पौधों का विकास सही होगा, अगर उनके गमलों का चयन सही हो। वैसे आजकल मिट्टी के ट्रेडिशनल गमलों के अलावा सिरेमिक, मेटल, प्लास्टिक के तरह-तरह के डिजाइनर गमले बाजार में उपलब्ध हैं।

पौधों का विकास सही होगा, अगर उनके गमलों का चयन सही हो। वैसे आजकल मिट्टी के ट्रेडिशनल गमलों के अलावा सिरेमिक, मेटल, प्लास्टिक के तरह-तरह के डिजाइनर गमले बाजार में उपलब्ध हैं।

Want to gain access to all premium stories?

Activate your premium subscription today

  • Premium Stories
  • Ad Lite Experience
  • UnlimitedAccess
  • E-PaperAccess

पौधों का विकास सही होगा, अगर उनके गमलों का चयन सही हो। वैसे आजकल मिट्टी के ट्रेडिशनल गमलों के अलावा सिरेमिक, मेटल, प्लास्टिक के तरह-तरह के डिजाइनर गमले बाजार में उपलब्ध हैं।

Want to gain access to all premium stories?

Activate your premium subscription today

  • Premium Stories
  • Ad Lite Experience
  • UnlimitedAccess
  • E-PaperAccess

पौधों के लिए गमले खरीदने से पहले कई छोटी-छोटी बातें ऐसी हैं, जिन्हें ध्यान में रखना जरूरी है जैसे पौधा कितना बड़ा है या उसकी ऊंचाई कितनी होगी, उसकी घनी जड़ें हैं या थोड़ी बहुत जड़ें होंगी, बड़े पत्तों वाला पौधा है या छोटा वगैरह। आमतौर पर 12 इंच, 10 इंच और 8 इंच के गमले इस्तेमाल किए जाते हैं। बहुमंजिला इमारतों की बालकनियों में ज्यादातर प्लास्टिक के गमले रखे जाते हैं। इनमें मिट्टी की जगह कोकोपीट का इस्तेमाल होता है। पारंपरिक मकानों की छतों और आंगन में मिट्टी के गमले रखे जाते हैं।

मिट्टी के गमले या डिजाइनर प्लांटर्स

gardening tools and seedling in soil surface isolated on a white background

बड़े पत्ते वाले पौधों के लिए कम कम 12 इंच के प्लास्टिक के गमले चुनें। मिट्टी के गमलों में लगे बड़े पत्ते वाले पौधों को लिविंग रूम में रखना चाहती हैं, तो सिरामिक के बड़े गमलों में इन्हें रखें।

अगर आप सिर्फ मिट्टी के ही गमले का इस्तेमाल करना चाहती हैं, तो टेराकोटा गमले लाएं। हैंगिग प्लांट के लिए लटकाने वाले गमले होते हैं। बहुत बड़े गमले सीमेंट के होते हैं। सीमेंट के छोटे गमले भी होते हैं, पर इन गमलों की लाइफ कम होती है, बहुत जल्दी ही ये भुरभुरे हो जाते हैं। सीमेंट की गरमी से पौधे का विकास भी बहुत अच्छा नहीं हो पाता। इसके अलावा आजकल ग्रो बैग भी काफी पॉपुलर हो रहे हैं, इसमें लगे पौधे सांस लेते हैं और उनकी ग्रोथ अच्छी होती है। मेटल के प्लांटर में जंग लगने का डर होता है। इसलिए इसे समय-समय पर पेंट करने की जरूरत होती है। सक्यूलेंट पौधों में आप डाइरेक्ट सिरेमिक प्लांटर में लगा सकती हैं।

पौधों में कितना पानी

सभी पौधों को एक ही मात्रा में पानी की जरूरत नहीं होती। पौधे के प्रकार, जरूरत और मौसम के मुताबिक पानी की मात्रा तय की जाती है। अगर डबल पॉटिंग करते हैं, तो यह जड़ों को सुरक्षित रखता है। लेकिन जड़ों में धूप-हवा लगनी चाहिए, इस बात का ध्यान रखें। शाम का समय पानी देने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। पर तेज गरमी में सुबह-शाम पानी देने की जरूरत होती है। फुहारों के साथ पानी देने के लिए पाइप या खास स्प्रेअर का प्रयोग करें। बहुमंजिली इमारतों में पौधों को 10-15 दिन में एक बार फुहारों के साथ पानी दें। जिन गमलों में कोकोपीट मिली मिट्टी होती है, उनमें पानी देने की ज्यादा जरूरत नहीं होती। पौधों में हमेशा ओवर वॉटरिंग से बचें। इससे पौधे की जड़ें गल जाती हैं। सक्यूलेंट प्लांट को भी कम पानी की जरूरत होती है।