सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने वाले टाइप-1 डायबिटीज से ग्रस्त लोगों के लिए भी ये सुविधा दी जानी चाहिए ताकि वे भी पूर्ण रूप से अपने एग्जाम पर फोकस कर सकें और बेहतर परफॉर्मेंस देकर अपने करियर और जीवन को एक नई दिशा दे सकें।

सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने वाले टाइप-1 डायबिटीज से ग्रस्त लोगों के लिए भी ये सुविधा दी जानी चाहिए ताकि वे भी पूर्ण रूप से अपने एग्जाम पर फोकस कर सकें और बेहतर परफॉर्मेंस देकर अपने करियर और जीवन को एक नई दिशा दे सकें।

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सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने वाले टाइप-1 डायबिटीज से ग्रस्त लोगों के लिए भी ये सुविधा दी जानी चाहिए ताकि वे भी पूर्ण रूप से अपने एग्जाम पर फोकस कर सकें और बेहतर परफॉर्मेंस देकर अपने करियर और जीवन को एक नई दिशा दे सकें।

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बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं। आज के समय में कई छात्र ऐसे भी हैं, जो डाइबिटीज से पीडि़त हैं । चूंकि बोर्ड की परीक्षा 3 घंटे की होती है और बच्चे एग्जाम सेंटर भी समय से पहले पहुंचते हैं, इस वजह से कई बार एग्जाम के समय में उनका शुगर लेवल डाउन हो जाता है। इस समस्या को देखते हुए सीबीएसई ने 10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षा में बैठने वाले डायबिटीज से पीडि़त छात्रों को खाने पीने का सामान ले जाने की छूट दी है। इस बारे में दिल्ली डायबिटीज एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन के चेअरमैन डॉ. अशोक कुमार झिंगन का कहना है कि सीबीएसई द्वारा उठाया गया यह कदम बहुत महत्वपूर्ण है। इसी प्रकार अन्य सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने वाले टाइप-1 डायबिटीज से ग्रस्त लोगों के लिए भी ये सुविधा दी जानी चाहिए ताकि वे भी पूर्ण रूप से अपने एग्जाम पर फोकस कर सकें और बेहतर परफॉर्मेंस देकर अपने करियर और जीवन को एक नई दिशा दे सकें।

क्या हैं गाइडलाइंस

सीबीएसई द्वारा जारी किए सर्कुलर के अनुसार टाइप-1 डायबिटीज से पीडि़त बच्चे अपने साथ एग्जाम सेंटर में चॉकलेट, शुगर कैंडी, शुगर टैबलेट्स ले जा सकते हैं। इसके अलावा कोई फल जैसे केला, सेब, संतरा, 500 मिली. तक की पानी की बोतल, सैंडविच जैसे स्नैक्स भी ले जा सकते हैं। इसके लिए उन्हें डॉक्टर से प्रमाणित सर्टिफिकेट देना होगा कि बच्चे को परीक्षा के दौरान इन चीजों की जरूरत पड़ सकती है। यह प्रमाणपत्र स्कूल के प्रिंसिपल के माध्यम से जमा करवाया जा सकता है। छात्र इन चीजों को ट्रांसपेरेंट पाउच में ले जा सकते हैं। इन्हें परीक्षक के पास जमा करवाया जाता है। जरूरत पड़ने पर छात्र इन्हें मांग सकते हैं।

टाइप-1 डायबिटीज से ग्रस्त बच्चों को आमतौर पर दिन में इंसुलिन के चार इंजेक्शन (एक सुबह  नाश्ते के साथ, दूसरा लंच में, तीसरा डिनर के साथ और एक इंजेक्शन रात में) लगाने  की सलाह दी जाती है। एग्जाम के दौरान टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित बच्चे अच्छी परफॉर्म नहीं दे पाते हैं क्योंकि टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित बच्चे जब स्कूल जाते हैं तो अपना इन्सुलिन इंजेक्शन लगाकर जाते हैं। इस इंजेक्शन का पीक इफ़ेक्ट एक घंटे के बाद से लेकर 3-4 घंटे तक रहता है। लेकिन जब भी शुगर लेवल लो होती है तो 70 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर से नीचे चली जाती है तो बच्चों के हाथ-पैर कांपने लगते हैं, सिर भारी हो सकता है, आंखों के सामने अंधेरा हो सकता है, घबराहट होना, पसीना आना, कन्फ्यूजन (भ्रम) होना, सोचने-समझने की क्षमता में कमी आना, तो ऐसी स्थिति में बच्चा लिख नहीं पायेगा, बच्चे का कंसंट्रेशन खत्म हो जाएगा। पेरेंट्स को भी लगता है कि बच्चा सारा साल अच्छा करता है लेकिन एग्जाम के दौरान उसकी परफॉरमेंस में कमी आ जाती है। एग्जाम हॉल में सुविधा मिलने पर बच्चे अपना बेहतर परफॉर्मेंस दे पाएंगे, ठीक से लिख पाएंगे और उनकी मेंटल पावर भी ठीक रहेगी, याददाश्त भी ठीक रहेगी और एग्जाम बहुत अच्छे से दे पाएंगे।

सलाह

टाइप-1 डायबिटीज छात्रों को एग्जाम के लिए घर से निकलने से पहले अच्छे से अपना ब्रेकफास्ट (रोटी, ओट्स, दलिया, इडली या उपमा) करना चाहिए।

ऐसा खाना खाएं जो आपको भरे हुए पेट की सेंसेशन देता रहे।

इन मरीजों को ढाई से तीन घंटे में कुछ न कुछ जरूर खाते रहना चाहिए, इससे आपके ब्लड शुगर लेवल्स में बहुत ज्यादा उतार-चढाव नहीं होगा। ब्लड शुगर लेवल्स में उतार-चढाव बहुत ज्यादा खतरनाक हो सकता है।

एग्जाम के दौरान छात्र अपना मानसिक संतुलन भी बनाए रखें। कोई भी समस्या होने पर तुरंत एग्जाम हॉल में उपस्थित टीचर/स्टाफ से संपर्क करें, इमरजेंसी के लिए हमेशा शुगर की जांच करने वाला ग्लूकोमीटर, शुगर दवा अपने साथ रखें।

लो शुगर से बचने के लिए सारी चीजें (ग्लूकोज, ग्लूकोज की गोलियां, बिस्कुट, स्नैक्स, सैंडविच, घर का बना ब्रेड पकोड़ा, पुआ, फल, बिस्कुट, चॉकलेट) अपने साथ रखें ताकि इनके सेवन से आपको तुरंत राहत मिल सके।

सोडा, कोल्ड ड्रिंक, कॉफ़ी के इस्तेमाल से बचना चाहिए। शुगर लेवल की नियमित मोनिटरिंग करते रहना बेहद जरूरी है।