तेजस डिटेक्टिव एजेंसी प्राइवेट लिमिटेड की डाइरेक्टर भावना पालीवाल पिछले 22 सालों से दिल्ली में बतौर डिटेक्टिव काम कर रही हैं। अपने शुरुआती कैरिअर में वे जर्नलिज्म में थी, उन्होंने उस कैरिअर को क्यों छोड़ा और डिटेक्टिव बन कर उन्होंने क्या हासिल किया? जानिए उनकी कहानी-

तेजस डिटेक्टिव एजेंसी प्राइवेट लिमिटेड की डाइरेक्टर भावना पालीवाल पिछले 22 सालों से दिल्ली में बतौर डिटेक्टिव काम कर रही हैं। अपने शुरुआती कैरिअर में वे जर्नलिज्म में थी, उन्होंने उस कैरिअर को क्यों छोड़ा और डिटेक्टिव बन कर उन्होंने क्या हासिल किया? जानिए उनकी कहानी-

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तेजस डिटेक्टिव एजेंसी प्राइवेट लिमिटेड की डाइरेक्टर भावना पालीवाल पिछले 22 सालों से दिल्ली में बतौर डिटेक्टिव काम कर रही हैं। अपने शुरुआती कैरिअर में वे जर्नलिज्म में थी, उन्होंने उस कैरिअर को क्यों छोड़ा और डिटेक्टिव बन कर उन्होंने क्या हासिल किया? जानिए उनकी कहानी-

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तेजस डिटेक्टिव एजेंसी प्राइवेट लिमिटेड की डाइरेक्टर भावना पालीवाल पिछले 22 सालों से दिल्ली में बतौर डिटेक्टिव काम कर रही हैं। उनकी टीम में 5 लोग हैं। वे भारत के किसी भी हिस्से के केस हैंडल करते हैं। ज्यादातर केस इन दिनों एक्स्ट्रा मेरिटल अफेअर, टीनएज बच्चों से संबंधित आते हैं। आश्चर्य की बात है लोग ईमानदार रिश्ते तो चाहते हैं, पर वे खुद कितने ईमानदार हैं, इस पर नहीं सोचते।

 

रिश्ते में रहनी चाहिए सचाई

डिटेक्टिव अब किसी मर्डर केस काे सॉल्व करने भर के लिए ही नहीं रह गए हैं, बल्कि लोग पर्सनल मैटर्स पर भी इन्हें हायर करने लगे हैं। इन दिनों रिश्ते तय होते समय लड़का-लड़की की पूछताछ, पार्टनर्स की जासूसी, युवा होते बच्चों पर नजर रखने के लिए भी डिटेक्टिव की मदद ली जाने लगी है। आज के समय में यह सब जरूरी भी होता जा रहा है। यंग कपल्स एक-दूसरे के साथ लाइफ शुरू करने से पहले बहुत कुछ जानना चाहते हैं। लोग डिटेक्टिव एजेंसीज को अच्छा पैसा भी देते हैं।

कैरिअर में जब आया टि्वस्ट

भावना पालीवाल ने डिटेक्टिव के कैरिअर को कुछ खास वजहों से चुना। वह कहती हैं, ‘‘मेरी स्कूलिंग गांव में हुई थी। कॉलेज की पढ़ाई आगरा यूनिवर्सिटी से हुई। शुरू से दिमाग में एक बात थी कि मैं लड़कों की तरह काम क्यों नहीं कर सकती? जीवन में कुछ लीक से हट कर करना मेरा लक्ष्य था। मुझे दिल्ली में रहते हुए 24 साल हो गए हैं। कॉलेज के बाद दिल्ली में जर्नलिज्म करने आयी थी, पर जब जॉब शुरू की तो लगा कि इसमें मेरा मकसद पूरा नहीं हो पा रहा है। मैं समाज में आ रहे बदलावों को महसूस कर रही थी। आजकल पति-पत्नी के झगड़ों की एक मुख्य वजह भरोसे का न होना है। वाइफ को हसबैंड पर और हसबैंड को वाइफ पर संदेह है। मुझे लगता था कि अगर ये लोग पहले ही एक-दूसरे के बारे में पता लगा लें तो शादी के बाद ये संदेह बहुत हद तक कम हो सकते हैं। मुझे लगा कि क्यों न कुछ ऐसा करूं कि दांपत्य जीवन सहज बना रहे, रिश्तों में ईमानदारी बरती जा सके। सचाई यह है कि अब रिश्तों में टेक्नोलॉजी की दखलअंदाजी बहुत हो गई है, जिससे रिश्ते बिखरने लगे हैं। मैंने एक डिटेक्टिव एजेंसी में नौकरी के लिए आवेदन किया, मेरे जोश को देखते हुए उन्होंने मुझे काम दे दिया। अपने पहले असाइंमेंट के बाद वे खुश हुए और कहा कि मैं इस कैरिअर में बेहतर कर सकती हूं।’’ आगे चल कर उन्होंने अपनी डिटेक्टिव एजेंसी खोली।

 

जैसा केस, वैसा बजट

भावना उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद शहर की रहने वाली हैं। हर महीने में उन्हें 4-5 केसेज तो मिल ही जाते हैं। वे कहती हैं, ‘हर किसी की इंक्वायरी अलग-अलग होती है। किसी को डिवोर्स के लिए प्रूफ चाहिए, किसी को पार्टनर के अफेअर के बारे में मालूम करना है। केस की संजीदगी और उसमें आने वाले खर्च के मुताबिक ही बजट तय किया जाता है। इसमें प्रतिदिन का बजट 5 हजार से तकरीबन 25 हजार तक तय होता है। केस छोटा हो या बड़ा, उसे सॉल्व करने में समय लगता है, काफी दौड़भाग और रेकी करनी होती है। आजकल लोग प्री व पोस्ट मैरिज, गुमशुदगी के अलावा बच्चों की जासूसी भी करवाते हैं। ऐसे केसेज में कई बार 50 हजार रुपये तक की पेमेंट होती है।’’

हर केस कुछ खास होता है

हाल में एक भारतीय लड़की विदेश से पढ़ कर वापस भारत आयी थी। उसके विदेशी बॉयफ्रेंड ने मुझे कॉन्टैक्ट किया और लड़की की इन्क्वारी करायी। लड़की ने उसे अपना पता गलत दिया था, जबकि वह इंडियन बॉयफ्रेंड के साथ रहती थी। उसे ढूंढ़ने में 15 दिन लगे।सबूत कई बार पुख्ता नहीं होते यह हाइटेक दौर है। भावना कहती हैं, ‘‘केस सॉल्व करने में कई तरह की जटिलताएं भी आती हैं क्योंकि लोग सजग हो चुके हैं, सबूत कम छोड़ते हैं। कई बार गुमशुदगी के केस में पुलिस की मदद लेनी पड़ती है।’’