हमारी बॉडी में मौजूद ग्रंथियां कई ऐसे हारमोंस का स्राव करती हैं, जो हमारे मूड को जबर्दस्त तरीके से प्रभावित करते हैं।जानें, ऐसे कौन-कौन से हारमोन हैं, जो हमें खुशियों से भर देते हैं-

हमारी बॉडी में मौजूद ग्रंथियां कई ऐसे हारमोंस का स्राव करती हैं, जो हमारे मूड को जबर्दस्त तरीके से प्रभावित करते हैं।जानें, ऐसे कौन-कौन से हारमोन हैं, जो हमें खुशियों से भर देते हैं-

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हमारी बॉडी में मौजूद ग्रंथियां कई ऐसे हारमोंस का स्राव करती हैं, जो हमारे मूड को जबर्दस्त तरीके से प्रभावित करते हैं।जानें, ऐसे कौन-कौन से हारमोन हैं, जो हमें खुशियों से भर देते हैं-

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कभी सोचा है आपने, सुबह से ना जाने क्यों मन खुश खुश लगता है और कभी-कभी शाम से ही उदास। ना कोई कारण, ना कोई घटना। कभी मन फाग के मौसम सा उल्लासित, तो कभी अंधेरे में डूबा उदास सा। कभी इसे मूड का नाम देते हैं, तो कभी केमिकल लोचे का। कभी सुबह से ही मन हंसने-मुस्कराने-गुनगुनाने को होता है, तो कभी-कभी झील जैसा शांत। क्यों होता है ऐसा? यह ठीक है कि परिस्थितियों के हिसाब से हम अपने व्यक्तित्व के अनुसार व्यवहार करते हैं, पर हमारे मूड का निर्णय करनेवाला छुपा हुआ एजेंट भी है। और ये हैं हारमोंस। ये हमारे शरीर में स्थित ग्रंथियों से निकलते हैं। आइए, अब बात करते हैं उन हारमोंस की, जिनको हैप्पीनेस केमिकल कहा जाता है, जो हमारे मूड को खुशियों से भर देते हैं।

डोपामाइन

डोपामाइन हारमोन को सरल भाषा में पुरस्कार या प्रेरणा का केमिकल कहा जाता है। यह हमारे शरीर में ही पैदा होता है और हमारा नर्वस सिस्टम इसके लिए संदेशवाहक का काम करता है। यह हमारे शरीर में सकारात्मक सोच पैदा करनेवाला हैप्पी हारमोन है, जो दिमाग या मस्तिष्क को कुछ उपलब्धि का अहसास करता है। जैसे किसी परीक्षा में अगर आप फर्स्ट आ जाएं, तो यह अपने आप मस्तिष्क को खुशी और उत्साह का संदेश देने लगेगा। लक्ष्य पर पहुंचने की खुशी, कुछ पा लेने का अहसास, आगे बढ़ने की प्रेरणा डोपामाइन की उपस्थिति ही है।

इसे बढ़ाएं कैसे

बड़ा सरल है खुश होना या खुश होने का अहसास जगाना, जो आप बिना किसी इन्जेक्शन या दवाई के कर सकते हैं। सबसे पहले किसी भी काम को पूरा करके खुशी मनाना सीखिए।

अपनी छोटी-छोटी उपलब्धियों पर खुद को मन ही मन शाबासी देनी चाहिए, क्योंकि बाहरी प्रेरणा से अधिक खुद को प्रेरित करना होता है।

संगीत सुनना, योग करना, स्वयं को खुशी देने की कोई भी गतिविधि करना चाहे बारिश में भीगना हो या दोस्तों से मिल कर पुरानी बातें करना खुशी देता है।

प्रोटीन युक्त व कम वसा युक्त खाना, सुबह के सूरज की रोशनी, नदी के किनारे की ठंडी हवा डोपामाइन बढ़ाने में बहुत मदद करते हैं।

सेरोटोनिन

यह हारमोन मूड स्टेबलाइजर कहलाता है। यह स्वस्थ होने का अहसास करवाता है। जब यह हारमोन उचित मात्रा में होता है, तो व्यक्ति अपने आपको किसी भी काम को करने में शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ अनुभव करता है। योग, व्यायाम, प्राणायाम इस हारमोन को बढ़ाने में बहुत मदद करते हैं। खाने में टोफू, अनन्नास, बादाम और केला बहुत फायदेमंद हैं।

ऑक्सीटोसिन

यह तीसरा हैप्पीनेस हारमोन है, जिसे प्यार का हारमोन भी कहते हैं। यह स्नेह और प्यार से बनता है। किसी पर प्यार उमड़ना, किसी छोटे से बच्चे या पपी को देख कर खुश हो जाना इसी हारमोन का चमत्कार है। यह हारमोन ब्रेस्ट फीडिंग के समय बच्चे के साथ इमोशनल बॉन्डिंग के लिए बहुत जरूरी है। सॉफ्ट गाने सुनने, नेचर का शांत रूप देखने, बच्चों के साथ खेलने से इसका स्राव बढ़ता है। यह हारमोन हमारे इम्यून सिस्टम को बढ़ाता है, प्यार करना, शेअर और केअर करना सिखाता है। इसे हगिंग हारमोन भी कहते हैं। 

एंडोर्फिन

यह बिलकुल अलग हारमोन है, जो दर्द या पीड़ा के समय उत्पन्न होता है। यह हारमोन एक खिलाड़ी को अपनी लिमिट्स या सबसे श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए आगे बढ़ाता है। यह अपने कंफर्ट जोन से आगे निकल कर दर्द सहने के लिए जरूरी है। जिम में की गयी एक्सरसाइज या मेराथन दौड़ से मिलनेवाली खुशी इसी हारमोन का कमाल है।

इस तरह ये चारों हारमोंस शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से हमारी जिंदगी को और जीने के तरीके को प्रभावित करते हैं। डोपामाइन जहां अच्छी या बुरी आदत बनाने में मदद करता है, वही ऑक्सीटोसिन रिश्ते बनाने और प्यार करने का साथी है। सेरोटोनिन नेतृत्व हारमोन है और एंडोर्फिन नेचुरल पेन किलर।

डार्क चॉकलेट्स, चेरी, टमाटर, फल, सूखे मेवे, पालक, दूध, पनीर, कॉफी, एवोकैडो, कीवी, प्लम, ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटामिन बी12 और ढेर सारा पानी, ये सब मन और शरीर को उत्साह और खुशी देते हैं। तो देर किस बात कि है अच्छा खाइए, योग-व्यायाम कीजिए, प्रकृति से प्यार करना और खुश रहना सीखिए, क्योंकि माना ये जिंदगी है चार दिन की, बहुत होते हैं यारो चार दिन भी !