महलिाओं को पुरुषों के मुकाबले घुटनों में दर्द ज्यादा होता है। उम्र से जुड़ी यह बीमारी छोटी उम्र के लोगों को भी होने लगी है।सीढ़ियां चढ़ने-उतरने, चलने-िफरने या आलथी-पालथी मार कर बैठने में दिक्कत हो और घुटनों से कड़कड़ की आवाज आती हो, तो यह घुटनों के दर्द की समस्या है।

महलिाओं को पुरुषों के मुकाबले घुटनों में दर्द ज्यादा होता है। उम्र से जुड़ी यह बीमारी छोटी उम्र के लोगों को भी होने लगी है।सीढ़ियां चढ़ने-उतरने, चलने-िफरने या आलथी-पालथी मार कर बैठने में दिक्कत हो और घुटनों से कड़कड़ की आवाज आती हो, तो यह घुटनों के दर्द की समस्या है।

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महलिाओं को पुरुषों के मुकाबले घुटनों में दर्द ज्यादा होता है। उम्र से जुड़ी यह बीमारी छोटी उम्र के लोगों को भी होने लगी है।सीढ़ियां चढ़ने-उतरने, चलने-िफरने या आलथी-पालथी मार कर बैठने में दिक्कत हो और घुटनों से कड़कड़ की आवाज आती हो, तो यह घुटनों के दर्द की समस्या है।

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महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले घुटनों में दर्द ज्यादा होता है। उम्र से जुड़ी यह बीमारी छोटी उम्र के लोगों को भी होने लगी है।सीढ़ियां चढ़ने-उतरने, चलने फिरने या आलथी-पालथी मार कर बैठने में दिक्कत हो और घुटनों से कड़कड़ की आवाज़ आती हो, तो यह घुटनों के दर्द की समस्या है। एक तिहाई महिलाएं 40-45 साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते घुटनों में दर्द की शिकायत करने लगती हैं। यह दर्द उम्र से जुड़ी बिमारियों में सबसे सामान्य माना जाता है। पर अब लाइफस्टाइल के कारण छोटी उम्र के लोग भी इसकी गिरफ्त में आ  रहे हैं।
बंगलौर के फोर्टिस हॉस्पिटल में आर्थोपीडिक व जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. मोहन पुट्टास्वामी बताते हैं ‘‘महिलाओं में पुरुषों की तुलना में 2 से 3 गुना अधिक घुटनों में दर्द की समस्या होती हैं। जोड़ों में दर्द की तकलीफ को आर्थराइटिस भी कहते हैं। महिलाओं में आर्थराइटिस के 60% और पुरुषों में 40% मामले होते हैं। आर्थराइटिस भी कई तरह का होता है, पर घुटनों के जोड़ों में दर्द के लिए आस्टियो आर्थराइटिस और रयूमेटॉइड आर्थराइटिस जिम्मेदार हैं। इसके अलावा लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियां जैसे मोटापा और डाइबिटीज होने से 30-35 साल की उम्र से ही घुटने में दर्द होने लगता है। मोटापे का सबसे बुरा असर घुटनों पर पड़ता है। दर्द की वजह से चल नहीं पाते, और वजन बढ़ जाने से यह समस्या बढ़ जाती है। इस तरह मोटापे और घुटनों के दर्द में एक साइकिल सा बन जाता है। विटामिन डी की कमी घुटनों में दर्द के लिए सीधे जिम्मेदार तो नहीं है। लेकिन अगर बचपन में रिकेट्स हुआ है, तो खतरा बढ़ जाता है।’’
हाल ही में की गयी एक रिसर्च के अनुसार 17 प्रतिशत युवा भी इन जोड़ों में दर्द की चपेट में है।

कैसे करें बचाव


⇛ हफ्ते में 5 दिन 45-50 मिनट के लिए एक्सरसाइज करें। कार्डियो के लिए  जॉगिंग, ब्रिस्क  वॉक, स्वीमिंग और साइकिलिंग कर सकते हैं। ब्रिस्क वॉक हर उम्र और  हर किसी  के लिए फायदेमंद है। एक बार में 30 मिनट के लिए ब्रिस्क  वॉक नहीं कर सकते, तो सुबह-शाम, दो हिस्सों में 15-15 मिनट के लिए करें।
⇛ 10-15 मिनट योग और स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज के अलावा लाइट वेट लिफ्टिंग भी करें। इससे मांसपेिशयां लचीली और मजबूत बनती हैं और जोड़ों पर पड़नेवाले दबाव को कुछ हद तक सह जाती हैं।
⇛ शारीरिक रूप से जितने सक्रिय रहेंगे, उतने जोड़ों के दर्द कम होंगे। लंबे समय तक एक पोजिशन में ना बैठें। लगातार एक ही पैर पर वजन ना डालें।
⇛ जिन लोगों को बैठने के बाद घुटने में दर्द होता है, वे ज्यादा से ज्यादा चलें। इससे दर्द कम होगा। दर्द ज्यादा है और चल नहीं सकते, तो लेट और खड़े हो कर की जानेवाली एक्सरसाइज करें, जैसे साइकिलिंग व योग। घुटनों में चलने पर दर्द होता है, तो धीरे-धीरे ही सही, पर चलें।
⇛ घर या ऑफिस में कुर्सी पर बैठे-बैठे 15-20 मिनट पैरों को गोल-गोल घुमाएं।

सही डाइट लें


हड्डियों और  मांसपेिशयों को मजबूत बनाने के लिए प्रोटीन और कैल्शियम से भरपूर डाइट लें। मौसमी फल और हरी पत्तेदार सब्जियां खूब खाएं। रोजाना 5 बादाम खाने से शरीर को जरूरी फैटी एसिड मिलते हैं। दिनभर में 8-10 गिलास पानी भी पिएं। यह शरीर में नमी बनाए रखता है और जोड़ों के लिए शॉक एब्जॉर्बर की तरह काम करता है।
⇛  रोज 40 मिनट धूप मे बैठें। ऐसा ना कर पाएं, तो डॉक्टर की सलाह से कैल्शियम के सैशे लें।
⇛ शरीर का अतिरिक्त फैट हिप में जमा होता जाता है, जिससे हिप और घुटनों के बीच एंगल बन जाता है। इससे घुटनों पर बहुत ज्यादा जोर पड़ता है। एक्सरसाइज करने, फाइबर से भरपूर चीजें खाने, कम तेल व मसालेवाली चीजें खाने से वजन कंट्रोल करने में मदद मिलती है।

दर्द होने पर क्या करें


⇛ एक्सरसाइज व योगासन ना करें। आराम करें, घूमें-फिरें नहीं। घुटने पर क्रेप बैंडेज या नी कैप लगाएं। बैंडेज ज्यादा टाइट या लूज ना हो। लेटते वक्त पैर के नीचे तकिया रखें, ताकि घुटना थोड़ा ऊंचा रहे। घुटने में दर्द होने पर दर्द निवारक बाम या जैल से हल्के हाथ से 1-2 मिनट मालिश करें। बर्फ की सिंकाई करें। एक थैले में बर्फ रखें और दर्द की जगह पर दिन में 4-5 बार लगाएं।
⇛ इंडियन स्टाइल टॉयलेट का इस्तेमाल ना करें। इससे घुटनों पर जोर पड़ता है।
⇛ घुटने के आसपास सूजन है और रात के समय दर्द बढ़ जाता है, तो हद्दियों के डॉक्टर से बात करें।
⇛ जमीन पर ना बैठें। जमीन पर बैठने से घुटने के जोड़ों पर बहुत ज्यादा प्रेशर पड़ता है। उठक-बैठक ना करें। चौकड़ी मार कर ना बैठें। लगातार एक ही पोजिशन में बैठे या खड़े ना रहें। हाई हील ना पहनें, इससे घुटनों पर प्रेशर पड़ता है।
⇛ सीढ़ियों के बजाय लिफ्ट का इस्तेमाल करें।
⇛ सीढ़ियां चढ़ते समय ध्यान रखें कि जिस पैर में दर्द कम है, उसे पहले रखे। सीढ़ियां उतरते हुए ज्यादा दर्दवाले पैर को पहले रखें।