भवन का ब्रह्मस्थान अगर साफ-सुथरा होगा, तो घर के हर काम में मंगल ही मंगल होगा। अगर भवन का ब्रह्मस्थान सही होता है, तो उस जगह पर हमेशा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा, लोग स्वस्थ रहेंगे और घर धनधान्य से भरा रहेगा।

भवन का ब्रह्मस्थान अगर साफ-सुथरा होगा, तो घर के हर काम में मंगल ही मंगल होगा। अगर भवन का ब्रह्मस्थान सही होता है, तो उस जगह पर हमेशा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा, लोग स्वस्थ रहेंगे और घर धनधान्य से भरा रहेगा।

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भवन का ब्रह्मस्थान अगर साफ-सुथरा होगा, तो घर के हर काम में मंगल ही मंगल होगा। अगर भवन का ब्रह्मस्थान सही होता है, तो उस जगह पर हमेशा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा, लोग स्वस्थ रहेंगे और घर धनधान्य से भरा रहेगा।

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जिस तरह से मनुष्य के शरीर में नाभि को केंद्र बिंदु मानते हैं, उसी तरह से बोलचाल की भाषा में ब्रह्मस्थान को भवन का केंद्र बिंदु माना जाता है। केंद्र हमेशा से महत्व का स्थान होता है। इसलिए वास्तुशास्त्र में ब्रह्मस्थान को बहुत महत्व दिया गया है। अगर भवन का ब्रह्मस्थान सही होता है, तो उस जगह पर हमेशा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा, लोग स्वस्थ रहेंगे और घर धनधान्य से भरा रहेगा। वास्तु विशेषज्ञ पूनम वेदी ब्रह्मस्थान के महत्व पर रोशनी डाल रही हैं-

- प्राकृतिक ऊर्जा के प्रबंधन और आंतरिक ऊर्जा के संरक्षण के लिए ही ब्रह्मस्थान केंद्र बिंदु होता है।

- सामान्य रूप से ब्रह्मस्थान निकालने के लिए केंद्र से गुजरती हुई कॉर्नर तक दो डायग्नल (विकर्ण) लाइनें खींचनी चाहिए। जिस स्थान पर रेखाएं क्रॉस करें, वही उस जगह का ब्रह्मस्थान होता है।

- जिस तरह से पूरे घर का ब्रह्मस्थान होता है, उसी तरह से हर कमरे का भी ब्रह्मस्थान होता है। इसे खाली और साफ रखें। अगर यहां पर समस्या हो, तो वास्तु कंसल्टेंट की सलाह पर यहां पर ब्रह्म का प्रतीक कमल, हंस की आकृति और मोती की लड़ी लटकायी जा सकती है।

- एकाशीतिपद (एक्यासीपद) वास्तु में ब्रह्मस्थान के 9 पद होते हैं। इस वास्तुचक्र में ब्रह्म से सभी देवताअों का क्षेत्राधिकार के अनुसार क्रम होता है। वास्तु पुरुष का उदर, आंत, गुप्तांग और जंघाअों की संधि ब्रह्म स्थान में पड़ती है।

- वृहत संहिता में कहा गया है कि ब्रह्मस्थान पर गड्ढा नहीं होना चाहिए। अगर किसी प्लॉट में गड्ढा हो, तो उसे भरवा दें। साथ ही इसका भी ध्यान रखना होगा कि वहां पानी जमा ना हो।

- फ्लैट में आंगन नहीं होता, तो वहां कमरों के ब्रह्मस्थान को ठीक रखें। कमरे के केंद्र में भारी फर्नीचर नहीं रखें। लेकिन अगर इस स्थान पर पलंग का हिस्सा आ रहा हो, तो कमरे की सीलिंग से मोतियों की लड़ी लटकाएं। ऊपर पंखा लगा हो, तो उसके सेंटर में कमल का चित्र लगाएं।

- भवन में रहने वालों या कार्य करने वालों को इस बात का ख्याल रहे कि उस स्थान पर गंदगी इकट्ठा ना हो। डस्टबिन जैसी चीजों को यहां से दूर रखें, ताकि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता रहे।

- इस स्थान पर जूठे बरतनों को जमा नहीं करें या फिर खाली जगह देख कर इसे घर का कबाड़ रखने की जगह नहीं बनाए। अपवित्र मानी जाने वाली वस्तुओं को भी नहीं रखें।

- ब्रह्मस्थान की जगह ऊबड़-खाबड़ नहीं होनी चाहिए। इसलिए आंगन को हमेशा समतल रखा जाता है।

- बीच में उठा हुआ और चारों ओर नीचा आंगन संतान के लिए शुभ माना गया है। इसका असर दैनिक जीवन के कार्यों में भी देखा जा सकता है।

- पहले ब्रह्मस्थान की रक्षा के लिए आंगन या चौक बनाने की परंपरा थी। कुछ पुराने इलाकों में आज भी चारदीवारी के भीतर एक, दो, तीन या चार चौक वाली हवेलियां हैं।

- इस स्थान पर तुलसी का पौधा रखना अच्छा माना जाता है।

- यहां पर रंगोली बनाना भी शुभ होता है।

- चौक पूरना आता है, तो आंगन में या घर के ब्रह्मस्थान पर यह कर सकती हैं।

- ब्रह्मस्थान में दीवार, खंभा, बीम जैसी चीजें नहीं होना चाहिए, वरना इससे कई तरह का नुकसान होता है व यह परिवार में परेशानी का कारण बनती है।

- घर का मध्य भाग खुला होना चाहिए। यदि यहां खुली छत होने के कारण आकाश दिखता हो, तो भवन को आकाश तत्व और वायु तत्व का फायदा पहुंचता है। इससे पॉजिटिव एनर्जी का प्रवाह होता है।