बच्चों को खाली समय में किताबें पढ़ने की आदत डालना उनको दिया गया आपका सबसे अच्छा उपहार साबित हो सकता है। जिन बच्चों में पढ़ने की आदत होती है, उनका सामान्य ज्ञान और शब्द ज्ञान या वोकैब्लरी दूसरे बच्चों के मुकाबले बेहतर होता है। ऐसे बच्चों का आईक्यू भी हाई होता है।

बच्चों को खाली समय में किताबें पढ़ने की आदत डालना उनको दिया गया आपका सबसे अच्छा उपहार साबित हो सकता है। जिन बच्चों में पढ़ने की आदत होती है, उनका सामान्य ज्ञान और शब्द ज्ञान या वोकैब्लरी दूसरे बच्चों के मुकाबले बेहतर होता है। ऐसे बच्चों का आईक्यू भी हाई होता है।

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बच्चों को खाली समय में किताबें पढ़ने की आदत डालना उनको दिया गया आपका सबसे अच्छा उपहार साबित हो सकता है। जिन बच्चों में पढ़ने की आदत होती है, उनका सामान्य ज्ञान और शब्द ज्ञान या वोकैब्लरी दूसरे बच्चों के मुकाबले बेहतर होता है। ऐसे बच्चों का आईक्यू भी हाई होता है।

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बच्चों को खाली समय में किताबें पढ़ने की आदत डालना उनको दिया गया आपका सबसे अच्छा उपहार साबित हो सकता है। जिन बच्चों में पढ़ने की आदत होती है, उनका सामान्य ज्ञान और शब्द ज्ञान या वोकैब्लरी दूसरे बच्चों के मुकाबले बेहतर होता है। ऐसे बच्चों का आईक्यू भी हाई होता है। आजकल जब हर बच्चे के हाथ में मोबाइल है, इसका बुरा असर बच्चों की सेहत और साइकोलॉजी दोनों पर दिखायी देता है। जबकि किताबें हम पर किसी भी तरह का नेगेटिव असर नहीं डालतीं। कुछ पेरेंट्स बच्चों को सिर्फ अंग्रेजी की किताबें पढ़ने पर ही जोर देते हैं, जोकि बेहद गलत है। ऐसा करने से बच्चों की हिंदी भाषा पर पकड़ कमजोर होती जाती है। बच्चों को हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं की किताबें पढ़ने को देनी चाहिए।

कैसे डेवलप करें रीडिंग हैबिट

अगर आप यह सोचती हैं कि आप बच्चों को कोई किताब ला कर दे देंगी और उनसे कहेंगी कि पढ़ो, तो वे पढ़ना शुरू कर देंगे, तो यह आपकी बहुत बड़ी गलती है। आमतौर पर बच्चे किताबों को मुश्किल से ही हाथ लगाते हैं, क्योंकि बहुत छोटी उम्र से ही उन्हें टीवी और मोबाइल में एनिमेटिड कार्टून देखने की आदत होती है। ऐसे में बच्चों को किताबों के पीले और फीके पन्ने बोरिंग ही लगेंगे। इसलिए आपको बच्चों के साथ खुद मेहनत करनी होगी। बच्चा जब 3-4 साल की उम्र का हो, तो उसे कहानियां सुनाना शुरू करें। इससे किस्से-कहानियों के प्रति उसके मन में रुचि जगेगी। कुछ समय बाद आप कोई किताब उसे ला कर दें और खुद ही उसे पढ़ कर सुनाएं। धीरे-धीरे किताबों से कहानियां सुनना उसकी आदत में शुमार हो जाएगा और किताबें उसे दोस्त लगने लगेंगी। जब आप उसे किताब पढ़ कर सुना रही हों, तो बीच-बीच में उसे भी पढ़ने को कहें। बच्चा जो भी लाइन पढ़े, उससे उसका मतलब पूछें और सरल भाषा में उसका अर्थ समझाएं। यह प्रक्रिया आपको तब तक दोहरानी होगी, जब तक कि वह खुद ही किताबें पढ़ना शुरू ना कर दे।

सही किताब चुनना जरूरी

बच्चों को उनकी उम्र के हिसाब से ही किताब पढ़ने को देनी चाहिए। अगर किताब की भाषा ही उन्हें समझ में नहीं आएगी या उनकी रुचि की किताब नहीं होगी, तो वे उसे पढ़ना छोड़ देंगे।

3-5 साल: इस उम्र में बच्चों का दिमागी विकास पूरी तरह से नहीं हुआ होता। उन्हें ऐसी किताबें ला कर दें, जिनमें सरल शब्दों में कोई कहानी हो। बच्चों की कुछ मैगजीन, जिनमें कहानियों के साथ मनोरंजक एक्टिविटीज हों, चित्रकथाएं हों, इस आयु वर्ग के लिए खास तौर से बनायी जाती हैं। इस समय तक वे शब्दों को जोड़ कर पढ़ना नहीं सीखते। इस समय इन्हें कलरिंग बुक्स, बिंदु मिला कर लाइन खींचनेवाली बुक्स, पिक्चर स्टोरी बुक्स दें।

6-8 साल: इस समय बच्चे सरल शब्दों को पढ़ना सीखना शुरू करते हैं। उनके लिए ऐसी किताबें लाएं, जिनकी भाषा बहुत सरल हो। कुछ बड़े लेखकों की किताबों का सरल शब्दों में सार भी बाजार में मौजूद है जैसे चाल्र्स डिकेंस की ओलिवर ट्विस्ट या डाॅन क्विक्सोट सीरिज, गुलिवर की यात्राएं हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में। इनके रोचक कथानक के कारण बच्चों के मन में कुतुहल जाग्रत होता है। इनके अलावा इस उम्र तक इन्हें पंचतंत्र की कहानियां, जातक कथाएं या ऐसी किताबें पढ़ने को दें, जिनमें जानवरों और पक्षियों के माध्यम से कोई शिक्षाप्रद बात कही गयी हो। भारतीय लेखकों में सुधा मूर्ति की ‘ग्रैंडमाज बैग ऑफ स्टोरीज’ भी उन्हें पढ़ने को दी जा सकती है। जानवरों और पक्षियों पर आधारित कहानियां पढ़ते समय बच्चे बोर नहीं होते। इन्हें पढ़ते समय वे अलग-अलग तरह की कल्पनाएं भी करते रहते हैं। किताबों के अलावा बच्चों के लिए घर में हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं की कॉमिक्स भी जरूर मंगवाएं। कॉमिक्स के पात्र और एक्टिविटीज उनका दिमागी व्यायाम करके तर्कक्षमता, भाषा ज्ञान, एकाग्रता, निर्देशों का पालन करना जैसे गुण भी विकसित करते हैं। इस समय बच्चों को परियों और राजा रानी की कहानियां भी बहुत पसंद आती हैं। इन्हें सिंड्रेला, स्नोवाइट, रैपंजल की कहानियां पढ़ने को दें। इस समय बच्चों को कृष्ण, राम, राजा हरिश्चंद्र, आदि की कहानियां भी सुनाएं और पढ़ाएं। कई बाल कथा लेखकों ने इन कहानियों को सरल शब्दों में बच्चों के लिए लिखा है। लेकिन कोई भी किताब खरीदने से पहले यह जरूर देखें कि उसमें भाषा, व्याकरण और स्पेलिंग की गलती ना हो, क्योंकि एक बार बच्चों के दिमाग में गलत व्याकरण बैठ गयी, तो फिर उसे ठीक करना बहुत मुश्किल हो जाएगा। अंग्रेजी की कुछ किताबों में राॅल्ड डैल की चार्ली एंड द चाॅकलेट फैक्टरी, ई बी वाइट की स्टुअर्ट लिटल आदि भी आप बच्चे को पढ़ने को दे सकती हैं। प्रसिद्ध लेखक गुलजार ने भी खासतौर से बच्चों के लिए ‘पोटली बाबा की’, ‘समय का खटोला’ जैसी किताबें लिखी हैं। कुछ और कहानियां जैसे तेनालीराम, अकबर बीरबल के किस्से, अलीबाबा और चालीस चोर बच्चों को पढ़ा सकते हैं।

9-12 साल: यह बहुत बदलावों की उम्र है। इस उम्र में आ कर बच्चों पर पढ़ाई और कई एक्टिविटीज का बोझ बढ़ जाता है। लेकिन आजकल स्कूलों में करवायी जानेवाली एक्टिविटीज बच्चों की आलराउंड डेवलपमेंट पर फोकस करनेवाली होती हैं। बच्चा हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में बात करना सीख जाता है। इस समय उसकी रुचि के अनुसार आप किताबों का संसार उसके सामने खोल कर रख सकती हैं। हार्डी बॉएज, एनिड ब्लाइटन, हाॅरिड हैनरी, जेरोनिमो स्टिलटन सीरिज, हैरी पॉटर, रस्किन बॉन्ड, जंगल बुक, क्रोनिकल्स ऑफ नार्निया की किताबों के अलावा आप उन्हें हिंदी की कई पॉपुलर कॉमिक्स पढ़ने को दें। हिंदी में अमर चित्र कथा, सिंहासन बतीसी, विक्रम बेताल, चंद्रकांता संतति, हितोपदेश जैसी किताबें उन्हें भारतीय संस्कृति, पौराणिक कथाओं से रूबरू करवाएंगी। प्रसिद्ध लेखक देवदत्त पटनायक ने भी बच्चों के लिए कई पौराणिक किताबें लिखी हैं। आरके नारायण की ‘मालगुडी डेज’ भी इस उम्र के बच्चों को पसंद आएगी। अगर बच्चा वाकई किताबें पढ़ना पसंद करता है, तो चाल्र्स डिकेंस की ओरिजनल ऑलिवर ट्विस्ट और ग्रेट एक्सपेक्टेशंस जैसी किताबें पढ़ना उसे बहुत भाएगा। अरेबियन नाइट्स, अलग-अलग देशों की लोककथाएं इस उम्र में बच्चों को पढ़ने को दें। इनमें वे सुनी-सुनायी कहानियां भी वे पढ़ेंगे, जिन्हें आधार बना कर कई लोकोक्तियां और मुहावरे बने हैं।

13-16 साल: इस उम्र के बच्चों को क्या पढ़ना पसंद आएगा, कहना मुश्किल है। लेकिन कुछ जासूसी कहानियां जैसे शरलॉक होम्स, नैंसी ड्रू सीरिज उन्हें पढ़ना पसंद आएगा। अगर उन्होंने हैरी पॉटर सीरीज पहले नहीं पढ़ी है, तो पढ़ा सकते हैं। अलग-अलग देशों की कहानियां, मंुशी प्रेमचंद और यशपाल जैसे लेखकों की कहानियां जो बहुत सरल शब्दों में दुनियादारी सिखा जाती हैं, बच्चों को जरूर पढ़ाएं। एन फ्रैंक की डायरी, आई एम मलाला किशोरावस्था में दो लड़कियों के संघर्ष की अनूठी दास्तां है। इस उम्र में बच्चों को ऐसे जीवनियां और जीवन चरित्र पढ़ने से प्रेरणा मिलती है। कुछ समकालीन लेखक भी हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में किशोर उम्र की उलझनों पर बहुत अच्छा लिख रहे हैं। अगर बच्चा किताबों के साथ बहुत दोस्ती रखता है, तो उसे जेफ्री आर्चर की कहानियां और डेनियल स्टील के उपन्यास पढ़ने को दे सकती हैं। सपने देखने की उम्र में इन बच्चों को एरिक सीगल की लव स्टोरी बहुत भाएगी। अकसर ऐसी किताबें लड़कियां तकिए के नीचे रख कर सोती हैं। फिर भी इस उम्र में बोर्ड परीक्षाओं के दबाव में बच्चों को अतिरिक्त किताबें पढ़ने का समय नहीं मिल पाता। कुछ महान हस्तियों के जीवन से जुड़ी कहानियां जैसे ई आर ब्रैथवेट की टू सर विद लव, महात्मा गांधी की किताब माई एक्सपेरिमेंट्स विद ट्रुथ, अब्दुल कलाम के जीवनी विंग्स ऑफ फायर, जवाहरलाल नेहरू के अपनी बेटी इंदिरा गांधी को जेल से लिखे पत्र जैसी प्रेरणादायक किताबें भी पढ़ने को दे सकती हैं। जॉन ग्रीन और डेनियल स्टील जैसे लेखकों ने भी स्कूल लाइफ पर काफी कुछ लिखा है।

किताबों का संसार बहुत बड़ा है। आपके बच्चे की रुचि और समझ पर निर्भर करता है कि वह किस उम्र में कौन सी किताबें पढ़ सकता है। लेकिन किताबें पढ़ने के साथ उन्हें समझना भी बहुत जरूरी है। वह जो भी किताब पढ़े, वह मनोरंजन के साथ-साथ उसे कुछ सीख भी दे, यह जरूरी है। एक उम्र तक ही आप किताबें खरीदने या चुनने में उसकी मदद कर सकते हैं। उसके बाद हो सकता है उसे आपकी सुझायी किताब पसंद ना आए। वह अपने दोस्तों के कहने पर ही पढ़ना चाहे। फिर भी जरूरत पड़ने पर उसका मार्गदर्शन करना आपकी जिम्मेदारी है। बच्चों की किताबों में रुचि बनाए रखने के लिए उन्हें कभी-कभी पुस्तक मेला, ऐसा बाजार, जहां किताबें बिकती हों, ले जाना जरूरी है।