Wednesday 23 September 2020 11:33 PM IST : By Shobha Bansal

तुम्हारी तनुजा

tumhari-tanuja-story

वैवाहिक जीवन की एकरसता से बोर हो कर तनु साहिल की तरफ खिंचती चली गयी, फिर क्या अंजाम हुअा लव स्टोरी का...
‘‘तनु डार्लिंग कहां हो,’’ वॉशरूम में झाग से भरे टब में बुलबुलों से खेलते नीरज ने इंटरकॉम पर हड़कंप मचाया, ‘‘उफ ! मेरी अांखों में साबुन चला गया है,’’ वह चिल्लाया। सुबह-सुबह वैसे भी अफरातफरी का माहौल होता है, ऊपर से नीरज की यह वक्त-बेवक्त बुलाहट। बड़ा ही लाड़ अाता है उसे अपने पतिदेव पर। कभी तौलिया भूल जाते हैं, तो कभी मुंह पर साबुन लगा शावर ना ढूंढ़ पाने की शिकायत करते हैं। अौर तो अौर, कमीज का बटन खुद ही ढीला कर फिर पहने ही पहने टंकवाते भी हैं। सब चोंचले हैं उसे बुलाने के। किसी भी वक्त इश्क का राग छोड़ देते हैं। एक मीठी सी पहले-पहले प्यारवाली मुस्कान अा गयी उसके गुलाबी होंठों पर। उसकी शर्मीली, भोलीभाली सी मुस्कान का भेद घर के सदस्य समान काका बाबा ने भांप लिया। सो उसे नीरज के पास भेज खुद ही नाश्ते की तैयारी करने लगे। ‘पता नहीं इस बार जानबूझ कर क्या भूल गए हैं नीरज। देर खुद करेंगे, गुस्सा हम पर निकालेंगे,’ यह बुदबुदाते हुए जैसे ही तनुजा ने वॉशरूम में दरवाजे पर नॉक किया, तभी 2 झागभरे हाथों ने उसे गोद में उठाया अौर गोल-गोल घुमाते हुए अपने साथ टब में ले गए। वह ना-ना करते हुए भी इस बेवक्त इश्क का लुत्फ उठाने लगी। तभी घड़ी की टनटन ने दोनों को इस रुमानी इश्क की खुमारी से जगाया।
‘‘छुट्टीवाले दिन तुम ऐसे रोमियो क्यों नहीं बनते,’’ साड़ी पहनते उसने मीठा सा उलाहना दिया अौर बड़ी अदा से अपने लंबे घने गीले बालों को उस पर झटक दिया। नीरज तो अपलक अप्सरा को देखता रह गया।
इसी मीठी नोकझोंक में दोनों ही अाननफानन में नाश्ता कर अपनी-अपनी कार में बैठ अपने-अपने काम पर चले गए। यह सब काका बाबा को बहुत भला लगता। उनके मुख पर संतुष्टि की मुस्कान उभर गयी। यों तो इन दोनों को इकट्ठे रहते पता नहीं कितने बरस बीत गए हैं। पर अाश्चर्य, शादी से पहलेवाला नीरज अब तनुजा को कानूनी तौर पर ब्याह कर एकदम बदल गया था। उसी की रोमांटिक अदाअों, छेड़छाड़ के चलते उनके प्यार की खुमारी अभी भी परवान थी। मानों दोनों का हनीमून पीरियड चल रहा हो।
नीरज अौर तनुजा के माता-पिता ने अपनी दोस्ती व साझे के बिजनेस की नींव पक्की करने के लिए इन दोनों की शादी बचपन में ही तय कर दी थी।
पर किस्मत कहिए कि एक हवाई दुर्घटना में दोनों ने ही अपने-अपने पिता खो दिए। तनुजा छोटी थी अौर नीरज की इच्छा साइंटिस्ट बनने की थी, सो दोनों मांअों ने सारा बिजनेस समेट बैंक में पूंजी जमा करा दी अौर ट्रस्ट बना दिया। इन दोनों ने अपना सारा ध्यान बच्चों का भविष्य उज्ज्वल बनाने में लगा दिया। उनकी इस परवरिश में काका बाबा ने भी पूरा सहयोग दिया, क्योंकि वे पढ़े-लिखे ईमानदार, वफादार मैनेजर अौर कर्ताधर्ता थे। भीष्म पितामह की तरह इस घर की खुशहाली के लिए प्रतिज्ञाबद्ध। सो जिंदगी धीरे-धीरे गुजरने लगी। लेकिन जैसे ही नीरज मुंबई की स्पेस व रिसर्च सेंटर में रिसर्च साइंटिस्ट बने, वैसे ही मंदिर जाती दोनों मांअों की कार का भयंकर एक्सीडेंट हो गया अौर इनकी अकाल मृत्यु से दोनों ही बच्चे अकेले रह गए।
इस अकेलेपन अौर गमी के मौके पर नीरज व तनुजा एक-दूजे के हमसफर बन कर उभरे। फिर तनुजा की पढ़ाई पूरी होते ही बचपन की शादी को कोर्ट मैरिज से पक्का करवा दोनों ने अपनी गृहस्थी शुरू कर दी। गवाह बने काका बाबा। यों तो सेंसेटिव जॉब होने के नाते उस पर काम का काफी बोझ था, पर कुंअारे सपनों को पूरा करने के लिए अौर वैवाहिक जीवन को मधुरतम बनाने के लिए वह उसे कभी रोमांटिक डेट पर ले जाता, कभी सरप्राइज गिफ्ट देता।
जब सब कुछ सहज ही उपलब्ध हो, तो वह बेमोल हो जाती है। कुछ लोग कभी तृप्त नहीं होते, तनुजा भी उनमें से एक थी। अब गुजरते वक्त के साथ उसे उसका इजहार, मनुहार अौर भावनाअों का यों उजागर करना छिछोरापन लगने लगा था। पढ़ाई पूरी करते ही शादी के बंधन में बंध गयी अौर कॉलेज की मिस ब्यूटी क्वीन पढ़ाई-लिखाई, खेलों अौर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की अग्रणी अौर 2-2 विदेशी भाषाअों की जानकार तनुजा देसी गृहस्थिन बन कर रह गयी। जिम, चैटिंग, किंडल, टीवी, फिल्मों से कब तक अपने को बहलाती। तो धीरे-धीरे इस एकरसता से ऊब कर वह अपनी सखियों से मिलने लगी। उसे छोड़ शायद ही कोई गृहस्थिन बनी होगी, ज्यादातर तो प्रोफेशनल कोर्स करने में बिजी थीं। उनके अाजाद खयालात, अाधुनिक जीवनशैली, बॉयफ्रेंड्स के साथ बिताए रंगीन क्षणों के किस्से उसे एक अबूझ मोहक परिवेश में ले गए। अब यह सब देख उसे अपने अौर नीरज का प्यार मैकेनिकल लगने लगा। दोनों के रिश्तों में बू अाने लगी। दुनिया में जहां भी वह 2 यंग कपल्स को देखती, तो एक अबूझ सी कसक उठती, भीतरी कोलाहल सब बंधन तोड़ उन्मुक्त जीवन को प्रेरित करता। पर सामाजिक दायरे, नियम कैसे तोड़े?
तनुजा की खोयी बुझी सी मनोदशा अब चिंता का विषय बनने लगी थी। घर भी बिखरा-बिखरा सा रहने लगा। उसे टूटने से बचाने के लिए, उसकी बोरियत को दूर करने के लिए नीरज ने परिवार बढ़ाने का फैसला किया अौर घर को नन्हे-मुन्नों की किलकारियों से गुलजार करने की अपनी मंशा जतायी। पर अाशा के विपरीत तनुजा ने इसे पैरों में प्यार की बेिड़यों की तरह ले कर नाराजगी जाहिर कर दी। उसने अागे पढ़ाई की मंशा जाहिर की। अाखिर उसने एक जानेमाने इंस्टिट्यूट से होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर लिया। किस्मत अच्छी थी, टॉपर थी, सो एक पांच सितारा होटल में प्लेसमेंट हो गयी। काफी मानमनौवल के बाद नीरज उसकी नौकरी के लिए मान गया, पर इस शर्त के साथ कि वह किसी को भी नीरज के प्रोफेशन के बारे में जानकारी नहीं देगी। यह कहेगी कि उसका पति डॉक्टर अौर रिसर्च स्कॉलर है, क्योंकि वह बेहद सेंसेटिव पोस्ट पर था। जिस प्रोजेक्ट पर वह काम कर रहा था, उसकी जानकारी किसी से भी शेअर नहीं कर सकता, यहां तक कि अपनी पत्नी से भी नहीं। यह सब कवर्ड जॉब के अंदर अाता था।
अब दोनों की अपनी-अपनी जिंदगी अौर अपनी महत्वाकांक्षाएं थीं। इसने ठहराव अाते रिश्तों को सड़ने से बचा लिया, पर क्या रिश्ता बचा?
उस दिन थोड़ी देर होने से लंबे-लंबे डग भरती जैसे ही तनुजा लिफ्ट में घुसी, तो सामने उसने मॉडल साहिल को खड़े पाया। ग्रीक देवता समान सुंदर मोहक ! उधर साहिल भी इस अप्सरा को सशरीर पृथ्वी पर देख कर हैरान था। दोनों एक-दूजे को अपलक देखते रह गए।
‘‘हाय, अाई एम साहिल, मॉडलिंग के संदर्भ में इस होटल में कुछ दिन रहने अाया हूं। अौर अाप?’’ बड़ी अदा से तनुजा की तरफ झुक उसके कानों में फुसफुसाया।
‘‘तनुजा, यहां की मैनेजर।’’
‘‘तनुजा जी, अापको तो ब्यूटी पेजेंट में जाना चाहिए, मिस यूनिवर्स तो शर्तिया बन जाएंगी।’’
साहिल जैसी बड़ी हस्ती के मुंह से प्रशंसा सुन वह तो जड़भूत हो गयी। तनुजा-तनुजा, तनु-तनु मिस यूनिवर्स यह ध्वनि प्रतिध्वनि बन सारी लिफ्ट में गूंजने लगी। उसने क्या कहा, क्या सुना, क्या नहीं, कुछ पता नहीं, बस वह सामने खड़े ग्रीक इरोस को देखती रही, जिसके हाथ में पकड़ा फूलोंवाला तीर धनुष से छूट सही निशाने पर लगा था। 
एक दिन मौका पा कर साहिल ने फोन पर उसे कॉफी पर साथ देने के लिए अामंत्रण दिया। इसमें क्या गलत है, सोच कर वह उसके कमरे में चली गयी। पता ही नहीं चला कब सुबह से शाम हो गयी। साहिल के किस्से खत्म ही ना हो रहे थे।
साहिल का साथ पाते ही तनुजा सातवें अासमान पर रहती, पर एक दिन साहिल ने पूछ ही लिया, ‘‘सुना है तुम्हारे बेटर हाफ अौर तुम्हारी बचपन में ही शादी हो गयी थी। तुम्हारे बाल सखा हैं क्या? बोर नहीं हो गयीं एक ही पुरुष संग रिश्ता निभाते-निभाते?’’
‘‘पति कम गार्जियन ज्यादा हैं,’’ एक कड़वाहट उसके मुंह से निकली।
साहिल ने उसकी दुखती रग पकड़ ली थी। अब इसी का फायदा उठा कर उसने दोनों के संबंधों में लिबर्टी लेने के लिए उसके अहं की तुष्टि करनी शुरू कर दी, ‘‘वाऊ यार, तुम्हारे फिगर पर तो अाज की मॉडल्स को रश्क हो जाए’’, ‘‘कालिदास की शकुंतला मेरे संग डिनर पर चलोगी।’’
तनुजा को इसी तरह की फ्लर्टिंग का अरमान था। अब उसका ज्यादा समय साहिल के साथ बीतता। एक दिन साहिल ने झटके से उसे अपनी तरफ खींच उसके गुलाबी होंठों को काट लिया। जब वह रोने-रोने को हो अायी, तो बड़ी ही बेशरमी से बोला, ‘‘यार, बड़ी दब्बू हो। मजा भी चाहिए अौर सजा से भी डर !’’ जब-जब साहिल उससे ऐसे ही ज्यादती करता या उसकी भावनाअों को सिगरेट के छल्ले में उड़ा देता, तो वह अाहत हो जाती अौर उसे ताना भी मारती कि यही फर्क है उसके नीरज अौर साहिल में। नीरज में अाज तक उसकी अवहेलना ना की थी। सुन कर साहिल की भृकुटि जलन से चढ़ जाती।
नीरज का उसकी इस जिंदगी में दखल हो या वह उसकी फ्लर्टिंग की चोरी को पकड़ ले, वह यह नहीं चाहती थी। उसने इसी कारण साहिल से अपनी बढ़ती नजदीकियों को होटल के कमरे तक ही सीमित रखा था। तनुजा ने अपने दोनों पांव दो नावों पर टिका रखे थे। अपने प्रोजेक्ट में अति व्यस्त नीरज को वह यहां-वहां मीठी छुअन, चुंबन या रंगीली हरकतों से असलियत से कोसों दूर रखती। तनुजा के बढ़ते अात्मविश्वास व हरदम खुश रहने से वह भी उसके भविष्य को ले कर निश्चिंत था। हालांकि काका बाबा उसे तनुजा के बहकते कदमों को ले कर इशारा कर चुके थे, पर उसने इसे उनकी बुिढ़याई सोच समझा। उसे विश्वास था कि उसकी महुअा कोई गलत काम नहीं करेगी, लेकिन क्या यह सच था। तनुजा को नीरज अौर साहिल का फर्क नजर तो अाता, पर उसके कमजोर इंकार साहिल का हौसला बढ़ाते रहते।
एक दिन अॉफिस मीटिंग के दौरान तनुजा को एक अनजान नंबर से फोन अाया कि तुरंत अपने अॉफिस रूम में अाए, कुछ अर्जेंट काम है, नहीं तो नीरज की जान को खतरा हो सकता है। वहां उसने अपने नाम का एक पैकेट देखा। खोलते ही उसे करंट लगा। यह तो उसके अौर साहिल के  अंतरंग क्षणों की तसवीरें थीं। बिस्तर की सलवटें अौर मदहोशीभरे लमहे। एक ही सेकेंड में फ्लर्टिंग का नशा हिरण हो गया। ब्लैकमेलर को एवज में लाखों रुपए नहीं, नीरज के सीक्रेट प्रोजेक्ट के ब्लूप्रिंट्स चाहिए थे, नहीं तो ये सब तसवीरें नीरज को ईमेल से भेज दी जाएंगी। नतीजा वह अच्छी तरह से जानती है। तनुजा का सिर घूम गया। वासना के लावे ने उसके सच्चे प्यार को लपेट लिया था। यह सब कैसे, कब अौर क्या हो गया।
शांत व स्थिरचित्त होने का मुखौटा लगा वह घर वापस अा गयी। जो होगा देखा जाएगा, सोच कर खुद को अाश्वस्त किया। शुक्र है, नीरज घर पर ना था। पर काका बाबा की अांखें रिश्तों में सेंधमारी को भांप चुकी थीं। काफी दिनों से दोनों में बोलचाल बंद थी, सो उन्होंने मौन नाराजगी जता दी। उन्होंने तनुजा को बहुत पहले ही बहकते कदमों को थामने की सलाह दी थी, पर तनुजा ने साहिल के नशे में चूर उन्हें नौकर की हैसियत में रहने को कह घर में उनकी अौकात बता दी थी।
अाधी रात नीरज किसी काम से अपने बेडरूम में अाया, तो तनुजा की उड़ी-उड़ी रंगत देख परेशान हो उठा अौर उसके पास अा कर लेट गया। थकाहारा था सो बेचारा खुद ही गहरी नींद में सो गया। उस रात वह अपनी स्टडी का इलेिक्ट्रक लॉक लगाना भूल गया था। मौका पा कर तनुजा दबे पांव उसकी स्टडी में चली गयी। बहुत कोशिश के बाद भी वह नीरज का प्राइवेट कंप्यूटर खोलने में असफल रही। पासवर्ड इतना यूनीक था कि नतीजा जीरो रहा।
सुबह-सुबह फिर एक अनजान नंबर से काम जल्दी पूरा करने की धमकी मिली। सोचते-सोचते 2 दिन निकल गए। कुछ तो करना होगा, यह सोच कर शाम को वह दबे पांव कंप्यूटर पर व्यस्त नीरज के पीछे जा कर खड़ी हो गयी—यह देखने के लिए कि क्या प्रोजेक्ट है। कुछ तो पता चले। लेकिन इससे पहले कि वह स्क्रीन पर नजर टिका पाती, नीरज ने अपनी कुर्सी उसकी तरफ घुमा दी। तनुजा ने झट से उसके गले में बांहें डाल, उसके कानों के लबों पर प्यार से काट लिया।
‘‘यार काम करने दो, मुझे मूड में अभी मत लाअो, इंपॉर्टेंट वर्क है।’’
‘‘ऐसा भी क्या काम जानू,’’ कुर्सी को परे धकेल वह उसकी गोद में बैठ गयी अौर मचल कर बोली, ‘‘चलो, तुम डिक्टेट करो, मैं तुम्हारी कंप्यूटर पर हेल्प करती हूं। बोला क्या करना है।’’
‘‘काम में यों प्यार के चोंचले पसंद नहीं मुझे,’’ उसे गोद से परे धकेलते नीरज ने थोड़ी बेरुखी से कहा।
‘‘ऐसा भी क्या जरूरी काम है, जो किसी से, यहां तक कि अपनी बीवी से भी शेअर नहीं कर सकते। चांद पर जाने का प्रोग्राम है या पड़ोसी देश पर नयी मिसाइल दागने का?’’ तनुजा ने ताना मारा।
नीरज को तनुजा बदली-बदली लगी। उसने अाज तक नीरज के काम में नहीं झांका था, फिर अाज इतनी उत्सुकता क्यों? उसने तनुजा को बेडरूम में जाने को कहा। उसकी बेरुखी देख तनुजा भी बेडरूम में धमक कर चली अायी। थोड़ी देर बाद समय की नजाकता को समझ अौर अपनी बेरुखी से शर्मिंदा नीरज काम बीच में ही छोड़ कंप्यूटर लॉग अाउट कर अपनी रूठी महुअा को मनाने अा गया।
इधर तनुजा ब्लैकमेलर की लगातार धमकियों से बेतहाशा परेशान हो चुकी थी। वह किससे अपनी प्रॉब्लम शेअर करे। नीरज से तो बिलकुल भी नहीं। साहिल ही उसे इस संकट से बाहर निकाल सकता है, वह मन ही मन सोचती। जब साहिल को सारी बात पता चली, तो उसने बहुत हैरानी से पूछा कि उन दोनों की फोटो किसी तीसरे व्यक्ति के पास कैसे अा गयी। कहीं नीरज को तो शक नहीं हो गया था उस पर अौर उसने किसी प्राइवेट जासूस को उनके पीछे लगा दिया हो। अब वही प्राइवेट जासूस उसको ब्लैकमेल कर रहा हो।
‘‘कितने रुपए की डिमांड है?’’ साहिल ने पूछा।
‘‘नहीं-नहीं, यह बात नहीं उसे रुपए-पैसे नहीं चाहिए।’’
‘‘नीरज तो डॉक्टर है ना, उसने उसे क्या चाहिए? किसी नयी दवाई का फॉर्मूला ! यार, यह हमेशा जवां रहने की तो नहीं, अपने दोनों के काम अाएगी।’’
साहिल की बात सुन तनुजा सकपका गयी अौर उसने चुप्पी साध ली। कैसे बताए वह नीरज की जॉब का सच ! नीरज ने तो उसे अपने असली काम के बारे में किसी को भी बताने से सख्त मना कर रखा था। परेशान हो वह उठ कर जाने लगी, तो साहिल ने उसका ठंडा हाथ थाम अाश्वासन दिया कि समस्या उन दोनों से जुड़ी है, सो दोनों ही मिल कर इससे बाहर निकलेंगे।
अगले दिन साहिल ने कुछ भी मदद न कर पाने के लिए अपनी बेबसी बता दी। पुलिस की सहायता लेने के लिए वह पहले ही मना कर चुकी थी। अब एक ही रास्ता बचा था कि वह ब्लैकमेलर को ब्लूप्रिंट्स निकाल कर दे दे। तब तनुजा ने बताया कि वह बहुत कोशिश के बाद भी नीरज का कंप्यूटर लॉग इन नहीं कर पा रही। तब साहिल ने किसी हैकर की मदद लेने को कहा, पर तनुजा को यह भी मंजूर ना हुअा। उसने दृढ़ निश्चय किया कि अाज तो वह कैसे भी पासवर्ड ढूंढ़ कर रहेगी।
रात को नीरज को नींदवाली दवा का दूध दे कर तनुजा मौका पा उसकी स्टडी की तरफ भागी। लॉग अाउट हो चुके कंप्यूटर को खोलने के लिए उसने इतमीनान से ढेरों पासवर्ड के तुक्के मारे। हार कर वह नीरज के पास अायी। उसे हिलाया-डुलाया। लड़खड़ाती उठती-बैठती अावाज में नीरज ने क्या बताया, वह समझ नहीं पायी।
सुबह नीरज का सिर भारी था। उसे कुछ अटपटा लग रहा था। उसे अपनी स्टडी में किसी की छेड़छाड़ भी महसूस हुई। चूंकि प्रोजेक्ट काफी सेंसेटिव था उसने इस बारे में अपने हेड अॉफिस में बात की अौर अपनी परेशानी बतायी। सुनते ही अॉफिस अलर्ट हो गया अौर उसे तुरंत मदद पहुंचाने का अाश्वासन दिया।
इधर तनुजा पर ब्लैकमेलर का दबाव दिन पर दिन बढ़ने लगा। उसे रोज किसी ना किसी शख्स से धमकी के मैसेज मिलते, वह गिड़गिड़ाती अौर वक्त मांगती। एक दिन होटल की कार पार्किंग में उसने बचपन की सहेली मीरा को खड़े पाया। मीरा का अाधुनिक रूप दर्शा रहा था कि वह कोई बड़ी हस्ती है। अौपचारिक बातचीत के बाद तनुजा ने उसके इस शहर में अाने का कारण पूछा, तो मीरा ने बताया कि वह अार्ट क्यूरेटर है अौर इंटरनेशनल अार्ट एग्जीबिशन के सिलसिले में यहां रेअर अार्ट पीसेज कलेक्ट करने अायी है। इसी होटल में रूम नं. 304 में कुछ दिन रुकेगी। यह सुन तनुजा परेशान हो उठी। हे राम ! यह तो साहिल के जस्ट अपोजिट रूम है। साहिल अौर मेरे रिश्ते की सारी पोल खुल जाएगी। तब ना चाहते हुए भी उसने मीरा को होटल में ना रुक कर अपने घर रुकने का अाग्रह किया। पर मीरा ने साफ मना कर दिया, क्योंकि वह बहुत बिजी थी। तनुजा उसकी ना सुन कर खुश भी हो गयी, क्योंकि वह कॉलेज के दिनों से ही मीरा की नीरज लिए क्रश अौर सॉफ्ट फीलिंग्स को ले कर परेशान रहती थी। अौर अब यह बला उसके घर टिक गयी तो !
अगले दिन तनुजा जब अपने होटल से घर अायी,  तो नीरज अौर मीरा की हंसी की अावाज सुन जल उठी। मुझे तो मना कर दिया था, फिर यहां क्या कर रही है। उधर नीरज भी तो हर वक्त काम में व्यस्तस्ता का बहाना बनाता रहता है अौर इससे तो बड़े मजे से बतिया रहा है।’
तमतमा कर वह उनकी तरफ गयी।
‘‘अाअो तनुजा, देखो कौन अाया है। मीरा ! कितनी बदल गयी है ना यह। पता भी है बहुत बड़ी अार्ट क्यूरेटर है। अाज ग्रेटर मॉल में मिल गयी। जबर्दस्ती घर पकड़ कर लाया हूं। लो तुम भी पकौड़े खाअो,’’ नीरज के कहने पर वह चुपचाप उसके बगल में बैठ गयी। उस रात मीरा को उन दोनों के साथ बातें करते अाधी रात हो गयी। सो नीरज ने उसे घर पर ही रोक लिया। तनुजा कसमसा कर रह गयी। वह बार-बार नीरज को छू कर देखती कि कहीं वह जाग तो नहीं रहा। उसे शक था कि उसका नीरज रात को मौका पा मीरा के रूम में घुस जाएगा।
अगले दिन होटल में तनुजा के मोबाइल पर उसी अनजान नंबर से कॉल अायी कि अाज शाम 6 बजे तक उसे नीरज के सीक्रेट प्रोजेक्ट्स के ब्लूप्रिंट्स मिल जाने चाहिए, नहीं तो नीरज को सब कुछ बता दिया जाएगा अौर उसके साहिल संग अश्लील फोटो ईमेल कर दिए जाएंगे। यह सुनते ही तनुजा पगला गयी। यह कोरी धमकी ना थी। वह छुट्टी ले घर वापस अा गयी। स्टडी में नीरज को काम में व्यस्त देख उसने राहत की सांस ली। शाम 4 बजे ही नीरज अाफिस के जरूरी काम से कहीं बाहर चला था। कहां, कुछ भी ना बताया। उसे बाहर जाते देख
तनुजा ने राहत की सांस ली अौर स्टडी की तरफ भागी, पर वह तो लॉक थी। क्या करे? नीरज का इंतजार करते-करते  रात के 11 बज गए, पर नीरज का कुछ बता पता ना था। उसका फोन भी बंद था। जरूर मीरा के पास गया होगा। अब मुझे क्यों चाहेगा, वह जो मिल गयी, यह सोच उस पर हावी होती जा रही थी। वह कभी सोचती कि उसे भी तो साहिल का साथ अच्छा लगता है, उससे बात करने में मजा अाता है। शायद नीरज को भी मीरा के साथ ऐसा ही फील होता हो। पर हर बार उसे उन दोनों के रिश्तों में खोट ही नजर अाता।
जब साढ़े बारह बजे तक नीरज घर नहीं अाया तो उसने तमतमा कर मीरा को फोन कर दिया, ‘‘क्या नीरज तुम्हारे साथ है? फोन दो उसे।’’
‘‘नहीं तो,’’ उनींदी सी मीरा के नहीं कहने पर तनुजा बुरी तरह परेशान हो उठी।
‘कहीं ब्लैकमेलर ने नीरज को मेरा भयावह सच तो नहीं बता दिया।’
‘क्या मेरे नीरज को ब्लैकमेलर ने किडनैप तो नहीं कर लिया। कहीं उसे मार तो नहीं दिया।’
‘मैंने उसके प्यार को कभी सीरियसली नहीं लिया। गार्जियन ही कहती रही। वह बेचारा भी तो मेरे देर से घर अाने पर इसी तरह परेशान होता होगा।’
‘नहीं, अब मैं कोई रिश्ता नहीं रखूंगी साहिल के साथ। हे भगवान ! मेरे नीरज की रक्षा करना।’ पता नहीं एक पल में उसने अपने नीरज की सलामती के लिए कितनी ही मन्नतें मांग लीं। काका बाबा के पास जाए या नहीं। अभी तनुजा सोच ही रही थी कि नीरज की कार की अावाज सुन कर वह बाहर की तरफ भागी। उसे देखते ही तनुजा नीरज की छाती से लग हिलक-हिलक कर रोने लगी। नीरज भी घबरा गया अौर उसका हाथ थाम घर के अंदर ले अाया। तनुजा पर नीरज को खोने का डर इतना हावी हो गया कि भावनाअों के अावेश में बह कर अौर नीरज की सुडौल बांहों के सुरक्षित घेरे में उसने अपनी साहिल से मुलाकात अौर रिश्ते की बात एक ही सांस में बता दी। यह भी बता दिया कि इसी वजह से कोई उसे ब्लैकमेल कर रहा है अौर उससे नीरज के सीक्रेट प्रोजेक्ट के ब्लूप्रिंट्स मांग रहा है।
‘‘अब मैं कभी यह गलती नहीं करूंगी। नीरज मुझे बचा लो, मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती।’’
यह सब सुन कर नीरज पर तो जैसे गाज गिरी। तेज कदमों से वह बाहर निकला अौर कार में कहीं चला गया। तनुजा ने परेशान हो काका बाबा का हाथ पकड़ा अौर उन्हें अपने साथ अपनी गाड़ी में बिठा लिया अौर नीरज की कार का पीछा करने लगी। नीरज की कार को होटल की तरफ मुड़ता देख उसे यकीन हो गया कि अब साहिल की खैर नहीं।
नीरज ने रिसेप्शन में साहिल के कमरे का नंबर पूछा अौर कुछ फैसला कर उसके दरवाजे पर नॉक कर दिया। साहिल नीरज को यों दरवाजे पर खड़ा देख हैरान हो गया। उसने उसे कमरे में अंदर अाने को कहा। नीरज यह देख चौंक गया कि साहिल तो होटल से चेकअाउट करने की तैयारी में था। उसके पूछने पर साहिल ने बताया कि उसे विदेश में मॉडलिंग का असाइनमेंट मिला है। उसे अभी थोड़ी देर में एअरपोर्ट पहुंचना है।
हैरान-परेशान नीरज ने साहिल के सामने तुरंत तनुजा से शादी का प्रस्ताव रखा, ‘‘तुम तनुजा को चाहते हो ना। उससे सच्चा प्यार करते हो ना, तो उसे यों छोड़ कर ना जाअो। मैं तनुजा को तलाक दे दूंगा, तुम उससे शादी कर लेना। बहुत भोली अौर सीधी है मेरी तनुजा।’’
दोस्ती में फायदा उठानेवाला शख्स साहिल ने तनुजा से भी दोस्ती इसी कारण की थी। उसके होंठों पर कुटिल मुस्कान अा गयी, ‘‘मैं तो तनुजा जैसी बेवकूफ लड़कियों से अपना काम निकलवाता हूं। फिर तनुजा से मेरी दोस्ती की वजह प्यार-व्यार नहीं, कुछ अौर था। अौर अब मैं इंडिया छोड़ बाहर जा ही रहा हूं। तुम्हें तनुजा ने मेरे अौर उसके संबंधों का सच बता ही दिया है अौर अब तुमने यहां अा कर मेरा काम अौर भी अासान कर दिया है। मुझे अपने सीक्रेट प्रोजेक्ट की सारी डिटेल्स दे दो, नहीं तो तुम्हारी तनुजा की जान को खतरा हो सकता है।’’
यह सब सुनते ही नीरज का खून खौल उठा अौर उसने साहिल पर हाथ उठा दिया। दोनों में हाथापाई शुरू हो गयी। उसी समय किसी ने साहिल के कमरे का दरवाजा भड़ाक से खोल दिया। साहिल अौर नीरज दोनों हैरान रह गए कि वहां मीरा अपने 3 कमांडोज के साथ खड़ी थी। साहिल को देखते ही कमांडोज ने एकदम पोजिशन संभाल ली अौर उसे दबोच लिया। इधर तनुजा भी काका बाबा का हाथ पकड़े नीरज को मनाने के लिए वहां पहुंच गयी। वे दोनों भी मीरा का यह नया रूप देख कर अाश्चर्यचकित रह गए।
‘‘तुम यहां कैसे?’’ तनुजा ने मीरा से पूछा।
मीरा ने जवाब के बदले तनुजा को हक्केबक्के नीरज की तरफ धकेल दिया, ‘‘लो संभालो अपने नीरज को, तुम भी तनुजा का ध्यान रखना नीरज।’’
फिर बाद में मीरा ने बताया कि वह इंटेलिजेंस एजेंसी से जुड़ी है। जब नीरज ने अपने अॉफिस में उसके कंप्यूटर से छेड़छाड़ की बात कही, तो मीरा को स्पेशली यह असाइनमेंट दिया गया, क्योंकि वह तनुजा, नीरज, काका बाबा को बचपन से ही जानती थी। जब सब पर निगाह रखी गयी अौर सारे डिटेल्स अौर डाटा खंगाले गए, तो यह साफ हो गया कि तनुजा ही किसी के ट्रेप में फंसी थी। जिस रात मीरा उनके घर रुकी थी, तब उसने तनुजा को दबे पांव स्टडी जा कर नीरज के कंप्यूटर से छेड़छाड़ करते देख लिया था, जिसने उसका शक पक्का कर दिया था। उधर साहिल बहुत पहले से ही इंटेलिजेंस एजेंसी की निगाहों में था। पहले भी एक केस में उसका नाम अाया था, पर प्रूफ ना होने के कारण पकड़ा नहीं गया था। नीरज के साहिल के पास अाने से अासान हो गया। मीरा ने कहा, ‘‘मेरे 2 मकसद थे—साहिल की सचाई उजागर करना अौर तुम दोनों की शादी बचाना। अब मेरे दोनों ही काम पूरे हो गए।’’
तनुजा ने भाग कर नीरज का हाथ थाम लिया। फिर अपने कान पकड़ कर बोली, ‘‘अब से मैं केवल तुम्हारी तनुजा, पर मुझे गार्जियन पति नहीं, पहले की तरह ढेर सारा रोमांस करनेवाला विश्वामित्र चाहिए।’’
उसके गालों पर अाश्वासन का चुंबन जड़ नीरज ने कहा, ‘‘हां, केवल तुम मेरी हो, मेरी तनुजा।’’