नोएडा के जेपी अस्पताल की ऑब्सटेट्र कि्स एंड गाइनीकोलॉजी डिपार्टमेंट की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. रीनु जैन से जानें प्रेगनेंट वर्किंग वुमन की हेल्थ के लिए खास बातें-

नोएडा के जेपी अस्पताल की ऑब्सटेट्र कि्स एंड गाइनीकोलॉजी डिपार्टमेंट की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. रीनु जैन से जानें प्रेगनेंट वर्किंग वुमन की हेल्थ के लिए खास बातें-

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नोएडा के जेपी अस्पताल की ऑब्सटेट्र कि्स एंड गाइनीकोलॉजी डिपार्टमेंट की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. रीनु जैन से जानें प्रेगनेंट वर्किंग वुमन की हेल्थ के लिए खास बातें-

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नोएडा के जेपी अस्पताल की अॉब्सटेट्रिक्स एंड गाइनीकोलॉजी डिपार्टमेंट की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. रीनु जैन से जानें प्रेगनेंट वर्किंग वुमन की हेल्थ के लिए खास बातें- 
➢ अगर प्रेगनेंट वुमन कार ड्राइव कर रही है, तो पहले अौर दूसरे ट्राइमेस्टर में ड्राइविंग करना सही है, पर तीसरे ट्राइमेस्टर में परेशानी अाती है जैसे बेल्ट बांधने पर असुविधा महसूस होती है। इसके अलावा प्रेगनेंसी में मेडिकल कारणों से भी अकेले ट्रेवल करने से मना किया जाता है, इसलिए अच्छा होगा कि तीसरे ट्राइमेस्टर में खुद कार ड्राइव ना करें। सुविधा हो, तो ड्राइवर रख लें।
➢ पब्लिक ट्रांसपोर्ट से अाने-जानेवाली युवतियों को यह ध्यान देना होगा कि वे बहुत भीड़भाड़वाले ट्रांसपोर्ट से बचें, ताकि धक्कामुक्की ना झेलनी पड़े। कंफर्टेबल तरीके से पब्लिक ट्रांसपोर्ट में जगह मिल जाती है, तो अाराम से सफर करें। बहुत उबड़-खाबड़ सड़कों से ना गुजरें, ताकि सफर में झटके लगने से बचें।
➢ घर से निकलते वक्त या अॉफिस से लौटते समय चाय या कॉफी नहीं पिएं। इससे बार-बार टॉयलेट जाने की जरूरत महसूस होगी। अगर सफर घंटे-डेढ़ घंटे या इससे भी लंबा है, तो अॉफिस से निकलने से थोड़ी देर पहले से पानी पीना कम कर दें। हां, अपने पास पानी की बॉटल जरूर रखें।
➢ प्रेगनेंसी में किसी तरह की प्रॉब्लम नहीं हो, तो एअर ट्रेवलिंग में कोई दिक्कत नहीं है। कुछ एअरलाइंस ने प्रेगनेंसी के दौरान ट्रेवलिंग के कुछ रूल्स बनाए हैं, ताकि प्रेगनेंट महिला को जरूरी मेडिकल सुविधा मिलने में दिक्कत नहीं हो। दूसरा, बच्चे की राष्ट्रीयता को ले कर कंफ्यूजन रहता है। किसी की सर्जरी हुई हो, तो गाइनीकोलॉजिस्ट से सलाह लें। डीप वेन थ्रोम्बोसिस यानी डीवीटी (पैरों में खून के थक्के जमना) की शिकायत हो, तो एअर ट्रेवल करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें, क्योंकि 4 घंटे या इससे अधिक का एअर ट्रेवल हो, तो डीवीटी में परेशानी हो सकती है।
➢ अॉफिस में लंबे समय बैठ कर काम करने के दौरान मितली अाती है, तो जिंजर टी या नीबू पानी  के छोटे-छोटे सिप लें। जिंजर की मीठी गोलियां भी अाती हैं, उसे भी मुंह में रख सकती हैं।
➢ लंबे समय तक बैठ कर काम करनेवाली युवतियों को चाहिए कि घंटेभर के बाद थोड़ी चहलकदमी कर लें। इससे पीठ की मसल्स स्ट्रेच हो जाती हैं। इस समय पैरों में ब्लड क्लॉट या पैरों में सूजन की अाशंका होती है। घंटेभर में 5 मिनट का एक राउंड लगा लें, पैरों में ब्लड सर्कुलेशन सही रहेगा।
➢ दो या ढाई किलो का लैपटॉप कैरी कर सकती हैं। ध्यान रखें कि इसे लेने से कंधे अधिक थके नहीं।
➢ अॉफिस जानेवाली युवतियां अपने पास छोटी-छोटी डििब्बयों में फल अौर नट्स रखें। फ्रूट जूस भी रख सकती हैं। कमजोरी या थकान महसूस होने पर इन्हें खाएं-पिएं।
बीएलकपूर सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल की सीनियर गाइनीकोलॉजिस्ट डॉ. पूनम खेरा के अनुसार प्रेगनेंट वुमन को यह सब करने से बचना चाहिए—     
➢ सुबह अॉफिस जाने की कितनी भी जल्दी क्यों ना हो, कभी भी खाली पेट अॉफिस नहीं जाएं। कितनी भी बिजी हों या लंबे समय तक काम कर रही हों, समय पर खाना खाएं, वरना बच्चा कमजोर हो सकता है।
➢ प्रेगनेंसी के थर्ड ट्राइमेस्टर में इस बात का विशेष ख्याल रखें कि बैठनेवाली चेअर ऐसी ना हो, जिसमें गिरने की अाशंका हो। पैर लटका कर ज्यादा देर नहीं बैठें। पैरों को रखने के लिए कुरसी के नीचे छोटा स्टूल रखें,  ताकि पैरों में सूजन कम से कम अाए।
➢ समय की कमी होने के बावजूद वर्किंग वुमन को हेल्थ विजिट मिस नहीं करनी चाहिए, ताकि किसी भी तरह की समस्या को समय रहते संभाला जा सके।
➢ काम करते वक्त कभी-कभी छाछ भी पी सकती हैं। छाछ में पानी की मात्रा अधिक रखें।
➢ अॉफिस में भी फीटस मूवमेंट पर ध्यान लगे। मूवमेंट कम महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।
➢ अॉफिस में अचानक ज्यादा वॉमिटिंग होने लगे, सिर चकराने लगे, पेट में दर्द उठने लगे, वेजाइना से लीकेज जैसा लगे, तो सीधे अस्पताल जाएं। किसी सहकर्मी को भी जरूर साथ ले जाएं।