दीवाली में धनतेरस से भाई दूज तक 5 दिन अलग-अलग पर्व हैं। ये पर्व अलग-अलग देवताओं और परंपराओं से जुड़े हैं। इन दिनों में दान का बहुत महत्व माना गया है। हमेशा शुद्ध भाव, श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार दान करना श्रेष्ठ होता है। ग्रेटर नोएडा, यू.पी. के पंडित जी विष्णु द्विवेदी विस्तार से जानकारी दे रहे

दीवाली में धनतेरस से भाई दूज तक 5 दिन अलग-अलग पर्व हैं। ये पर्व अलग-अलग देवताओं और परंपराओं से जुड़े हैं। इन दिनों में दान का बहुत महत्व माना गया है। हमेशा शुद्ध भाव, श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार दान करना श्रेष्ठ होता है। ग्रेटर नोएडा, यू.पी. के पंडित जी विष्णु द्विवेदी विस्तार से जानकारी दे रहे

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दीवाली में धनतेरस से भाई दूज तक 5 दिन अलग-अलग पर्व हैं। ये पर्व अलग-अलग देवताओं और परंपराओं से जुड़े हैं। इन दिनों में दान का बहुत महत्व माना गया है। हमेशा शुद्ध भाव, श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार दान करना श्रेष्ठ होता है। ग्रेटर नोएडा, यू.पी. के पंडित जी विष्णु द्विवेदी विस्तार से जानकारी दे रहे

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दीवाली में धनतेरस से भाई दूज तक 5 दिन अलग-अलग पर्व हैं। ये पर्व अलग-अलग देवताओं और परंपराओं से जुड़े हैं। इन दिनों में दान का बहुत महत्व माना गया है। हमेशा शुद्ध भाव, श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार दान करना श्रेष्ठ होता है। ग्रेटर नोएडा, यू.पी. के पंडित जी विष्णु द्विवेदी विस्तार से जानकारी दे रहे हैं-

धनतेरस (पहला दिन)

दीवाली के पहले दिन क्या करें : दीवाली के पहले दिन भगवान धन्वंतरि और कुबेर की पूजा होती है। तांबे, चांदी या स्टील के बरतन, दीपक, वस्त्र, अनाज और धन का दान श्रेष्ठ माना गया है। जरूरतमंदों को तिल, तेल, दीपक, झाड़ू, अनाज देना शुभ है।

कैसे दान करें : शाम को दीये जलाने के बाद गरीबों को या मंदिर में बरतन या अनाज दान करें। दान करते समय ॐ नमो धन्वंतरये नमः मंत्र बोल कर धन्वंतरि भगवान का स्मरण करें।

नरक चतुर्दशी (दूसरा दिन)

क्या करें :  दीवाली के दूसरे दिन प्रातः तेल स्नान का महत्व है। दक्षिण भारत में विशेष तौर पर तेल, उबटन, तिल, अन्न और पुराने वस्त्रों का दान शुभ है। रोगियों की सेवा या औषधि दान भी उत्तम है।

कैसे दान करें : सुबह स्नान के बाद किसी गरीब को तेल, साबुन, वस्त्र दें। सूर्यदेव को जल अर्पण करें और फिर दान करें।

दीप दान का बहुत महत्व है दीवाली के मौके पर

दीपावली (तीसरा दिन)

क्या करें : दीवाली के दिन ही मुख्य पर्व है। इस दिन माता लक्ष्मी, गणेश और कुबेर की पूजा होती है। विशेष अवसर पर अन्न, वस्त्र, मिठाई, दीपक और धन का दान करना उत्तम है। विशेष कर गाय, ब्राह्मण, गरीब, विधवा और अनाथ बच्चों को दान करने की परंपरा है।

कैसे दान करें : लक्ष्मी पूजन के बाद घर के बाहर दीप रख कर अनाज, मिठाई और धन (सिक्के) का दान करें। इस दिन किसी को खाली हाथ ना लौटाएं।

गोवर्धन पूजा (चौथा दिन)

क्या करें : दीवाली के चौथे दिन भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन उठाने की याद में अन्नकूट उत्सव होता है। अन्न, सब्जी, अन्नकूट, गाय का शृंगार करनेऔरपूजा करने का बहुत महत्व है। अपने आसपास के क्षेत्र में चारा, गुड़, चावल दान करना शुभ है। अपने मोहल्ले में गाय के लिए चारे की व्यवस्था करें।

कैसे दान करें : घर में अन्नकूट बना कर मंदिर या गरीबों में बांटें। गाय को हरा चारा, गुड़ खिला कर दान-पुण्य करें।

भाई दूज (पांचवां दिन)

क्या करें : यह दिन भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित है। बहन भाई को तिलक करती है और उसकी दीर्घायु की कामना करती है। इस दिन मिष्ठान, वस्त्र, धन, भोजन का दान शुभ माना जाता है।

कैसे दान करें : भाई को भोजन कराएं और गरीबों को मिठाई व अन्न का दान करें। जरूरतमंद बच्चियों को वस्त्र या शृंगार से जुड़ी वस्तुएं भी दे सकते हैं। आप कॉपी-पेंसिल जैसी चीजें दे कर भी उन्हें खुश कर सकते हैं।