वुमन सेफ्टी हा...हा...हा...
सिलचर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल द्वारा जारी की एडवाइरी में महिलाओं को सुरक्षा के लिए लंबी चौड़ी सलाह दी गयी है, जिसमें 9 पॉइंट्स हैं। इनमें साफ-साफ लिखा है कि महिलाओं को अकेली और सुनसान स्थानों पर जाने से बचना चाहिए
सिलचर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल द्वारा जारी की एडवाइरी में महिलाओं को सुरक्षा के लिए लंबी चौड़ी सलाह दी गयी है, जिसमें 9 पॉइंट्स हैं। इनमें साफ-साफ लिखा है कि महिलाओं को अकेली और सुनसान स्थानों पर जाने से बचना चाहिए
सिलचर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल द्वारा जारी की एडवाइरी में महिलाओं को सुरक्षा के लिए लंबी चौड़ी सलाह दी गयी है, जिसमें 9 पॉइंट्स हैं। इनमें साफ-साफ लिखा है कि महिलाओं को अकेली और सुनसान स्थानों पर जाने से बचना चाहिए
महिलाओं के साथ होने वाले रेप के मामले में दोषी को गलत कहने के बजाय महिला को गलत कहना और यह इलजाम लगाना कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि वह रात को अकेली बाहर गयी थी, उसने छोटे कपड़े पहने थे, वह पुरुषों से बात कर रही थी, इस तरह से बात कर रही थी, जिससे दूसरे पुरुषों का ध्यान उसकी तरफ आकर्षित हो रहा था, शराब पी रही थी, सिगरेट पी रही थी, गांजा फूंक रही थी, ये कर रही थी, वो कर रही थी, यानी बेचारा अपने जज्बात और हवस का मारा पुरुष उसका रेप नहीं करता, तो क्या करता। यह वाकई शर्मनाक है।
सिलचर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल द्वारा जारी की एडवाइरी में महिलाओं को सुरक्षा के लिए लंबी चौड़ी सलाह दी गयी है, जिसमें 9 पॉइंट्स हैं। इनमें साफ-साफ लिखा है कि महिलाओं को अकेली और सुनसान स्थानों पर जाने से बचना चाहिए, ऐसा बर्ताव नहीं करना चाहिए, जिससे दूसरों का ध्यान उनकी तरफ आकर्षित हो, रात को बाहर जाने से बचना चाहिए, ग्रेशिसयली यानी इतनी विनम्रता से बात करनी चाहिए कि अपराधियों का ध्यान उनकी तरफ आकर्षित ना हो जाए।
साफ है, कि हमारा समाज और हम आज भी रेप जैसे घिनौने कांड के लिए महिलाओं को ही दोषी मानते हैं। डीन साहब, महिला डॉक्टरों को यह सलाह देने के बजाय अपने मेडिकल कॉलेज की सुरक्षा के इंतजाम पुख्ता करते तो ज्यादा बेहतर नहीं होता। जो लोग महिलाओं को रात को अकेले बाहर जाने या सुनसान जगह पर जाने की हिदायत देते हैं, उन्हें इस बात का जरा भी अफसोस क्यों नहीं होता कि आज भी हमारे शहर, गांव और कस्बे इतने सुरक्षित क्यों नहीं हैं कि वहां बेटे और बेटियां दोनों ही सुरक्षित घूम सकें। बेटियों को समाज में बराबरी का दर्जा देने में तथाकथित ठेकेदारों के पेट में दर्द क्यों होने लगता है। यह वह समाज है, जहां बेटियों को ताले में बंद रहने की सलाह दी जाती है और राम रहीम जैसे रेप के आरोपी 4 साल में 10 बार फर्लो पर जेल से बाहर घूमते हैं।
शाबाश! मेरे देशवासियो, तुम्हारा देश चांद को फतेह कर रहा है, लेकिन तुम तो आज भी यही उम्मीद करते हो कि तुम्हारी बेटियां घूंघट में से उस चांद का दीदार ही करती रहें।
समाज, पुलिस, प्रशासन, सरकार- एक नहीं कई धृतराष्ट्र हैं, जो जरा सा तनाव होने पर महाभारत के लिए व्याभिचार के दुशासन को नहीं बल्कि द्रौपदी को ही दोषी मानेंगे। और हां, चलते-चलते एक बात तो पूछना भूल ही गए, अपनी बेटियों को स्कूल-कॉलेज भेजें या अगली एडवाइजरी जारी होने का इंतजार करें।