहले पति को स्मोकिंग की आदत पड़ी हुई है, तो उन्हें समझाएं कि यह चेतावनी नहीं है, लेकिन उनसे अनुरोध है कि यही सही समय है कि वे सिगरेट छोड़ने की सोच सकते हैं, क्योंकि आप उनकी लाइफ में आने वाली हैं। यकीनन ! इस मधुर टर्निंग पाइंट के लिए पुरुष स्मोकिंग छोड़ने की पहल कर सकते हैं। 

टर्निंग पॉइंट 2- शादी के बाद जब पति और पत्नी बेबी प्लान करने जा रहे हैं, तो पत्नी को चाहिए कि वह पति को सिगरेट छोड़ने के लिए कहें। होने वाले बेबी पर पैसिव स्मोकिंग के बुरे असर और बच्चे के स्वास्थ्य को ले कर उनकी जिम्मेदारी के विषय में बताए। पत्नी एक दिन में ही उन्हें पूरी उम्र के लिए सिगरेट छोड़ने के लिए फोर्स नहीं कर सकती। पर पति के जीवन के टर्निंग पाइंट्स हैं, जहां पर साथी सिगरेट छोड़ने का मन बना सकते हैं। 

टर्निंग पॉइंट 3- जहां दंपती फैमिली प्लानिंग की सोच रहे हैं, वहां यह जरूरी है कि व्यर्थ के खर्चों पर कंट्रोल किया जाए। अच्छी क्वाॅलिटी की सिगरेट की कीमत भी ज्यादा है। 

टर्निंग पॉइंट 4- जीवन में तीसरा समय तब आता है, जब बच्चे सिगरेट के कश को गौर से देखते हैं और इस नशे को समझने लगते हैं। ऐसी स्थिति में पति को यह बताने की जरूरत है कि बच्चों के सामने कोई भी खराब उदाहरण रखने से बचना चाहिए। खासकर किशोरावस्था की ओर बढ़ते हुए बच्चों के पेरेंट्स को ध्यान में रखने की जरूरत है।

टनिंग पाइंट 5- डॉ. प्रशांत छाजेड़ कहते हैं, ‘‘हमारे पास ऐसे भी मरीज आते हैं, जिनको लगातार सिगरेट पीने से सांस और फेफड़ों की समस्या शुरू हो जाती है। ऐसे में उनकी काउंसलिंग करने की आवश्यकता है। उन्हें बताने की जरूरत होती है कि कैसे उनकी हेल्थ पूरी तरह से प्रभावित हो रही है, उनके लिए खुद के स्वास्थ्य के अलवा परिवार के प्रति जिम्मेदारी भी है, इसीलिए यह सिगरेट छोड़ने का समय है। कुछ लोग चेन स्मोकर होते हैं, जो अस्पताल से इलाज कराने के बाद फिर से सिगरेट पीने की आदत डाल लेते हैं। यह बहुत खतरनाक स्थिति है।’’

सिगरेट की लत कैसे छोड़ी जाए 

- सिगरेट छोड़ने के लिए बबलगम, इलायची का सहारा लेने से बात नहीं बनेगी। अपने मन काे मजबूत करना होगा। शुरू-शुरू में 2-4 हफ्ते तक दिक्कत होगी, उसके बाद यह परेशानी ठीक हो जाएगी।

- सिगरेट नहीं पीने पर कुछ विदड्राल सिंप्टम्स भी दिखते हैं, लेकिन व्यक्ति के कंट्रोल करने पर ठीक हो जाते हैं। काउंसलर से काउंसलिंग सिटिंग लेने पर मदद मिल सकती है। स्मोकिंग सजेशन टूल्स और मेडिकेशन होते हैं। 

- साइकोलॉजिस्ट की राय बहुत जरूरी है। अगर कोई व्यक्तिगत समस्या है, जो काउंसलिंग से दूर हो सकती है।

-  वाइफ को सपोर्ट करने की जरूरत होती है। आजकल निकोटिन रिप्लेसमेंट प्रोडक्ट आते हैं। कुछ दवाएं भी आती हैं। ये सभी चीजें 3-6महीने के लिए सिगरेट छोड़ने के लिए एडिशनल सपोर्ट देती हैं। पूरे पीरियड में इमोशनल सपोर्ट की जरूरत होती है, जिसे पत्नी नजरअंदाज नहीं करे।