देवशयनी एकादशी का क्या है महत्व
भगवान िवष्णु को प्रसन्न करने के िलए अाषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को यह व्रत रखा जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस िदन भगवान श्री हरि चार माह के िलए क्षीर सागर के बजाय पाताल लोक में बलि के द्वार पर शयन करने के िलए िनवास करते हैं। यही कारण है िक इस व्रत का नाम देवशयनी/हरिशयनी एकादशी पड़ा। जब वे
भगवान िवष्णु को प्रसन्न करने के िलए अाषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को यह व्रत रखा जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस िदन भगवान श्री हरि चार माह के िलए क्षीर सागर के बजाय पाताल लोक में बलि के द्वार पर शयन करने के िलए िनवास करते हैं। यही कारण है िक इस व्रत का नाम देवशयनी/हरिशयनी एकादशी पड़ा। जब वे
भगवान िवष्णु को प्रसन्न करने के िलए अाषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को यह व्रत रखा जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस िदन भगवान श्री हरि चार माह के िलए क्षीर सागर के बजाय पाताल लोक में बलि के द्वार पर शयन करने के िलए िनवास करते हैं। यही कारण है िक इस व्रत का नाम देवशयनी/हरिशयनी एकादशी पड़ा। जब वे