गर्भनिरोधक : अनचाही प्रेगनेंसी पर मनचाहा ब्रेक
गर्भनिरोधक उपाय यानी कॉन्ट्रासेप्टिव से आज कोई अनजान नहीं है। चाहे कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स हों, कॉपर टी हो या फिर कंडोम, हर गर्भनिरोध उपाय के अपने फायदे-दिक्कतें हैं। हालांकि आज मार्केट में ऐसे गर्भनिरोध मिल रहे हैं, जो पहले से कई गुना सुरक्षित और प्रभावी हैं। 26 सितंबर को वर्ल्ड कॉन्ट्रासेप्टिव डे
गर्भनिरोधक उपाय यानी कॉन्ट्रासेप्टिव से आज कोई अनजान नहीं है। चाहे कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स हों, कॉपर टी हो या फिर कंडोम, हर गर्भनिरोध उपाय के अपने फायदे-दिक्कतें हैं। हालांकि आज मार्केट में ऐसे गर्भनिरोध मिल रहे हैं, जो पहले से कई गुना सुरक्षित और प्रभावी हैं। 26 सितंबर को वर्ल्ड कॉन्ट्रासेप्टिव डे
गर्भनिरोधक उपाय यानी कॉन्ट्रासेप्टिव से आज कोई अनजान नहीं है। चाहे कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स हों, कॉपर टी हो या फिर कंडोम, हर गर्भनिरोध उपाय के अपने फायदे-दिक्कतें हैं। हालांकि आज मार्केट में ऐसे गर्भनिरोध मिल रहे हैं, जो पहले से कई गुना सुरक्षित और प्रभावी हैं। 26 सितंबर को वर्ल्ड कॉन्ट्रासेप्टिव डे
गर्भनिरोधक उपाय यानी कॉन्ट्रासेप्टिव से आज कोई अनजान नहीं है। चाहे कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स हों, कॉपर टी हो या फिर कंडोम, हर गर्भनिरोध उपाय के अपने फायदे-दिक्कतें हैं। हालांकि आज मार्केट में ऐसे गर्भनिरोध मिल रहे हैं, जो पहले से कई गुना सुरक्षित और प्रभावी हैं। 26 सितंबर को वर्ल्ड कॉन्ट्रासेप्टिव डे के मौके पर कॉन्ट्रासेप्टिव्स के बारे में विस्तृत और उपयोगी जानकारी पाने के लिए हमने मुलाकात की (ले. कर्नल) डॉ. लीना एन श्रीधर से, जो मणिपाल हॉस्पिटल, द्वारका, दिल्ली में ऑब्स्टेट्रिक्स व गाइनीकोलॉजी विभाग की हेड व कंसल्टेंट हैं।
वही अपनाएं जो सूट करे
डॉ. लीना एन श्रीधर कहती हैं कि गर्भनिरोधक उपाय बहुत सारे हैं। किसी को कुछ पसंद है तो किसी को कुछ और। फिर हर महिला की लाइफ में बहुत सारे स्टेज होते हैं। आजकल हर स्टेज में महिलाओं को अनचाही प्रेगनेंसी से बचने के उपायों की जरूरत होती है। वैसे तो सभी कॉन्ट्रासेप्टिव मेथड अच्छे हैं, पर हम उनके फेलियर रेट पर उनका आकलन करते हैं। इसके अलावा सूटेबल गर्भनिरोधक के चयन में महिला उम्र के किस दौर से गुजर रही है, यह भी देखा जाता है। उदाहरण के लिए अगर किसी अनमैरिड लड़की को अनचाहे गर्भ से सुरक्षा चाहिए तो उसके लिए बेस्ट ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स हैं।
ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स से बहुत से मिथ जुड़े हुए हैं। जैसे इन्हें लेने पर वजन बढ़ जाता है, वोमिटिंग और उबकाई आती है, भविष्य में फर्टिलिटी पर असर पड़ता है आदि। डॉ. लीना कहती हैं कि ऐसा कुछ नहीं होता है। आजकल इतनी अच्छी लो डोज पिल्स बन रही हैं, जिनसे ना तो वजन बढ़ता है, ना उल्टियां आती हैं। बहुत कम दिक्कत होती है। जब भी प्रेगनेंसी चाहें, पिल्स लेना छोड़ दें, आमतौर पर महीने भर के अंदर प्रेगनेंट हो सकती हैं।
पिल्स भूलना मना है
गाइनीकोलॉजिस्ट ओंरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स उन महिलाओं को लेने की सलाह देते हैं, जो पक्के तौर पर कंफर्म रहती हैं कि उन्हें प्रेगनेंसी नहीं चाहिए। ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स के साथ एक ही बात महत्वपूर्ण है कि इन्हें एक बार शुरू कर दिया तो कोई डोज लेना भूलना नहीं होता है। जो बहुत भूलते हैं, उनके लिए ये पिल्स नहीं हैं। हालांकि आजकल मोबाइल फोन में रिमाइंडर होते हैं, जिन्हें सेट करके भूलने से बचा जा सकता है। अगर कभी भूल गयीं तो सुबह उठते ही रात वाली डोज ले लें, फिर रात वाली रेगुलर डोज लेती रहें। न्यूली मैरिड और यंग गर्ल्स के लिए ये पिल्स बहुत अच्छा उपाय है। इनसे उनकी फ्यूचर फर्टिलिटी पर कोई खराब असर नहीं पड़ता। उल्टा, इन पिल्स से पॉलीसिस्टिक ओंवरी से भी बचाव हो जाता है। आजकल बहुत सी लड़कियां इस समस्या को ले कर हमारे पास आती हैं, उन्हें हम ये पिल्स देते हैं और ज्यादातर मामलों में प्रभावी होती हैं।
जो महिलाएं ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स लेती हैं, उनको पीरियड्स नियमित आते हैं। वे 21 दिन पिल्स लेती हैं, फिर 7 दिन छोड़ना होता है, फिर 21 दिन पिल्स लेती हैं। इससे उनके पीरियड्स रेगुलर हो जाते हैं। पीरियड्स थोड़े हल्के भी होते हैं, जो उन्हें एनिमिक होने से बचाते हैं। उनकी बॉडी में खून की कमी नहीं होती। ओंरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स को डॉक्टर की सलाह के अनुसार लेते रहना चाहिए।
लौटा कॉपर टी का जमाना
एक दूसरा मेथड है, जिसमें लोगों की रुचि जगने लगी है और डॉक्टर भी प्रिस्क्राइब करने लगे हैं, वह है पुराने जमाने का कॉपर टी यानी इंट्रा यूटराइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस। इसे हम आमतौर पर उन्हें लगवाने की सलाह देते हैं, जिनका एक बेबी हो गया है और वे अगली प्रेगनेंसी अभी नहीं चाहते। इसे ले कर भी कई गलतफहमियां होती हैं, जैसे किसी एक को कोई प्रॉब्लम हो गयी, इन्फेक्शन हो गया या बाहर निकल गया तो कहने लग जाते हैं कि यह उपाय अच्छा नहीं है। इससे महिला चिंतित हो जाती है। ऐसे में हमें महिला की काउंसलिंग करनी पड़ती है। मेरी ऐसी कई पेशेंट हैं, जो हर 5 साल बाद कॉपर टी निकलवाती हैं और उसी समय दूसरा लगवा लेती हैं।
आजकल ओरिजिनल कॉपर टी की जगह नयी किस्म की अनेक कॉपर टी आ गयी हैं। जिनको हेवी पीरियड होते हैं, उनके लिए मिरेना कॉपर टी है। यह आसानी से उपलब्ध है और हर अस्पताल में लगाया जाता है। इससे अनचाहा गर्भ नहीं होता, साथ ही पीरियड्स भी हल्के हो जाते हैं, जिससे महिला की लाइफ बहुत कंफर्टेबल हो जाती है।
अबॉर्शन के साइड इफेक्ट
डॉ. लीना कहती हैं कि महिलाओं को वे उपाय करने चाहिए, जो उनके हाथ में हैं। कंडोम जैसा बैरियर अच्छा गर्भनिरोधक तो है, पर कभी यह फट जाए या पुरुष इस्तेमाल ना करना चाहे तो महिला प्रेगनेंट हो सकती है। फिर अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने के लिए वे अबॉर्शन के लिए मॉर्निंग आफ्टर पिल का सहारा लेती हैं। इन अबॉर्शन पिल्स में हारमोन की हेवी डोज होती है। ये प्रभावी तो हैं, पर इनके साइड इफेक्ट ज्यादा हैं। ऐसे उपायों को रूटीन में करने से महिलाओं को बचना चाहिए। इन्हें केवल इमरजेंसी में लेना चाहिए। इसके इफेक्ट से पीरियड्स लंबे हो जाते हैं और महिलाओं की बॉडी में प्रोजेस्ट्रॉन का लेवल बढ़ने से उसके इफेक्ट आने लगते हैं।
जब 2 बच्चों में अंतर रखना हो
महिला दो बच्चों के जन्म में अंतर के लिए कॉपर टी नहीं लगवाना चाहे तो उसके लिए प्रोजेस्ट्रॉन ओनली पिल (पीओपी) है। जो महिलाएं ब्रेस्टफीड करा रही हैं, वे ये पिल ले सकती हैं। यह रेगुलर कॉन्ट्रासेप्टिव नहीं है, बस इससे ब्रेस्ट मिल्क में कोई साइड इफेक्ट नहीं होते। इन्हें भी लेने से भूलना नहीं चाहिए।
आम धारणा है कि ब्रेस्टफीड कराने वाली महिला उस दौरान कुदरती रूप से अवांछित गर्भधारण से सुरक्षित रहती हैं। बेशक उन दिनों गर्भधारण होने की संभावना नहीं होती, लेकिन कोई गारंटी नहीं है। इसीलिए ब्रेस्टफीड कराते हुए भी कॉन्ट्रासेप्शन का कोई उपाय साथ में जरूर अपनाना चाहिए।
कॉन्ट्रासेप्टिव इन्जेक्शन के रूप में भी आ गए हैं। इन्हें डीएमपीए कहते हैं। इसे लगवाने के बाद महिला को रोज-रोज पिल नहीं खानी होती। लेकिन इससे कई बार पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं या नहीं आते, जिससे महिला घबरा जाती है। इसीलिए जब डिलीवरी हुई हो और महिला बच्चे को अपना दूध पिला रही हो, उस समय पीरियड वैसे ही नहीं आते, उस समय यह इन्जेक्शन लगाया जा सकता है। ये इन्जेक्शन हर 3 महीने पर लगवाने होते हैं।
कौन सा गर्भनिरोधक आदर्श
कोई भी कॉन्ट्रासेप्टिव आदर्श नहीं है, सबके अपने फायदे-नुकसान हैं। एक नॉर प्लांट है, जिसे छोटी सी सर्जरी करके महिला की बांह में स्किन के नीचे इंप्लांट किया जाता है। यह बहुत इफेक्टिव है, जो लगभग 3 सालों तक गर्भधारण से बचाता है। यह थाइलैंड, सिंगापुर, चीन जैसे देशों में बहुत पॉपुलर हो गया है। अपने यहां अभी आ गया है, लेकिन कम उपलब्ध है। ये सारे अस्थायी मेथड हैं। पर्मानेंट मेथड तो ट्यूबेक्टॉमी ही है, जिसे बच्चा होने के बाद महिला करा सकती है।
पुरुषों के लिए
महिलाओं के लिए कॉन्ट्रासेप्टिव उपायों के अनेक विकल्प हैं, लेकिन पुरुषों के लिए एक ही उपाय कंडोम है। कंडोम फटने जैसी छिटपुट अनचाही स्थितियों को छोड़ दें तो इससे आमतौर पर अवांछित गर्भधारण से सुरक्षा मिलती है। सेक्सोलॉजिस्ट डॉ. प्रकाश कोठारी कहते हैं कि कंडोम से ना केवल अनवांटेड प्रेगनेंसी से बचाव होता है, इससे यौनजनित रोगों से भी बच जाते हैं। अधिकांश पुरुष इसे प्रयोग करने से कतराते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह उनके सुख में व्यवधान पैदा कर सकता है। लेकिन आजकल अल्ट्रा थिन कंडोम भी मार्केट में मिल रहे हैं, जो 0.3 मि.मी. थिकनेस के होते हैं और इनसे सेक्सुअल प्लेजर में कोई बाधा नहीं आती।