दीवाली और गोवर्धन की पूजा का समय क्या है, जानें एक्सपर्ट से। इसे सही तरीके से करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होंगी और घर धन-धान्य से भरा रहेगा-

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दीवाली और गोवर्धन की पूजा का समय क्या है, जानें एक्सपर्ट से। इसे सही तरीके से करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होंगी और घर धन-धान्य से भरा रहेगा-

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दीवाली उत्सव भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में और धन व समृद्धि की देवी लक्ष्मी की पूजा के रूप में मनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी घरों में आती हैं और निवासियों को सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं। इस दिन पूजा का मुहूर्त शाम 5:36 बजे से 6:16 बजे तक रहेगा।

दीपावली की लक्ष्मी पूजा विधि

- सर्वप्रथम पूजा स्थल पर चौकी स्थापित रखें और उस पर नया लाल कपड़ा बिछाएं।

- अब चौकी पर मां लक्ष्मी, देवी सरस्वती और भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें।

- भगवान विष्णु, कुबेर और इंद्र देव के लिए माता लक्ष्मी के समक्ष कच्चे चावल से 3 ढेरी का निर्माण करें।

- लक्ष्मी पूजा का आरंभ करने के लिए दीपक प्रज्जवलित करें व रात भर दीपक जला कर रखें। इसके अलावा धूप बत्ती दिखाएं।

- लक्ष्मी पूजा के दौरान श्रीगणेश का आह्वान करें और गणेशजी की मूर्ति पर रोली व अक्षत का तिलक करें।

- इसके बाद भगवान गणेश को सुगंध, फूल, धूप, मिठाई (नैवेद्य) और मिट्टी के दीपक अर्पित करें।

- गणेश जी के बाद लक्ष्मी पूजन करें और मां लक्ष्मी का रोली और चावल से तिलक करें। माता लक्ष्मी को गंध, फूल, धूप और मिठाई अर्पित करें। अब देवी लक्ष्मी को धनिया के बीज, कपास के बीज, सूखी साबुत हल्दी, चांदी का सिक्का, रुपए, सुपारी और कमल के फूल चढ़ाएं।

- सबसे अंत में देवी लक्ष्मी की आरती करें।

- अगर आप माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए मंत्र का जप करना चाहते हैं तो देवी लक्ष्मी का सबसे शक्तिशाली मंत्र श्रीं स्वाहा का कम से कम 108 बार जाप करें।

दीवाली में मां लक्ष्मी को लगाएं इन 5 चीजों का भोगः मां लक्ष्मी को नारियल का लड्डू, कच्चा नारियल और जल से भरा नारियल अर्पित करने वाले पर वे प्रसन्न होती हैं। मखाना, सिंघाड़ा, बताशे और चीनी, पान का भोग जरूर लगाना चाहिए।

गोवर्धन पूजा


गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण द्वारा गोकुल के लोगों को भगवान इंद्र के क्रोध से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा का स्मरण कराती है।

इस दिन पूजा का मुहूर्त सुबह 6:14 से 8:33 तक और दोपहर 3:33 से शाम 5:53 तक रहेगा।

गोवर्धन पूजा विधि

गोवर्धन पूजा के साथ अनेक धार्मिक अनुष्ठान और परंपराएं जुड़ी हुई हैं। इस दिन भगवान कृष्ण और गिरिराज पर्वत का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गोवर्धन पूजा इस तरह करें-

- गोवर्धन पर सर्वप्रथम प्रातःकाल जल्दी उठ कर स्नानादि कार्यों से निवृत होने के बाद शुभ मुहूर्त में गाय के गोबर से गिरिराज गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं।

- गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाने के बाद पर्वत के पास ग्वाल-बाल और पेड़-पौधों की आकृति बनाएं, मध्य में भगवान कृष्ण की मूर्ति स्थापित करें।

इसके बाद गोवर्धन पर्वत की षोडशोपचार विधि से पूजा करें। अब पूजा के दौरान गोवर्धन पर धूप, दीप, जल, फल, नैवेद्य आदि अर्पित करें, साथ ही गोवर्धन पूजा के उपरांत अन्नकूट का भोग लगाएं।

इसके बाद गोवर्धन पूजा की व्रत कथा सुनें और भोग को प्रसाद के रूप में वितरित करें। गोवर्धन पूजन के बाद गोवर्धन जी की 7 परिक्रमाएं करें।

गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा होती है और उन्हें अन्नकूट और कढ़ी-चावल का भोग लगाया जाता है। गोवर्धन पूजा पर छप्पन भोग लगाने की मान्यता है।