कोर्ट मैरिज में बिना फेरों या रीतिरिवाजों के कोर्ट में शादी संपन्न होती है। इसके लिए क्या करना होता है, जानिए दिल्ली हाईकोर्ट में एडवोकेट सुनीता सक्सेना से-
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कोर्ट मैरिज में बिना फेरों या रीतिरिवाजों के कोर्ट में शादी संपन्न होती है। इसके लिए क्या करना होता है, जानिए दिल्ली हाईकोर्ट में एडवोकेट सुनीता सक्सेना से-
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कोर्ट मैरिज में बिना फेरों या रीतिरिवाजों के कोर्ट में शादी संपन्न होती है। इसके लिए क्या करना होता है, जानिए दिल्ली हाईकोर्ट में एडवोकेट सुनीता सक्सेना से-
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कोर्ट मैरिज में बिना फेरों या रीतिरिवाजों के कोर्ट में शादी संपन्न होती है। इसके लिए क्या करना होता है, जानिए दिल्ली हाईकोर्ट में एडवोकेट सुनीता सक्सेना से-
कौन कर सकता है अप्लाई
किसी भी धर्म, जाति, संप्रदाय के बालिग युवक-युवती, जो शादीशुदा ना हों या कानूनन डाइवोर्स लेने के बाद शादी कर रहे हों। विधुर या विडो यानी जिनका पहला जीवनसाथी जीवित ना हो।
- अगर कोई पक्ष अपने पहले जीवनसाथी को तलाक  देने के बाद शादी कर रहा है, स्त्री-पुरुष शादी की सहमति देने लायक दिमागी हालत में हैं, दोनों में से किसी को कोई लाइलाज मर्ज नहीं है, तो वे कोर्ट मैरिज कर सकते हैं। वर 21 वर्ष का अौर वधू की अायु 18 साल की हो।
-  हिंदू होने की दशा में शादी प्रतिबंधित नजदीकी संबंधों मसलन भाई-बहन, बुअा, मौसी, चचेरे, ममेरे, फुफेरे, मौसेरे भाई-बहन के बीच ना हो।
- शादी करने की अर्जी के साथ एज सर्टिफिकेट अौर यह शपथनामा भी रजिस्ट्रार अॉफिस में जमा कराना होता है कि दोनों बालिग हैं अौर बिना किसी दबाव के शादी करने को तैयार हैं। दोनों के कागजातों का वेरिफिकेशन करके उन्हें एक महीने बाद बुलाया जाता है। नोटिस को बोर्ड पर लगा दिया जाता है कि दोनोंशादी करनेवाले हैं, ताकि अगर किसी को एतराज है, तो वह वजह बताए। दोनों के घर भी नोटिस भेजी जाता है।
- अापत्ति जायज होने पर शादी का प्रोसिजर रद्द किया जा सकता है, पर गलत पाए जाने पर शादी को रजिस्टर कर दिया जाता है। रजिस्ट्रार के अापत्ति स्वीकार करने के खिलाफ डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में अपील की जा सकती है। कोर्ट मैरिज रजिस्ट्रार के अॉफिस में होती है। इसके लिए निर्धारित फीस जमा करना जरूरी है।
- नोटिस पीरियड के बाद यह शादी कोर्ट में सब डिविजनल या एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट द्वारा करायी जाती है। शादी कराने में किसी पंडित, मौलवी, पादरी या ग्रंथी को शामिल नहीं किया जाता। विवाह के लिए 3 गवाह होने जरूरी हैं।
- एक बार कोर्ट मैरिज नियमों के मुताबिक संपन्न होने के बाद रजिस्ट्रार सारी डिटेल भर कर मैरिज सर्टिफिकेट जारी करता है। यह एक घोषणा पत्र होता है कि वे शादी अपनी मर्जी से कर रहे हैं। अगर किसी वजह से नोटिस के बोर्ड पर लगने के 3 महीनों के भीतर शादी नहीं हो पाती, तो बाद में शादी करने के लिए दोबारा रजिस्ट्रार को लिखित नोटिस भेजना होगा कि वे शादी करने का इरादा रखते हैं। तब ये पूरा प्रोसिजर दोबारा करना होगा। 
         
जरूरी दस्तावेज
अावेदन पत्र ठीक से पूरी जानकारी देते हुए भरा जाए। साथ ही फीस जमा करना भी जरूरी है। वर-वधू को अपने पासपोर्ट साइज के 7-7 फोटो देने होंगे। अावास व अाईडेंडिटी कार्ड, उम्र का सर्टिफिकेट, दसवीं की मार्कशीट संलग्न हों। यह हलफनामा जमा कराया जाए कि दोनों में से कोई भी किसी अवैध रिश्ते में नहीं है। यदि दूसरी शादी कर रहे हैं, तो जीवनसाथी का डेथ सर्टिफिकेट या तलाकनामा लगाना जरूरी है। गवाहों की फोटो, पैन कार्ड/अाधार कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस प्रमाणपत्र के रूप में लगाने होंगे।
शादी  की  रजिस्ट्री
2014 के बाद से शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य हो गया है। यह रजिस्ट्रेशन 30 दिनों के भीतर कराने पर कोई पैनल्टी नहीं लगती। शादी चाहे घर पर फेरोंवाली हुई हो या किसी मंदिर में। इसकी रजिस्ट्री के लिए रजिस्ट्रार अॉफ मैरिज के दफ्तर में दंपती को अावेदन करना होता है। इसमें हसबैंड-वाइफ द्वारा साइन किया अावेदन पत्र, अावासीय प्रमाण पत्र, विदेशी से शादी हुई हो, तो देश की एंबेसी द्वारा नो अॉब्जेक्शन सर्टिफिकेट, शादी से संबंधित फोटोग्राफ, शादी का कार्ड या जिस मंदिर में शादी की है, तो वहां का सर्टिफिकेट, जन्मतिथि प्रमाणपत्र, वोटर अाईडी, पैन कार्ड, राशनकार्ड की फोटोकॉपी  रजिस्ट्रार के दफ्तर में जमा करा कर मैरिज रजिस्टर्ड करने के लिए अावेदन किया जाता है। उस वक्त अगर लड़की चाहे तो सरनेम बदल सकती है। मैरिज रजिस्ट्रार शादी रजिस्टर करके सर्टिफिकेट जारी कर देता है, फिर पासपोर्ट बनना अासान हो जाता है।