बारिश के मौसम में भीगने का और देर तक पानी में खेलने का आनंद ही कुछ और है। पर भीगने के बाद घर पर और एक बार नहाना जरूर चाहिए। खासतौर पर पैरों को साबुन से धोने की जरूरत है। ऐसा नहीं करने पर पैरों में इन्फेक्शन की परेशानी हो सकती है। पैरों में कई तरह के इन्फेक्शन का खतरा रहता है। किस तरह के इन्फेक्शन

बारिश के मौसम में भीगने का और देर तक पानी में खेलने का आनंद ही कुछ और है। पर भीगने के बाद घर पर और एक बार नहाना जरूर चाहिए। खासतौर पर पैरों को साबुन से धोने की जरूरत है। ऐसा नहीं करने पर पैरों में इन्फेक्शन की परेशानी हो सकती है। पैरों में कई तरह के इन्फेक्शन का खतरा रहता है। किस तरह के इन्फेक्शन

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बारिश के मौसम में भीगने का और देर तक पानी में खेलने का आनंद ही कुछ और है। पर भीगने के बाद घर पर और एक बार नहाना जरूर चाहिए। खासतौर पर पैरों को साबुन से धोने की जरूरत है। ऐसा नहीं करने पर पैरों में इन्फेक्शन की परेशानी हो सकती है। पैरों में कई तरह के इन्फेक्शन का खतरा रहता है। किस तरह के इन्फेक्शन

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बारिश के मौसम में भीगने का और देर तक पानी में खेलने का आनंद ही कुछ और है। पर भीगने के बाद घर पर और एक बार नहाना जरूर चाहिए। खासतौर पर पैरों को साबुन से धोने की जरूरत है। ऐसा नहीं करने पर पैरों में इन्फेक्शन की परेशानी हो सकती है। पैरों में कई तरह के इन्फेक्शन का खतरा रहता है।

किस तरह के इन्फेक्शन

पैरों में कई अलग-अलग तरह के इन्फेक्शन का खतरा रहता है। गुरुग्राम के आर्टेमिस अस्पताल में इंटरनल मेडिसिन के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. पी वेंकट कृष्णन के मुताबिक, ‘‘बारिश के दिनाें में पैरों पर एथलीट फुट, प्लांटर वाॅर्ट्स, सेल्युलाइटिस और इनग्रोन टो-नेल्स इन्फेक्शन प्रमुख हैं। एथलीट फुट एक फंगल इन्फेक्शन है, जिसमें जलन और त्वचा में लालिमा पड़ने के लक्षण देखे जाते हैं। कुछ लोगों के पैरों की त्वचा फट जाती है और फफोले भी पड़ जाते हैं।बारिश में भीग जाने के बाद घर आ कर एंटीफंगल या एंटी बैक्टीरियल साबुन लगा कर पैरों को अच्छी तरह से धाेएं। फंगल इन्फेक्शन की परेशानी नहीं होगी।प्लांटर वॉर्ट्स में पैर के निचले हिस्से में खुरदरे उभार बन जाते हैं, जिससे असुविधा होती है। यह ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) के कारण होने वाला इन्फेक्शन है। इसके अलावा सेल्युलाइटिस एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन है, जिसमें पैरों में सूजन, दर्द और जलन होती है। इनग्रोन टो-नेल्स में पैर के अंगूठे का नाखून बढ़ कर आसपास की त्वचा में चुभ जाता है, जिससे इन्फेक्शन होता है। बारिश में इसका खतरा ज्यादा रहता है। यह काफी दर्दभरा होता है। बारिश के मौसम में यह परेशानी और भी ज्यादा हो जाती है। गरम पानी में एंटीसेप्टिक सोल्यूशन डाल कर पैर धोएं और एंटी फंगल पाउडर डस्ट करें।’’

कैसे करें बचाव

पैरों के किसी भी इन्फेक्शन से बचाव करना बहुत आसान है। बारिश के दिनों में कुछ बातों का ध्यान रखें। इस मौसम में ऐसे जूते पहनें, जिसमें पैरों के गीले होने का खतरा ना हों। हमेशा साफ सूती मोजे पहनें। अगर कहीं बारिश में भीग कर बाहर से घर आते हों, तो पैरों को धो कर अच्छे से पोंछ लें। बाहर कहीं नंगे पैर ना चलें। पैरों में किसी भी तरह की चोट लगी हो तो समय रहते इलाज कराएं। कुछ बातों को ध्यान में रख कर इन्फेक्शन से बचा जा सकता है। जरूरत हो तो एंटी फंगल पाउडर या ऑइंटमेंट भी लगा सकते हैं। आजकल बारिश के जूते भी मिलते हैं, जिसमें पैरों को पर्याप्त मात्रा में हवा मिलती रहती है। इन जूतों में नाखून पूरी तरह सुरक्षित रहते हैं।

रखें और भी सावधानियां

अगर किसी तरह का इन्फेक्शन हो भी जाए, तो घबराने की जरूरत नहीं है। एंटीसेप्टिक लिक्विड की दो बूंद पानी में डालें और उससे पैरों को धो-पोंछ कर पैरों को सुखा कर रखें। अगर पैरों में सूजन है, तो इन्हें सोते समय सपोर्ट के साथ थोड़ा उठा कर रखें। बहुत टाइट जूते ना पहनें। बहुत देर तक बंद जूते ना पहनें। पैरों काे पर्याप्त हवा लगने दें। इनग्रो टो-नेल्स से बचने के लिए पैरों को धोने के लिए मेडिकेटेड सोप का प्रयोग कर सकते हैं। अगर इनग्राे टो-नेल्स बहुत दर्दयुक्त हो जाए, परेशानी कम ना हो तो चिकित्सक से मिल कर इलाज लें। कई बार छोटी सर्जरी की भी जरूरत हो जाती है।