लीजिए गरमी की छुटि्टयां फिर से आपके दरवाजे पर दस्तक देने लगी हैं और उसके साथ में ढेर सारी खुशियों का भी आगमन हो गया है। घर में सभी के साथ होने, साथ खेलने, खाने, सोने और साथ में वक्त बिताने से ही रौनक है। परिवार के साथ छुटि्टयां बढि़या बीते, इसके लिए आपको दे रहे हैं छोटी-छोटी सलाह। परिवार और खुशी

लीजिए गरमी की छुटि्टयां फिर से आपके दरवाजे पर दस्तक देने लगी हैं और उसके साथ में ढेर सारी खुशियों का भी आगमन हो गया है। घर में सभी के साथ होने, साथ खेलने, खाने, सोने और साथ में वक्त बिताने से ही रौनक है। परिवार के साथ छुटि्टयां बढि़या बीते, इसके लिए आपको दे रहे हैं छोटी-छोटी सलाह। परिवार और खुशी

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लीजिए गरमी की छुटि्टयां फिर से आपके दरवाजे पर दस्तक देने लगी हैं और उसके साथ में ढेर सारी खुशियों का भी आगमन हो गया है। घर में सभी के साथ होने, साथ खेलने, खाने, सोने और साथ में वक्त बिताने से ही रौनक है। परिवार के साथ छुटि्टयां बढि़या बीते, इसके लिए आपको दे रहे हैं छोटी-छोटी सलाह। परिवार और खुशी

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लीजिए गरमी की छुटि्टयां फिर से आपके दरवाजे पर दस्तक देने लगी हैं और उसके साथ में ढेर सारी खुशियों का भी आगमन हो गया है। घर में सभी के साथ होने, साथ खेलने, खाने, सोने और साथ में वक्त बिताने से ही रौनक है। परिवार के साथ छुटि्टयां बढि़या बीते, इसके लिए आपको दे रहे हैं छोटी-छोटी सलाह।

परिवार और खुशी

परिवार के साथ समय बिताने पर बच्चों में सकारात्मक सोच, आत्मसम्मान, सही व्यवहार जैसी बातें आती हैं।

घर का परिवेश खुशनुमा हो, इसके लिए मां संतुष्ट और पिता व बच्चे घर में खुश होने चाहिए। छुटि्टयों का ही समय है, जब पेरेंट्स अपने बच्चों को ज्यादा से ज्यादा सिखा सकते हैं। बच्चों का दिमाग स्पंज की तरह होता है, जो ज्यादा से ज्यादा बातें अपने दिमाग में सोखने की कोशिश करता है। इसीलिए जरूरी है, खेल-खेल में ज्ञान की बातें सिखायी जाएं, बच्चों का मन भी लगे और यादगार छुटि्टयां भी बीतें।

हम साथ-साथ हैं

साथ में रहते हुए भी कई बार साथ होने का अहसास नहीं हो पाता। इसीलिए जरूरी है, समय-समय पर साथ होने का अहसास कराना। इसके
लिए बच्चों के साथ-साथ खुद कुछ पढ़ना चाहिए। किताबाें में कुछ खास अच्छी बातों का मतलब, उससे जुड़ी घटनाओं आदि के बारे में बच्चों को बताना चाहिए। उसी में से बच्चों से सवाल पूछें, जिससे बच्चों की जिज्ञासा बढ़ेगी और पढ़ने को ले कर क्रेज भी बढ़ेगा।

बच्चों के साथ उन्हें स्कूल होमवर्क कराने में मदद करें। किसी नजदीकी लाइब्रेरी में जाएं। वहां से अच्छी और यूनीक किताबें भी इशू कराएं। खुद भी पढ़ें और बच्चों को भी पढ़ने दें।

 नयी हॉबी की शुरुआत करें या प्रोजेक्ट वर्क करें। दोनों में बच्चों के साथ-साथ आप भी एंजॉय करते हैं। फायरलेस कुकिंग, जैसे सलाद बनाना, कोल्ड सैंडविच बनाना, लेमन वॉटर आदि। इसके अलावा क्राफ्ट भी कर सकते हैं। तरह-तरह की डू-इट-योरसेल्फ एक्टिविटीज भी दिन भर की रौनक हो सकती है।

प्लांटेशन में बच्चों की रुचि जगाएं। गमलों में पानी देने के अलावा, पौधे का नाम और उसकी खासियत के बारे में भी बताएं। पर्यावरण के लिए पेड़-पौधे लगाना क्यों जरूरी है, यह जानकारी भी दें। उनसे भी कुछ पेड़-पौधे लगवाएं, जिससे उनमें पौधों को ले कर रुचि पैदा हो।

ऐसे गेम्स खेलें, जिसमें परिवार के सभी लोग भाग ले सकते हैं। आउटडोर और इंडोर, दोनों तरह के गेम्स खेलें। दादा-दादी या नाना-नानी खेलें। बैडमिंटन, कार्ड, कैरम, लूडो के अलावा भी कुछ नए गेम्स खेलें, ऐसे गेम, जिसमें अच्छी तरह से ध्यान केंद्रित हो सके।

घर के आसपास किसी वॉटर पार्क में जाना भी छुटि्टयों का आकर्षण हो सकता है। पर धूप और गरमी ज्यादा है तो म्यूजियम, चिडि़या घर और प्लेनेटोरियम में जाना भी मजेदार और जानकारियों से भरा अनुभव होगा।

बच्चों को कुछ एथलीट एक्टिविटी में भी इन्वॉल्व कर सकते हैं। इससे उनकी फिजिकल एक्टिविटी बढ़ेगी और बच्चे एक्टिव भी महसूस करेंगे। बच्चे जब पार्क में दौड़ें तो मम्मी-पापा वॉक करें और दादा-दादी प्राणायाम करें। पार्क में सभी एक साथ होंगे तो बच्चों से नजदीकियां बढ़ेंगी।

विश्वास किसी भी परिवार की नींव है। इसीलिए बच्चों को सुबह उठ कर नहाने के बाद या सोने से पहले प्रार्थना व उसकी महत्ता के बारे में बताएं। बच्चों में ध्यान, प्रार्थना और विश्वास जैसी चीजों पर भी बात करें। ध्यान कैसे फोकस रहने में मदद करता है, यह बात खुद भी समझें और बच्चों को उसकी महत्ता के बारे में भी बताएं। कुछ श्लोक, मंत्र आदि भी बताएं और बच्चों को याद करने को कहें।

कुछ अच्छी ऐतिहासिक या जानकारीपूर्ण मूवी देखें। कुछ अच्छे वेब सीरीज भी देख सकते हैं।कुछ स्पोटर्स एक्टिविटी जैसे स्वीमिंग करें, फुटबॉल खेलें और साइकिलिंग करें। बच्चों को भी अपने साथ कराएं। फिजिकल हेल्थ के बारे में बच्चों काे जानकारी दें।कुकिंग में मदद कैसे करनी है, बताएं। घर की साफ-सफाई जैसी बातें भी सिखाएं।बच्चों को फन एक्टिविटी जैसे गाना, डांस, चित्रकारी व पेंसिल स्केचिंग भी करने को कहें।

पावर एक्सचेंज

इन छुटि्टयों में पेरेंट्स अपने टीनएज बच्चों के साथ एक नया काम कर सकते हैं। उन्हें और बच्चों, दोनों काे मजा आएगा। घर के बुजुर्ग भी इस बात को एंजॉय करेंगे। बच्चे 2-4 दिन के लिए मम्मी-पापा की जिम्मेदारी संभालें। कितने बजे टीवी ऑन होगा, कितने बजे बंद होगा, इसके अलावा उन्हें एकमुश्त छोटी रकम दें। डायरी में रोज का खर्चा, क्या खरीदारी होगी, खाने में क्या बनेगा, खाना सर्व करने जैसी बातें इसमें शामिल करें। भले ही मम्मी खाना बनाएंगी, पर बच्चों को इस नए तजुर्बे से मालूम चलेगा कि मम्मी किचन को कैसे मैनेज करती हैं और पापा खरीदारी कैसे करते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में बच्चे आत्मनिर्भर होने की एक सीढ़ी चढ़ने की कोशिश करेंगे। बाजार के मोलभाव के बारे में भी थोड़ा-बहुत मालूम चलेगा। उन्हें पापा की जिम्मेदारियों और मम्मी के काम के बारे में मालूम चलेगा।