बारिश का मौसम किसे अच्छा नहीं लगता ? हम बताएं ? आपको बालों को मानसून बिल्कुल पसंद नहीं है। ये वो मौसम है जिसमें बालों के गिरने की रफ्तार बढ़ जाती है। बालों के कमजोर होकर गिरने और सिर में इंफेक्शन की परेशानी भी बढ़ जाती है। इस मौसम में ही स्किन पर तेल जमा होने की वजह से पिंपल्स, ब्लैकहेड्स, घमौरियां

बारिश का मौसम किसे अच्छा नहीं लगता ? हम बताएं ? आपको बालों को मानसून बिल्कुल पसंद नहीं है। ये वो मौसम है जिसमें बालों के गिरने की रफ्तार बढ़ जाती है। बालों के कमजोर होकर गिरने और सिर में इंफेक्शन की परेशानी भी बढ़ जाती है। इस मौसम में ही स्किन पर तेल जमा होने की वजह से पिंपल्स, ब्लैकहेड्स, घमौरियां

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बारिश का मौसम किसे अच्छा नहीं लगता ? हम बताएं ? आपको बालों को मानसून बिल्कुल पसंद नहीं है। ये वो मौसम है जिसमें बालों के गिरने की रफ्तार बढ़ जाती है। बालों के कमजोर होकर गिरने और सिर में इंफेक्शन की परेशानी भी बढ़ जाती है। इस मौसम में ही स्किन पर तेल जमा होने की वजह से पिंपल्स, ब्लैकहेड्स, घमौरियां

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बारिश का मौसम किसे अच्छा नहीं लगता ? हम बताएं ? आपको बालों को मानसून बिल्कुल पसंद नहीं है। ये वो मौसम है जिसमें बालों के गिरने की रफ्तार बढ़ जाती है। बालों के कमजोर होकर गिरने और सिर में इंफेक्शन की परेशानी भी बढ़ जाती है। इस मौसम में ही स्किन पर तेल जमा होने की वजह से पिंपल्स, ब्लैकहेड्स, घमौरियां और स्किन के दूसरे इंफेक्शन भी बढ़ जाते हैं। इस परेशानी को पूरी तरह बंद तो नहीं कर सकते लेकिन समस्या को कम ज़रुर किया जा सकता है।

बालों को संवारने से पहले ये समझना जरुरी है कि बालों के उगने और गिरने की प्रक्रिया कैसी होती है –

एक दिन में औसतन 30 से 50 बाल गिरते हैं और तकरीबन 40 बाल नए पैदा होते हैं। इसे बालों की नेचुरल ग्रोथ साइकिल कहा जाता है। वैज्ञानिक भाषा में नए बाल को एनेजन – बढ़ रहे बाल को केटेजन और गिरने वाले बाल को टीलोजन फेज माना जाता है।

कैसे पहचानें कि जो बाल गिर रहे हैं वे नए हैं या पुराने

दिल्ली की जानी मानी त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. शहला अग्रवाल के मुताबिक अगर बाल के सिरे में सफेद सी जड़ दिख रही है तो इसका मतलब है कि बाल अपने समय पर गिर रहे हैं और अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं। लेकिन अगर गिरने वाला बाल दोनों ओर से अभी काला ही है तो समझना चाहिए कि बाल जल्दी गिर गया है। अगर गिरने वाले ज्यादातर बाल सफेद जड़ वाले हैं तो ये हेयर फॉल सामान्य है लेकिन अगर गिरने वाले ज्यादातर बाल अभी पके नहीं है और जड़ में भी काला बाल दिख रहा है तो ये हेयर फॉल सामान्य नहीं है – इसके लिए डॉ. की सलाह लेनी चाहिए। डॉक्टर के पास बाल लेकर जाएं तो वो इसे और पुख्ता तरीके से देख कर बता पाते हैं।

बालों को गिरने से ऐसे बचाएं

बारिश में भीगने के बाद या सिर धोने के बाद बालों को बांधें नहीं। इससे डैंड्रफ और इंफेक्शन बढ़ता है। अगर जल्दी है तो बालों को हेयर ड्रायर से सुखा लें। कभी कभार ऐसा करने को डॉक्टर खराब नहीं मानते। गीले बालों को बांधकर ले जाने से बेहतर है कि बालों को ड्रायर से सुखा लिया जाए इससे बाल कम गिरेंगे। रोजाना बाल धोने चाहिए या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि बालों में गंदगी और पसीना है या नहीं। लेकिन बाल धोने के बाद उन्हें सुखाने का पर्याप्त समय जरुर रखें।

शैंपू, तेल और कंडीशनिंग का सही तरीका जानिए

सप्ताह में दोतीन बार माइल्ड शैंपू से बाल धोएं और साथ ही हल्का कंडीशनर इस्तेमाल करें। कंडीशनर को हाथों में आपस में मसलने के बाद ही लगाएं और सिर्फ बालों की उपरी सतह पर हल्का सा इस्तेमाल करें। सिर में कंडीशनर ना लगाएं।

तेल लगाएं या नहीं – मानसून में बालों में पहले से नमी रहती है – ऐसे में तेल लगाने की जरुरत महसूस नहीं होती। फिर भी कुछ लोगों के बाल रुखे होते हैं और कुछ लोगों को तेल लगाने की आदत होती है – ऐसे लोगों को बालों में उपरी तौर पर ही तेल लगाना चाहिए। खोपड़ी में चंपी करने की जरुरत नहीं है। तेल लगाने के 2 घंटों में बाल धो लेने चाहिए। मानसून में कोई भी हल्का यानी नॉन स्टिकी तेल लगाना चाहिए। सरसों या बादाम के भारी तेल से बचना चाहिए।

डॉ. शहला अग्रवाल के मुताबिक मानसून में बालों को हेयर स्ट्रेटनर, कलर या केमिकल ट्रीटमेंट से बचाना चाहिए। केमिकल्स बालों को और कमजोर कर देते हैं कुछ समय के लिए बायोटिन कैप्सूल्स लेने से बालों की ग्रोथ में मदद मिल सकती है लेकिन ये दवाएं डॉ की सलाह से ही लेनी चाहिए। मानसून में जड़ें कमजोर होती हैं, जिससे स्प्लिट एंड्स और टूटने की समस्या बढ़ जाती है। ऐसे में हर 68 हफ्ते में हल्की ट्रिमिंग कराना उपयोगी होता है ताकि बाल सेहतमंद रहें।

मानसून में त्वचा को साफ रखने के लिए स्क्रब और जेल

बालों के साथ साथ स्किन पर होने वाले पिंपल्स – दाग धब्बे भी बारिश के मौसम में ज्यादा परेशान करते हैं लेकिन अगर स्किन को साफ रखा जाए तो ये परेशानी कम हो सकती है। अब ये जानना जरुरी है कि मानसून में त्वचा पर क्या लगाया जा सकता है और क्या नहीं। मानसून के मौसम में डॉक्टर हल्के स्क्रब का प्रयोग करने की सलाह देते हैं। स्क्रब को हफ्ते में 3.4 बार लगाया जा सकता है – इससे ब्लैकहेड्स और डेड सेल्स हटाने में आसानी होती है। अगर स्किन बहुत सेंसेटिव है या आपने कोई केमिकल ट्रीटमेंट करवाया है तो स्क्रब से बचें। संवेदनशील त्वचा पर बेसन, दही और नींबू का घरेलू स्क्रब बनाकर लगाएं लेकिन जल्द ही हल्के हाथों से उसे पानी से धोकर साफ कर लें।

मानसून में जेल बेस्ड क्रीम का इस्तेमाल करना चाहिए -एलोवेरा आधारित जेल लगाने का सही समय बारिशों का मौसम होता है। इसके अलावा केलेमीन लोशन भी लगाया जा सकता है।

मानसून में – मॉस्चराइजर – सनस्क्रीन या टोनर - क्या लगाएं

मानसून में त्वचा ऑइली लगती है , जिसकी वजह से लोग मॉस्चराइजर नहीं लगाते – लेकिन अगर आप लंबे समय तक एयरकंडीशंड वातावरण में रहती हैं तो त्वचा की नमी कम होने लगती है। इसलिए मॉइस्चराइज करना ज़रूरी है। लेकिन इस मौसम में क्रीम बेस वाले मॉस्चराइज़र ना लगाएं। बाजार में जेल वाले हाइलयूरोनिक एसिड और एलोवेरा युक्त मॉइस्चराइज़र मौजूद हैं। इन्हें लगाने से स्किन चिपचिपी नहीं लगती।

धूप दिखे या नहीं दिखे – बाहर निकलने पर सनस्क्रीन जरुर लगाएं। मैदानी इलाकों में 30 एसपीएफ SPF 30+ का सनस्क्रीन शरीर के खुले हिस्सों पर लगाना चाहिए। बादल होने पर भी सूर्य की अल्ट्रावायलेट रोशनी स्किन तक पहुंच जाती है। मानसून में टोनर लगाया जा सकता है – लेकिन अगर आप बहुत कॉस्मेटिक्स के शौकीन नहीं हैं तो टोनर ना लगाकर भी काम चला सकती हैँ। टोनर स्किन को फ्रेश रखता है – त्वचा के छिद्रों यानी पोर्स को टाइट करता है और अतिरिक्त ऑइल को कम कर सकता है लेकिन टोनर भी मौसम के हिसाब से ही चुनें।