पीरियड यानी मासिक धर्म सिर्फ हर महीने होने वाली प्रक्रिया नहीं है, बल्कि महिलाओं के लिए यह एक हेल्थ रिपोर्ट की तरह काम करता है। मेंस्‍ट्रुअल साइकिल यह संकेत देता है कि हार्मोन संतुलित हैं या नहीं और प्रजनन तंत्र सामान्य रूप से कार्य कर रहा है या नहीं। पीरियड कितने दिनों तक हो रहा है, खून के बहाव की तीव्रता क्‍या है, दर्द है या नहीं या बीच में कोई अन्‍य बदलाव हो रहे हैं तो ये सभी संकेत बेहद अहम होते हैं। इन पर ध्यान देकर महिलाएं न केवल अपनी गर्भधारण की क्षमता को बेहतर समझ सकती हैं, बल्कि परिवार नियोजन और संपूर्ण स्वास्थ्य के बारे में भी सही फैसले ले सकती हैं। इस बारे में बता रहे हैं येलो फर्टिलिटी के डाइरेक्टर और सीनियर आईवीएफ कंसल्टेंट डॉ. सोनू तक्षक

सबसे पहला संकेत : पीरियड कितने दिन चलता है

मासिक धर्म का पहला और सबसे अहम संकेत होता है कि वह कितने दिन तक चलता है। आमतौर पर यदि पीरियड 21 से 35 दिनों के बीच आते हैं तो यह संतुलित माना जाता है। यदि यह लगातार इस दायरे से बाहर जाता है, तो यह किसी गहरी समस्या की ओर इशारा कर सकता है। 24 दिन से कम समय में होने वाला मासिक धर्म अकसर इस बात का संकेत होते हैं कि अंडाशय (ओवरी) में अंडों की संख्या कम हो रही है। लंबे चक्र पीसीओएस, थायरॉयड की समस्या या अनियमित अंडोत्सर्जन (ओव्यूलेशन) का संकेत हो सकते हैं।

खून के बहाव का पैटर्न : ज्यादा या कम

पीरियड्स के दौरान खून का बहाव भी सेहत के बारे में बहुत कुछ बताता है। अगर खून इतना ज़्यादा आए कि हर घंटे पैड या टैम्पॉन बदलना पड़े, तो यह सामान्य नहीं है। यह फाइब्रॉइड्स, एंडोमेट्रियोसिस या हार्मोन से जुड़ी गड़बड़ियों का संकेत हो सकता है। वहीं, अगर पीरियड्स बहुत हल्के हों या बहुत कम खून निकले, तो यह गर्भाशय की परत पतली होने या शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन कम होने की वजह से हो सकता है। जो महिलाएं बच्‍चे की प्लानिंग कर रही हैं, उनके लिए यह ज़रूरी है कि वे हर महीने खून के बहाव को नोटिस करें, क्योंकि इससे पता चलता है कि शरीर कितना स्वस्थ और संतुलित है।

पीरियड्स का दर्द : सामान्य या चिंता का कारण?

अकसर हमें कहा जाता है कि पीरियड्स का दर्द सामान्य है, लेकिन सच्‍चाई थोड़ी अलग है। सामान्य तौर पर इस दौरान हल्की ऐंठन होना ठीक है, जिसे दवा, पानी पीने और आराम करने से मैनेज किया जा सकता है। लेकिन अगर दर्द इतना ज्यादा हो कि रोजमर्रा का कामकाज ही रुक जाए, तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ऐसा दर्द एंडोमेट्रियोसिस, एडेनोमायोसिस या पेल्विक इंफेक्शन जैसी समस्याओं का संकेत हो सकता है। अगर इनका समय पर इलाज न हो, तो यह फर्टिलिटी यानी गर्भधारण की क्षमता पर भी असर डाल सकता है।

अनियमित या मिस्ड पीरियड्स : असंतुलन का संकेत

अगर पीरियड्स कभी समय पर न आएं, बीच में रुक जाएं या अचानक शुरू हो जाएं, तो यह इस बात का संकेत है कि अंडोत्सर्जन नियमित नहीं हो रहा। इसके पीछे पीसीओएस, थायरॉयड, तनाव या वजन में अचानक बदलाव जैसे कारण हो सकते हैं। ऐसी हालत में हार्मोनल संतुलन बिगड़ जाता है और गर्भधारण मुश्किल या अनिश्चित हो जाता है।

बीच के संकेत : ओवुल्‍यूशन की पहचान

आपके मेंस्‍ट्रुअल साइकल के मध्य में शरीर कुछ खास संकेत देता है, जो बताते हैं कि महिला अपने सबसे ज्यादा फर्टाइल (गर्भधारण योग्य) समय में है। इस दौरान सर्वाइकल म्यूकस (योनि से निकलने वाला तरल) साफ, चिपचिपा और अंडे की सफेदी जैसा हो जाता है। यह बदलाव शुक्राणुओं (स्पर्म) को गर्भाशय की ओर आसानी से आगे बढ़ने में मदद करता है। कई महिलाओं को इस समय हल्का-सा पेट दर्द भी महसूस होता है, जिसे ‘मिटलश्मेर्ज़’ कहा जाता है। इसके अलावा, हार्मोनल बदलाव की पुष्टि के लिए ओव्यूलेशन किट का उपयोग भी किया जा सकता है। इन संकेतों पर ध्यान देने से यह समझने में मदद मिलती है कि अंडोत्सर्जन सामान्य रूप से हो रहा है या नहीं।

स्वस्थ जीवनशैली : अकसर नजरअंदाज किया जाने वाला पहलू

मासिक चक्र पर सिर्फ जैविक कारण ही असर नहीं डालते, बल्कि जीवनशैली भी बड़ी भूमिका निभाती है। लगातार तनाव, गलत खानपान और नींद की कमी हार्मोनल संतुलन को बिगाड़ सकती है। यहां तक कि बहुत ज़्यादा कसरत भी पीरियड्स को अनियमित कर सकती है। इसलिए ज़रूरी है कि महिलाएं संतुलित जीवनशैली अपनाएं - पौष्टिक आहार लें, पर्याप्त नींद पूरी करें, नियमित लेकिन संतुलित व्यायाम करें और तनाव को नियंत्रित रखने की आदत डालें।

डॉक्‍टर से सलाह लेना क्यों जरूरी है

अगर मासिक धर्म में लगातार गड़बड़ी हो रही हो, तो उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। जैसे कि पीरियड आने का समय 21 दिन से कम या 35 दिन से बड़ा हो, खून का बहाव बहुत ज्यादा या बहुत कम हो या फिर दर्द इतना हो कि सहन करना मुश्किल लगे, तो तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए। इसके पीछे पीसीओएस, एंडोमेट्रियोसिस या थायरॉयड जैसी समस्याएं हो सकती हैं। समय पर पहचान होने से न सिर्फ इलाज आसान होता है, बल्कि भविष्य की फर्टिलिटी (गर्भधारण क्षमता) भी बेहतर रहती है।

सबसे अहम बात : अपने शरीर के संकेत समझें

यदि आपको नियमित रूप से पीरियड्स हो रहे हैं तो यह हार्मोनल बैलेंस और फर्टिलिटी के लिए बढि़या सेहत का साफ संकेत है। लेकिन यह भी याद रखना जरूरी है कि पीरियड अनियमित होने का मतलब हमेशा इनफर्टिलिटी नहीं होता। ये बदलाव दरअसल महिलाओं को समय रहते सतर्क करते हैं, ताकि वे अपनी फर्टिलिटी और संपूर्ण सेहत की सुरक्षा के लिए सही कदम उठा सकें।

मेंस्‍ट्रुअल साइकल पर ध्यान देना महिलाओं को अपनी सेहत और फर्टिलिटी के प्रति जागरूक बनाता है। अगर समय रहते शरीर के संकेतों को पहचाना जाए और जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञ की सलाह ली जाए, तो आने वाले कल की कई मुश्किलों से बचा जा सकता है।