फरवरी यानी मोहब्बत का महीना, घूमने-फिरने, खाने-पीने के लिए यह काफी मुफीद समय है। तो इस बार आपको ले चलते हैं सूरजकुंड के मेले।

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फरवरी यानी मोहब्बत का महीना, घूमने-फिरने, खाने-पीने के लिए यह काफी मुफीद समय है। तो इस बार आपको ले चलते हैं सूरजकुंड के मेले।

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फरवरी यानी मोहब्बत का महीना, घूमने-फिरने, खाने-पीने के लिए यह काफी मुफीद समय है। तो इस बार आपको ले चलते हैं सूरजकुंड के मेले।

हरियाणा पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित यह मेला सभी उम्र के लाेगों के लिए बढि़या है। इस बार मेले की थीम स्टेट गुजरात है।

कब से कब तक

2-18 फरवरी 2024 तक होने वाले इस मेले में देश के कोने-कोने से हस्तशिल्प का हुनर दिखाने के लिए कारीगर आए हैं। 120 रूपये की टिकट में पूरे भारत के हस्तशिल्प कला का एक ही जगह में एक साथ मिलना वाकई कमाल बात है। इस बार सूरजकुंड मेले में दक्षिण एशिया, अफ्रीका और यूरोप के 20 से अधिक देशों की भागीदारी कर रहे हैं। सूरज कुंड मेला वैश्विक संस्क्रृति कला और पाक व्यंजनों का आनंद लेने आएं है। यह मेला सुबह 10 से शाम 7 बजे तक खुला है।

कैसे जाएं

मेट्रो के लिए आप वॉयलेट लाइन ले सकते हैं और बदरपुर तक जा कर कर कैब, टैक्सी या ऑटो लेना सही है। आप अपनी गाड़ी से भी जा सकते हैं। पार्किंग की सुविधा है। इसके के अलावा बस का ऑप्शन भी मौजूद है।

मेले में एंट्रेंस की ब्यूटी

मेले के शुरू में ही राजस्थान से पारंपरिक अचार, पापड़, बडि़यां और अचार की कई वेराइटी के अलावा रोस्टेड नमकीन और काबुल के ड्राई फ्रूट की बाहार देखने को मिल रही थी। ड्राई शहतूत, अंजीर, तरह-तरह के बादाम और अखरोट की वेराइटी की अलावा कई ऐसे ड्राई फूट जो अपने कभी देखे और सुने नहीं होंगे। खजूर का साइज, उसका टेस्ट और बढि़या क्वालिटी को देख कर आप दांतों तले उंगली दबाए बिना नहीं रह सकते।

पहली बार जाने पर

आप अगर पहली बार सूरजकुंड जा रहे हैं, तो यह मेला आपके लिए बढि़या सांस्कृतिक अनुभवों में से एक है। मेले में दुनिया भर और भारत से कई सांस्कृतिक प्रदर्शन होते हैं। ये सांस्कृतिक कार्यक्रम मेले की सर्वोत्तम विशेषताओं में से एक है। मेले के अंदर सस्ती और खूबसूरत पारंपरिक ड्रेस, ड्रेस मटीरियल और सजावट के सामान को देख कर आप उसे खरीदे बिना नहीं रह सकते हैं। शॉप टिल यू ड्रॉप वाली उक्ति यहां पर एकदम सार्थक लगती है। कहने का मतलब यह है कि आप अपने साथ बैग ले कर जाना ना भूलें, जिससे सामान उठाने में सहूलियत होगी।

क्या खरीदें

बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, महराष्ट्र, गुजरात ही नहीं राजस्थान, दक्षिण भारत के कारीगर यहां हैं। दक्षिण भारत की लकड़ी से तैयार कलात्मक मूर्तियां और असम की बांस की टोकरियां, टेराकोटा के बरतन, पॉटरी, पेंटिंग के अलावा गुजरात का कॉटन सिल्क, पंजाब का फुलकारी, मध्य प्रदेश का टसर, असम का मूंगा सिल्क व सूती और मणिपुर के सूती, सिल्क व ऊनी फैब्रिक की खूबसूरती देखते ही बनती है।

 

सांस्कृतिक कार्यक्रम की खासियत

शॉपिंग और फूड के अलावा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आनंद लीजिए। सूफी, कथक, राजस्थानी लोक नृत्य के अलावा, यूरोप और एशिया के देशों के लोक नृत्य भी पूरे दिन आपके मूड को हल्का और रूमानी बनाए रखते हैं। नाइजीरिया इकोंबी डांस भी देखना ना भूलें, यहां के लोक नृत्य में लहरों की आवाज को नृत्य की थिरकन में ढाल देते हैं। फैशन टेक्नोलॉजी में नाइजीरिया सबसे आगे है। यहां 1000 वेराइटी की तितलियां पायी जाती हैं। बहुत आश्चर्य की बात है, जब शाम को यहां के कालाकार खास संगीत पर नृत्य करते हैं, तो संगीत इतना मधुर होता है कि आस पास से तिलतियां भी आने लगी थीं।