सैयारा चुपके से आयी फिल्म है, जिसमें हीरो-हीरोइन को प्रमोशन में शामिल भी नहीं किया गया। यश राज फिल्म्स की इस फिल्म को मोहित सूरी ने डायरेक्ट किया है। यश राज बैनर ने पिछले पांच दशकों में बहुत अच्छी फिल्में बनायी हैं। ताजातरीन फिल्म सैयारा ने फिल्म इंडस्ट्री को एक नयी जोड़ी दी है। कहा जाता है कि इस

सैयारा चुपके से आयी फिल्म है, जिसमें हीरो-हीरोइन को प्रमोशन में शामिल भी नहीं किया गया। यश राज फिल्म्स की इस फिल्म को मोहित सूरी ने डायरेक्ट किया है। यश राज बैनर ने पिछले पांच दशकों में बहुत अच्छी फिल्में बनायी हैं। ताजातरीन फिल्म सैयारा ने फिल्म इंडस्ट्री को एक नयी जोड़ी दी है। कहा जाता है कि इस

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सैयारा चुपके से आयी फिल्म है, जिसमें हीरो-हीरोइन को प्रमोशन में शामिल भी नहीं किया गया। यश राज फिल्म्स की इस फिल्म को मोहित सूरी ने डायरेक्ट किया है। यश राज बैनर ने पिछले पांच दशकों में बहुत अच्छी फिल्में बनायी हैं। ताजातरीन फिल्म सैयारा ने फिल्म इंडस्ट्री को एक नयी जोड़ी दी है। कहा जाता है कि इस

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सैयारा चुपके से आयी फिल्म है, जिसमें हीरो-हीरोइन को प्रमोशन में शामिल भी नहीं किया गया। यश राज फिल्म्स की इस फिल्म को मोहित सूरी ने डायरेक्ट किया है। यश राज बैनर ने पिछले पांच दशकों में बहुत अच्छी फिल्में बनायी हैं। ताजातरीन फिल्म सैयारा ने फिल्म इंडस्ट्री को एक नयी जोड़ी दी है। कहा जाता है कि इस फिल्म की रिलीज से पहले ही तय किया गया था कि इसके प्रमोशन में कलाकारों आहान पांडे और अनीत पड्डा को शामिल नहीं किया जाएगा। अनीत पड्डा को लेने के पीछे एक वजह यह भी बतायी गयी कि वह नेचुरल हैं और उन्होंने अपने चेहरे पर कोई बोटोक्स या ट्रीटमेंट नहीं कराया है।

इन पंक्तियों को लिखे जाने तक फिल्म ने 200 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है और उम्मीद है कि यह 300 करोड़ की पांत में शामिल होगी। कहना नहीं होगा कि प्रमोशन के बिना ही सिर्फ माउथ पब्लिसिटी के बल पर यह फिल्म चल रही है। यह फिल्म बॉलीवुड की दो प्रमुख धारणाओं को ध्वस्त करती है। पहली यह कि फिल्म की सफलता बड़े कलाकारों पर निर्भर करती है, दूसरी यह कि फिल्म को चलाने के लिए प्रचार-प्रसार जरूरी है। इस फिल्म ने दोनों ही वजहों को खारिज कर दिया है। ना तो इसका जोर-शोर से प्रचार किया गया और ना ही इसमें नामी कलाकार लिये गए। फिल्म में दोनों प्रमुख किरदार नये हैं। फिल्म का नाम बहुत अलग सा है सैयारा। अरबी में इसका अर्थ होता है, निरंतर चलने वाला या परिक्रमा करने वाला। उर्दू में इसका मतलब तारा है, जो अकेला रहता है पर दुनिया को रोशन करता है।

अब आते हैं इसकी कहानी पर, जो लव स्टोरी है लेकिन इसमें थोड़ा सा ही सही, मगर अल्जाइमर्स जैसी बीमारी की गंभीरता को दर्शाने की कोशिश भी की गयी है। लेखन-फिल्म जर्नलिज्म और संगीत की दुनिया की थोड़ी-बहुत झलक फिल्म दिखाती है। सोशल मीडिया पर फिल्म को लेकर अलग-अलग तरह की बातें कही जा रही हैं। किसी को फिल्म पसंद आ रही है तो किसी को नापसंद। पर थिएटर्स में यह भीड़ जुटा रही है, जो एक सकारात्मक संकेत है। फिल्म की कहानी बहुत नयी नहीं है। नायक कृष कपूर (आहान पांडे) रॉकस्टार के रणबीर कपूर की याद दिलाते हैं। कई जगहों पर लगता है कि फिल्म रॉकस्टार की कॉपी है तो कहीं आशिकी टू जैसी भी दिखती है। कई जगहों पर लगता है, आहान का गला बैठा हुआ है। जब वे गाते हैं तो उनके गले की नसें नजर आती हैं, लगता है वह वास्तव में गा रहे हैं। इसके विपरीत वाणी बत्रा के किरदार में अनीत बहुत मासूम, स्थिर और गंभीर दिखी हैं। फिल्म म्यूजिकल है और गाने कर्णप्रिय भी हैं, सिनेमाहॉल से बाहर निकलते हुए कई लोग गुनगुनाते दिखते हैं लेकिन तुलनात्मक रूप से देखें तो रॉकस्टार का संगीत इससे कहीं ज्यादा ताकतवर था। फिल्म तेज गति से चलती है, इमोशनल करती है, उदास करती है, कहीं-कहीं दिल को छू जाती है। जैसा कि कहा जा रहा है कि जेन जी को फिल्म पसंद आ रही है। यह बात पूरी तरह सही नहीं है क्योंकि फिल्म के दर्शकों में हर उम्र के लोग शामिल हैं, हां, युवाओं की संख्या ज्यादा है। अगर जेन जी को यह पसंद आ रही है तो यह संकेत है इस बात का कि इस पीढ़ी को जितना लापरवाह समझा जाता है, वह नहीं है। कहीं ना कहीं यह पीढ़ी निःस्वार्थ प्यार, कमिटमेंट और केयरिंग बिहेवियर में भरोसा जता रही है। युवा प्रेमियों के रूप में आहान पांडे और अनीत पड्डा की केमिस्ट्री जमी है। कितना आगे तक जा सकेंगे, नहीं कहा जा सकता लेकिन पहली फिल्म में दोनों ने अपनी एक्टिंग से निराश नहीं किया है। हर दौर की अपनी प्रेम कहानी होती है। यह इस दौर की प्रेम कहानी है, जो प्यारी लगती है, अपने साथ बहाती है। अरसे बाद एक लव स्टोरी को परदे पर देखने का अपना अलग आनंद है।

वनिता रेटिंग 3.5/5, कहानी 2.5/5, अभिनय3/5, संगीत 3/5