भारत में शादी का का रजिस्ट्रेशन हिंदू मैरिज एक्ट 1955 और स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के अंतर्गत किया जाता है। अपनी शादी को कानूनी रूप से रजिस्टर कराने के कई फायदे हैं।
विवाह के बाद मिलने वाली सरकारी सुविधाओ का लाभ लेना हो तो मैरिज सर्टिफिकेट की जरूरत होती है।
अगर विवाहित जोड़ा शादी के बाद किसी दूसरे देश में स्थायी रूप से रहने के लिए जाना चाहे तो उसके लिए मैरिज सर्टिफिकेट की जरूरत होती है।
डाइवोर्स केस फाइल करने के लिए मैरिज सर्टिफिकेट जरूरी है। कुछ राज्यों में यह अनिवार्य है।
बैंक में शादी के बाद जॉइंट अकाउंट खुलवाना हो तो मैरिज सर्टिफिकेट जरूरी डॉक्युमेंट है।
घरेलू हिंसा के मामलों में एफआईआर दर्ज कराने के लिए भी मैरिज सर्टिफिकेट की आवश्यकता होती है।