बड़ी अम्मा का सुझाव है कि लड़कों के दिमाग में यह कभी ना अाने दें कि सिलाई करना लड़कियों का काम हैं। ये काम उन्हें भी सिखाएं।

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मैं अपने भांजे से मिलने गयी हुई थी। वे पति-पत्नी दोनों कामकाजी हैं। एक दिन उन दोनों के ऑफिस जाने के बाद उनके युवा बच्चों नकुल और नव्या ने घर में तूफान खड़ा कर दिया। दोनों को कॉलेज के लिए देर हो रही थी। जो शर्ट नकुल को पहननी थी, उसका बटन टूटा हुआ था। नव्या को जो टॉप पहनना था, वह नीचे से कुछ उधड़ गया था। दोनों गुस्से में अलमारी से कपडे़ पटकते रहे। मैंने कहा कि कुछ और पहन लो या फिर इसे सिल लो। दोनों ने मुझे ऐसे देखा जैसे मैंने कोई अनहोनी बात कह दी हो। नकुल बोला, ‘‘नानी, मैं बटन लगाऊंगा? मैं तो लड़का हूं! यह मेरा काम थोड़े ही है!’’

नव्या ने मुझे हैरानी से देखा, ‘‘नानी! यह आप कैसी बात कर रही हैं! यह सिलाई-विलाई तो मैं कभी नहीं करूंगी!’’ मैंने कहा, ‘‘अच्छा, मुझे सुई में धागा डाल कर दो, मैं तुम दोनों के कपडे़ ठीक कर देती हूं, अब मैं सुई में धागा नहीं डाल सकती!’’ पर सुई में धागा डालना भी बड़ा काम था, तो पैर पटकते हुए कुछ और पहन कर जाने के बारे सोचने लगे। मैंने उन्हें अपने पास बुलाया, कहा, ‘‘इसमें कोई शरम की बात नहीं है। अाज यह काम सीख लोगे, तो कल तुम लोगों की घर-गृहस्थी में एेसी सौ चीजें होंगी, जिसमें सिलाई काम आएगी। अब ऐसा कुछ नहीं रहा कि यह काम लड़की का है, यह लड़के का है। अब तो दुनिया के फेमस ड्रेस डिजाइनर लड़के भी हैं। मैं आज ही यह छोटा सा काम सिखा देती हूं। नकुल, तुम बस सुई में धागा डाल दो। ''

सुई में धागा डालते ही मैंने उससे ही शर्ट में बटन लगवाया। नव्या को थोड़ा टाइम लगा, पर उसने सीख ही लिया। दोनों ने रात में अपने पेरेंट्स को इस बारे में बताया। वे भी हैरान हो गए। मैं जितने दिन फिर वहां रही, दोनों को इतना तो सिखा दिया कि कुछ उधड़ जाए तो तुरपाई कर लें, कच्चा-पक्का तो आए! बटन तो फिर ढूंढ़-ढूंढ़ कर लगाए गए। अब ऐसी बात नहीं रही कि सिलाई-कढ़ाई का काम लड़कियों को ही आना चाहिए। लड़कों को भी यह बचपन से सिखाया जाए। बच्चे आजकल स्टडी के लिए बाहर जा रहे हैं। परदेस में किसका मुंह देखेंगे!

लॉकडाउन में मैंने देखा कि जिन्हें ये काम आते थे, वे बड़े सुख से रहे। इस वायरस के टाइम में कौन बार-बार इतने छोटे कामों के लिए बाहर जाएगा। मैं कोई उपदेश नहीं दे रही हूं। मेरी एक मीठी सी नसीहत समझें। अपने बच्चों के दिमाग में कभी यह ना आने दें कि सिलाई, तुरपन, बखिया, बटन लगाना सिर्फ लड़की के काम हैं। ऐसी सोच से अब गुजारा नहीं होगा। बेटे को भी ये छोटी-छोटी चीजें जरूर सिखाएं। किसी दिन आपको ही गर्व होगा। मैंने सालों पहले एक सुंदर दृश्य अपनी आंखों से देखा था, जिसे मैं कभी भुला नहीं पायी। मेरे पड़ोस में एक परिवार था। मां अपने बेटे-बहू के साथ रहती थी। बहू को सिलाई का काम ज्यादा नहीं आता था, पर बेटा मां से खेल-खेल में ही बहुत कुछ सीख गया था। एक दिन मैं उनके घर गयी, तो मैंने देखा कि मां पास में लेटी हुई है, बहू मायके गयी हुई थी और बेटा मां का उधड़ा कुरता सिल रहा है। मैं यह दृश्य आंखों में भर लायी, जो आज तक मुझे खुशी दे जाता है।

आपको कुछ सिलना नहीं आता, तो इसे सोशल मीडिया से ही सीख सकती हैं। टेक्नोलॉजी का फायदा उठाएं और बच्चों को भी बेसिक तो सिखा ही दें।