बाएं हाथ से काम करने वालों की ब्रेन की वायरिंग अलग होती है। पेरेंट्स ने अपने बच्‍चे का बायां हाथ अधिक एक्‍टिव देखा, तो परेशान हो जाते हैं। कोशिश करते हैं कि बच्‍चा दाएं हाथ से सारे काम करना सीखे। जानते हैं कुछ खास बातें-

बाएं हाथ से काम करने वालों की ब्रेन की वायरिंग अलग होती है। पेरेंट्स ने अपने बच्‍चे का बायां हाथ अधिक एक्‍टिव देखा, तो परेशान हो जाते हैं। कोशिश करते हैं कि बच्‍चा दाएं हाथ से सारे काम करना सीखे। जानते हैं कुछ खास बातें-

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बाएं हाथ से काम करने वालों की ब्रेन की वायरिंग अलग होती है। पेरेंट्स ने अपने बच्‍चे का बायां हाथ अधिक एक्‍टिव देखा, तो परेशान हो जाते हैं। कोशिश करते हैं कि बच्‍चा दाएं हाथ से सारे काम करना सीखे। जानते हैं कुछ खास बातें-

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कुछ लोग आम लोगों की तरह दाएं हाथ से नहीं, बाएं हाथ से ज्‍यादातर काम करते हैं। यह व्‍यक्ति की पर्सनल ओरिएंटेशन होती है, लेकिन बाएं हाथ से काम करने वालों को हमेशा टोका जाता है, क्योंकि यह दुनिया सीधे हाथ से काम करने वालों की है। पेरेंट्स ने अपने बच्‍चे का बायां हाथ अधिक एक्‍टिव देखा, तो परेशान हो जाते हैं। कोशिश करते हैं कि बच्‍चा दाएं हाथ से सारे काम करना सीखे। बेशक बाएं हाथ से काम करने वालों को दुनिया अजीब नजरों से देखे, लेकिन आपको जान कर हैरानी होगी कि विश्‍वभर में लेफ्टी कुल आबादी के करीब 12 प्रतिशत हैं। एक स्टडी में पाया गया कि बाएं हाथ से काम करने वाली महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले कम है। अमेरिका के 14 राष्‍ट्रपतियों में से 6 लेफ्टी रहे। हर साल 13 अगस्‍त को पूरी दुनिया में वर्ल्ड लेफ्टहैंडर्स डे के रूप में मनाया जाता है। साल 1976 से शुरू हुआ यह सिलसिला आज भी बदस्‍तूर जारी है। इसका उद्देश्‍य लेफ्टहैंडर्स की रोजमर्रा की कठिनाइयों और संघर्षों की ओर दुनिया का ध्‍यान खींचना है।

क्‍यों होते हैं कुछ लोग लेफ्टी: विज्ञान की भाषा में बात करें, तो हमारे शरीर के बाएं भाग को हमारा दायां ब्रेन कंट्रोल करता है और दाएं भाग को ब्रेन का बायां हिस्‍सा। ब्रेन का दायां हिस्‍सा रचनात्‍मकता, अंर्तज्ञान और कल्‍पनाशीलता का केंद्र है, जबकि ब्रेन का बायां भाग हिसाब-किताब, लॉजिक और विश्‍लेषण में व्‍यस्‍त रहता है। जिस व्‍यक्ति का बायां ब्रेन अधिक सक्रिय रहता है, वह दाएं हाथ से सारे काम करता है और जिसका दायां ब्रेन अधिक एक्टिव रहता है, वह बाएं हाथ से काम करता है। ऐसा क्‍यों होता है, इस बारे में केवल अनुमान ही है, कोई ठोस वजह सामने नहीं आयी है। कहा जाता है कि ऐसा बॉयोलॉजी, जेनेटिक्‍स और व्‍यक्ति के माहौल के मिलेजुले असर से हो सकता है।

मुश्किलें हजार: जब दुनिया की सारी चीजें दाएं हाथ से काम करने वालों को ध्‍यान में रख कर बनी हों, तो बाएं हाथ से काम करने में मुश्किलें तो आएंगी ही। पहली दिक्‍कत लिखने में, सामान्‍यतया लिखने का काम बायीं से दायीं ओर होता है, ऐसे में लिखते समय लेफ्टी को अपना हाथ इस तरह मोड़ना पड़ता है, ताकि इंक ना फैले। कैंची या कोई दूसरा औजार चलाने में परेशानी होती है, चाहे वह कंप्‍यूटर माउस हो, कीबोर्ड नंबर पैड हो, क्रेडिट कार्ड स्‍वैप करना हो या कोई म्‍यूजिकल इंस्‍ट्रूमेंट प्‍ले करना हो। विदेशों में तो कुछ कंपनियां लेफ्टहैंड ड्राइव कार बनाती हैं, लेकिन अधिकतर गाडि़यां सीधे हाथ वालों के लिए बनती हैं। ऐसे में इनके लिए ड्राइविंग भी मुश्किल होती है। कुछ शोधों में पाया गया कि लेफ्टी को नयी चीजें सीखने में मुश्किल आती है, उनमें ऑटिज्‍म और मिर्गी के मामले भी ज्‍यादा होने का जोखिम होता है, लेकिन अभी तक इसकी पुष्‍टि नहीं हुई है। एलर्जी और माइग्रेन के केस भी इनमें अधिक होते हैं। ब्रिटेन जर्नल ऑफ कैंसर में 2007 में प्रकाशित स्‍टडी की रिपोर्ट के मुताबिक इनमें ब्रेस्‍ट कैंसर का खतरा भी अधिक होता है।

विलक्षणता की भरमार: माना जाता है कि ब्रेन का दायां हिस्‍सा क्रिएटिविटी वाला हिस्‍सा है, तो लेफ्टी काफी रचनात्‍मक होंगे, लेकिन 1995 में हुई एक स्‍टडी पर नजर डालें, तो इसका कोई खास असर व्‍यक्ति की रचनात्‍मकता पर नहीं पड़ता है। अलबत्ता ये कॉम्‍पलेक्‍स रीजनिंग में काफी अच्‍छे माने जाते हैं और यही वजह है कि बहुत से नोबल पुरस्‍कार विजेता, महान लेखक, म्‍यूजिशियन, आर्किटेक्‍ट लेफ्टी रहे हैं। ये अच्‍छे खिलाड़ी भी होते हैं, क्‍योंकि लेफ्टी के मूव को दाएं हाथ से काम करनेवाले के लिए समझना जरा मुश्किल होता है। ये बेहतर योद्धा भी माने जाते हैं।

बच्‍चा लेफ्टहैंडर हो तो: कभी उसे दाएं हाथ से काम करने के लिए प्रेशर ना दें। बच्‍चा किस हाथ का इस्‍तेमाल करेगा, यह ब्रेन की वायरिंग पर निर्भर करता है। कई बच्‍चे लिखते तो बाएं हाथ से हैं, पर बाकी काम दाएं हाथ से करते हैं। बच्‍चे को उसकी पसंद से अलग ना जाने के लिए कहें।