जिन घरों में खुशी-शांति रहती है, भाग्य की देवी ‘श्री’ भी वही निवास करती हैं। चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में कहा है कि जहां मूर्खों की प्रशंसा नहीं होती, अनाज को उचित ढंग से संरक्षित किया जाता है, पति-पत्नी में झगड़े नहीं होते वहीं पर भाग्य की देवी श्री निवास करती हैं। कई बार हम यह नहीं समझ पाते कि

जिन घरों में खुशी-शांति रहती है, भाग्य की देवी ‘श्री’ भी वही निवास करती हैं। चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में कहा है कि जहां मूर्खों की प्रशंसा नहीं होती, अनाज को उचित ढंग से संरक्षित किया जाता है, पति-पत्नी में झगड़े नहीं होते वहीं पर भाग्य की देवी श्री निवास करती हैं। कई बार हम यह नहीं समझ पाते कि

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जिन घरों में खुशी-शांति रहती है, भाग्य की देवी ‘श्री’ भी वही निवास करती हैं। चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में कहा है कि जहां मूर्खों की प्रशंसा नहीं होती, अनाज को उचित ढंग से संरक्षित किया जाता है, पति-पत्नी में झगड़े नहीं होते वहीं पर भाग्य की देवी श्री निवास करती हैं। कई बार हम यह नहीं समझ पाते कि

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जिन घरों में खुशी-शांति रहती है, भाग्य की देवी ‘श्री’ भी वही निवास करती हैं। चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में कहा है कि जहां मूर्खों की प्रशंसा नहीं होती, अनाज को उचित ढंग से संरक्षित किया जाता है, पति-पत्नी में झगड़े नहीं होते वहीं पर भाग्य की देवी श्री निवास करती हैं। कई बार हम यह नहीं समझ पाते कि घर में खुशहाली अौर संतुष्टि क्यों नहीं महसूस होती? दरअसल, ऐसा किसी वास्तु दोष के कारण भी हो सकता है। हर समस्या के 2 स्तर पर सुधार होते हैं, एक समस्या के मनोवैज्ञानिक - मानसिक स्तर पर तथा दूसरा वास्तु अौर फेंग शुई के स्तर पर ।


अासान उपाय

⇛ शक्ति अौर अात्मविश्वास दृढ़ रखने के लिए घर में कबाड़ ना रखें, उजाला रखें तथा अच्छे ढंग से सजाएं।
⇛ घर की दीवारें साफ, धूल रहित, जाले तथा दराररहित होनी चाहिए। फर्श साफ तथा टूट-फूट रहित होने चाहिए। पॉलिश्ड फ्लोर पर सजावटी पॉट रखने चाहिए।
⇛ अाग्नेय दिशा में गड़बड़ी होने से रसोई का खर्च बढ़ जाता है। बिजली की चीजें जल्दी खराब हो जाती हैं। इस दिशा में सुधार के लिए प्रज्जवलित अग्नि की तसवीर, मंगल चिन्ह, मोमबत्ती या फिर अग्नि तत्व का प्रतीक त्रिकोण की अाकृति लगानी चाहिए। लाल, पीला तथा नारंगी रंग अच्छा प्रभाव देगा। इससे स्वास्थ्य अच्छा रहता है तथा खाना भी बढ़िया बनता है।
⇛ फेंग शुई के अनुसार रसोई में जीवन शक्ति के प्रवाह के लिए पौधे रखने चाहिए। स्लैब को साफ रखना चाहिए, अन्यथा ची का प्रभाव ठीक नहीं रहता। गैस अौर फ्रिज को पास-पास ना रखें। गैस दक्षिण में रहनी चाहिए। खाद्य पदार्थ पश्चिम में स्टोर करें। सिंक उत्तर में होनी चाहिए, इससे काम में सहयोग मिलेगा।
⇛ अनिद्रा, बेचैनी, बीमारी लगातार रहे, तो दक्षिण दिशा पर ध्यान देना जरूरी है। यहां पर कभी भी मुख्य दरवाजा, स्टडी रूम, लिविंग रूम या डाइनिंग रूम ना बनाएं। इस दिशा में सुधार के लिए यहां पर अपने पूर्वजों के फोटो लगाएं। गाय अथवा बैल का चित्र लगाएं।
⇛ यदि सोते समय डर लगे या खराब सपने अाएं, तो नैऋत्य दिशा सुधारें। यह दिशा शनि ग्रह तथा भूमि तत्व से जुड़ी है। इस स्थान को भारी रखें। वॉर्डरोब अौर भारी अलमारी रखें। रसोई या मुख्य दरवाजा ना बनाएं। शेर पर सवार देवी, शेर अथवा बड़ी बिल्ली का चित्र या स्टैचू लगाएं। शुक्र ग्रह शयन कक्ष से जुड़ा ग्रह है अतः गुलाबी अौर हल्के हरे रंग का प्रयोग करें। अच्छी नींद अौर शांति के लिए बैंगनी रंग भी अच्छा रहेगा।
⇛ फेंग शुई के अनुसार बेड हेड सुंदर रखें तथा रोशनी का अच्छा प्रबंध होना चाहिए। यदि कमरे में बीम लाइट हो, तो बेड बीम के नीचे ना रखें। इससे ऊर्जा का प्रवाह गड़बड़ा जाता है तथा तबीयत खराब होने लगती है। अापके पैर दरवाजे की तरफ नहीं होने चाहिए।
⇛ शयन कक्ष में कम से कम सामान होना चाहिए। कपड़ों के ढेर या धूलभरा फर्श नहीं होना चाहिए। बिस्तर फर्श से काफी ऊंचा, अारामदेह अौर अापकी पसंद का होना चाहिए। बेडरूम में केवल बेड ही रखें, इसे अॉफिस या स्टडी ना बनाएं। यदि ऐसा संभव ना हो, तो एक स्क्रीन का प्रयोग करें।
⇛ खिड़की के बाहर कुछ अच्छा न दिखायी दे, तो एक सुंदर तसवीर लगा लें। यदि शयन कक्ष उत्तर-पूर्व दिशा में है, तो बच्चों से जुड़ी चिंता कम करने अथवा संतान उत्पत्ति की क्षमता बढ़ाने के लिए उचित रंगों का प्रयोग करें।
⇛ वायव्य कोण का कारक चंद्रमा है, अतः यहां कोई भी चीज स्थिर नहीं रहती। यदि बेचैनी रहे तथा दूरस्थ वार्तालाप में गड़बड़ी लगे तब भी इस दिशा पर ध्यान दें। यहां पर मेहमानों का कमरा या बाथरूम बनाएं। यहां पर अर्धचंद्रमा की तस्वीर रखें। टेलीफोन अथवा मोबाइल रखने से सफल वार्तालाप होंगे।
⇛ यदि घर की उत्तर दिशा से जुड़ी परेशानी है, तब सेहत खराब हो सकती है, धन की समस्या हो सकती है। इस दिशा में कुबेर अौर बृहस्पति का प्रभाव रहता है। यह स्टोर, लाइब्रेरी तथा कीमती सामान रखने का उत्तम स्थान है। यहां पूर्वजों की तस्वीर कभी ना लगाएं। रसोई, स्नानगृह ना बनाएं। यहां पर सुनहरे, चांदी के रंग की चीजें रखें। अंबर से बनी चीजें रखें। पीले रंग के प्रयोग से बृहस्पति खुश रहेंगे।
⇛ मन को अाराम देने, शांति अौर सुखद वातावरण के लिए ईशान कोण पर ध्यान दें। यह स्थान प्राण वायु का जनक है, इस पर सोम का प्रभाव रहता है। यहां मुख्यद्वार होना अच्छा रहेगा। इस स्थान को भारी ना रखें। सूर्य चंद्र की अाकृति लगाएं, सोने-चांदी के रंग की तसवीरें लगा सकते हैं। म्यूजिकल चीजें, विंड चाइम्स भी लगा सकते हैं। यह दोनाें ऊर्जा का उपाय करती है। यह यिन यैंग का शक्तिशाली प्रतीक है।
⇛ घर का केंद्र बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान होता है। इस स्थान के स्वामी ब्रह्मा होते हैं। यह स्थान घर के सदस्यों को प्रेरणा तथा रचनात्मक ताकत देता है। इस स्थान पर ब्रह्मा की तस्वीर, कमल की फोटो या कमल भी रखा जा सकता है। यदि यह संभव ना हो, तो मोती की लड़ियां लगायी जाती हैं। यहां पर भारी फर्नीचर, कबाड़ नहीं रखना चाहिए। यहां पर लाल रंग करवाना अच्छा रहेगा। साथ ही हल्का कर्णप्रिय संगीत तथा विंड चाइम्स भी लगायी जा सकती है।


कैसे बनाएं पांच तत्वों का संतुलन
⇛ पृथ्वी तत्व को संतुलित करने के लिए रंगीन स्टोन, पेबल्स का प्रयोग करें।
⇛ जल तत्व के संतुलन करने के लिए डॉल्फिन जैसी सजावटी चीजों का प्रयोग करें।
⇛ समृद्धि लाने के लिए तिजोरी में लक्ष्मी की मूर्ति रख सकते हैं।
⇛ उत्तर दिशा में सिक्कों से भरा डिब्बा रखा जा सकता है।
⇛ दक्षिण-पूर्व दिशा में अग्नि तत्व के लिए पीला पेपरवेट रखें।