तंदूरी नान अरब देशों की रोटी है, जो भारतीय रोटी से अलग किस्म की है। इसे तवे के बजाय तंदूर में बनाया जाता है। भारत में सबसे पहले इसका जिक्र 13वीं सदी में अमीर खुसरो ने किया था। उन्होंने नान की 2 किस्में नान-ए-तानुक और नान-ए-तंदूरी बतायीं।

तंदूरी नान अरब देशों की रोटी है, जो भारतीय रोटी से अलग किस्म की है। इसे तवे के बजाय तंदूर में बनाया जाता है। भारत में सबसे पहले इसका जिक्र 13वीं सदी में अमीर खुसरो ने किया था। उन्होंने नान की 2 किस्में नान-ए-तानुक और नान-ए-तंदूरी बतायीं।

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तंदूरी नान अरब देशों की रोटी है, जो भारतीय रोटी से अलग किस्म की है। इसे तवे के बजाय तंदूर में बनाया जाता है। भारत में सबसे पहले इसका जिक्र 13वीं सदी में अमीर खुसरो ने किया था। उन्होंने नान की 2 किस्में नान-ए-तानुक और नान-ए-तंदूरी बतायीं।

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तंदूरी नान अरब देशों की रोटी है, जो भारतीय रोटी से अलग किस्म की है। इसे तवे के बजाय तंदूर में बनाया जाता है। भारत में सबसे पहले इसका जिक्र 13वीं सदी में अमीर खुसरो ने किया था। उन्होंने नान की 2 किस्में नान-ए-तानुक और नान-ए-तंदूरी बतायीं। दूसरी वाली किस्म आजकल हर रेस्तरां, ढाबे और होटल में खूब परोसी जाती है। माना जाता है कि अफगानिस्तान पर इस्लामी सत्ता कायम होने के बाद वहां से भाग कर आए लोगों के साथ ही तंदूर और नान भारत में आए। हालांकि हड़प्पा- मोहनजोदाड़ो की लुप्त हो गयी सभ्यता की खुदाई में भी तंदूरों के अवशेष पाए गए थे।

भारत में रोटी तवे पर गुंधे हुए आटे से बनायी जाती है, पर नान तंदूर पर खमीरवाले आटे से बनाया जाता है। नान शब्द तो यों ईरानी भाषा का है, लेकिन खमीर यानी यीस्ट का कॉन्सेप्ट मूल रूप से इजिप्ट से आया। इजिप्ट में खमीर का इस्तेमाल ईस्वी सन की शुरुआत से भी सैकड़ों साल पहले का है। नान के लिए आटा, दही और यीस्ट को गूंधा जाता है। हालांकि अब इसे कई और भी तरीकों से बनाया जाता है। कई जगह नान का आटा तैयार करते वक्त खमीर के साथ अंडा भी डालते हैं। भारत में तैयार नान पर बटर या देसी घी लगाने का चलन है, तो वहीं पाकिस्तान में उसमें गुलाब और खस के फ्लेवर डाले जाते हैं। ब्रिटेन के भारतीय और बांग्लादेशी रेस्तरां के नान में आपको कलौंजी के दाने भी एक्स्ट्रा फ्लेवर के तौर पर चिपके हुए दिख जाएंगे।

नान अरबों का मुख्य भोजन रहा है। अरब में पहले लोग कबीलों में रहते थे और घर के नाम पर ओट के लिए तंबू तान लेते थे। लेकिन रिहाइश के इस तरीके की कई दिक्कतें थीं। रेतीली हवाओं में खाना बनाने में बहुत मुश्किल पेश आती थी। ऐसे में उन्होंने जमीन के अंदर तंदूर बनाए, जिनमें सैकड़ों लोगों का खाना एक साथ बनता था। तंदूर में बहुत सारी रोटियां या नान एक साथ बनायी जा सकती थीं। बद्दू कबीले के लोग ऊंटनी के दूध में मैदे की बनी नान भिगो कर खाते थे। यही उनका भोजन था, जो वहां के क्लाइमेट में सूट करता था। लेकिन खमीर और मैदे से बनी नान भारत जैसे वातावरण में जहां कॉन्स्टिपेशन की वजह भी मानी जाती है, वहीं अरब की जलवायु में उस वक्त में यह ठोस आहार के रूप में सामने आयी। यह तब की बात है जब मिडिल ईस्ट में फल-सब्जी नहीं होती थी। वहां सिर्फ खजूर ही मिलता था। मेसोपोटामिया सम्यता में भी तंदूर का जिक्र आता है।

पूरी दुनिया में मशहूर है नान

अंग्रेजी में नान का जिक्र पहली बार इतिहासकार विलियम टूके के एक यात्रा संस्मरण में सन 1803 में आया, जिसमें उन्होंने तुर्कों के खानपान का वर्णन करते हुए इसके बारे में बताया है। धीरे-धीरे यह डिश दुनियाभर में लोकप्रिय होती गयी। आज यह मध्य एशिया में उजबेकिस्तान, तजाकिस्तान से ले कर चीन और म्यांमार के रेस्तरां तक में आम हो गयी है। यूरोप, अमेरिका, कनाडा हर जगह इसने अपनी पहचान बना ली है। अब तो वेस्टर्न कुजिंस में पिज्जा नान, बर्गर नान जैसी कई वेराइटी मिलती हैं। एशियाई देशों में तो कहने ही क्या! दावतों में स्टफ्ड नान, कीमा नान, पेशावर नान, कुलचा नान, पनीर नान, बटर नान की खासी डिमांड रहती है। रिसेप्शन पार्टीज में इसके लिए अलग से तंदूर लगाए जाते हैं। वैसे इंडियन सब कॉन्टिनेंट में पंजाबी तंदूरी नान सबसे ज्यादा पॉपुलर है।

वैसे तो अब बाजार में इलेक्ट्रिक तंदूर भी आ चुके हैं, पर आमतौर पर नान पारंपरिक तंदूरों पर ही बनाए जाते हैं। इसके लिए तंदूर के भीतरी हिस्से में आग से गरम मिट्टी की मोटी दीवार पर लगा कर नान पकायी जाती है। भारत में नान ज्यादातर मैदे से बनायी जाती है। वैसे तो मैदा भी गेहूं का बारीक आटा ही है, लेकिन इसे बनाने का तरीका ऐसा है कि उसका सारा फाइबर निकल जाता है। किसी भी तरह का डाइटरी फाइबर ना होने से इसका कुछ हिस्सा आंतों में चिपक जाता है। इससे डाइजेशन की दिक्कतें भी पैदा होती हैं। साथ ही डाइबिटीज, कोलेस्ट्रॉल और एसिडिटी का खतरा भी बढ़ जाता है। शायद यही वजह है कि भारत के क्लाइमेट में नान रोटी को कभी रिप्लेस नहीं कर पायी, बल्कि उसकी जूनियर हमदम बन कर ही रही।

घर में बनाएं नान

सामग्री: 2 कप मैदा, 1/4 कप दही, 1 छोटा चम्मच चीनी, 1/2 छोटा चम्मच बेकिंग सोडा, 1 बड़ा चम्मच तेल और 1/2 छोटा चम्मच नमक।

विधि: मैदे में नमक और चीनी मिलाएं। एक बड़े बोल में मैदा डाल कर उसके बीच में जगह बना कर दही और बेकिंग सोडा डालें। सभी चीजों को अच्छी तरह से मिला लें। बेकिंग सोडा के कारण मैदा थोड़ी देर में फूलने लगेगा। अब थोड़ा-थोड़ा पानी डाल कर मैदे को मुलायम गूंध लें। उसमें थोड़ा घी डाल का मैदे को चिकना कर लें। गुंधे हुए मैदा को 3-4 घंटे के लिए ढक कर छोड़ दें।

अब मैदा नान बनाने के लिए तैयार है। एक लोई बनाएं और पलथन लगा कर मोटी रोटी बेल कर एक ओर पानी लगा लें। तवे को गरम करें और पानी लगे साइड से रोटी डालें। जब रोटी में बुलबुले से दिखने लगें, तो तवे को गैस पर उल्टा रखें और उसे घुमा-घुमा कर नान सेंकें। तैयार नान को चिमटे की मदद से तवे से छुड़ा लें।