Monday 08 March 2021 03:24 PM IST : By Ruby Mohanty

मशहूर शख्सीयतों की डॉल्स बना कर जिंदगी बदली स्मृति लैमेक ने

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दिल्ली की स्मृति लैमेक पेशे से पत्रकार हैं, लेकिन अब वे अपने पेशे से हट कर कोडाईकोनाल में कुछ नया कर रही हैं। लीक से हट कर कुछ नया करने की चाहत तो शुरू से थी, लेकिन अपने बच्चों को साफ हवा, पानी में सांस लेने और जीवन में इतमीनान के क्षण बिताने के मकसद से उन्होंने किसी शांत वातावरण में जाने का सोचा।

कैसे मिली गुड़ियों की राह

कोडाईकनाल, तमिलनाडु का एक छोटा सा टूरिस्ट प्लेस है। वहां स्मृति ने कॉटेज रेंट पर लिया और उसको सजाने का मन बनाया। यहां छोटी सी मार्केट है। परदे और कुशन सिलने के लिए स्मृति को एक टेलर चाहिए था, पर उस मार्केट में टेलर का मिलना मुश्किल था। लेकिन फिर भी कोशिश कामयाब हुई। मार्केट में उन्हें 3-4 महिलाओं का एक ग्रुप मिला, जिन्होंने स्मृति को ब्लाउज पीस से कुशन तैयार करके दिया। शुरू-शुरू में दोनों ओर से भाषा की परेशानी हुई, पर धीरे-धीरे काम चलाने लायक भाषा समझने लगे। स्मृति अपनी गुड़िया क्रेज के बारे में बताती हैं कि बचपन में उनकी आंटी ने उन्हें एक कपड़ों की गुड़िया दी थी। उस अकेली डॉल से खेलते-खेलते कई बार स्मृति को ऊब होती और वे सोचतीं कि काश कोई नयी डॉल उन्हें मिल सकती। स्मृति बड़ी हुईं और उनके दिल के किसी कोने में नयी गुड़िया की चाहत दबी रह गयी। पर इस कोरोना पीरियड में उन्होंने फेमिनिज्म के प्रति अपनी सोच को गुड़िया के माध्यम से सबके सामने रखा।

गुड़िया की खासियत

स्मृति ने अब तक कुल 4 तरह की गुड़िया बनायी हैं। प्लास्टिक के मोल्ड में गुड़िया बनाना और कपड़े की गुड़िया बनाने में काफी अंतर है। स्मृति की गुड़िया कपड़े की हैं, जिसमें हाथ का बारीक काम है। इसके अलावा इन गुड़ियों के माध्यम से उन्होंने कोडाईकनाल की उन गरीब औरतों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की कोशिश भी है। यहां काम की कोई डेड लाइन नहीं है। है। इन गुड़ियों की खासियत है कि ये हाथ के काम से तैयार होती हैं। एक समय में ये एक साथ ज्यादा संख्या में नहीं बनतीं। इसीलिए स्मृति अपने ग्राहकों को खास मौके पर गुड़िया डिलीवरी करने का वादा नहीं करतीं। उनकी गुड़ियों के खरीदार सिर्फ बच्चे ही नहीं, बड़े भी हैं। गुड़िया की खासियत है कि इसका चेहरा नहीं है, क्योंकि जितना बारीक काम बढ़ेगा, चेहरा भी ज्यादा भरा-भरा लगेगा, कीमत भी उस हिसाब से बढ़ेगी और लोग खरीदने से कतराएंगे।

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स्मृति कहती हैं, ‘‘मैंने कुछ शख्सियतों को ध्यान में रख कर गुड़िया बनायीं। जैसे कल्पना चावला की स्पेस हेलमेट के साथ, इंडियन एजुकेशनिस्ट बाई फुले की बिंदी के साथ, मैक्सिकन पेंटर फ्रीडा कालो की आईब्रोज का अलग अंदाज। हममें से ज्यादातर लोग इन शख्सियतों को पसंद करते हैं। इनकी गुड़िया अगर हमें मिले, तो हम खरीदना चाहेंगे। मेरी ज्यादातर गुड़िया लंबी और पतली हैं। इनके हाथ और पैर आसानी से मोड़ कर बैठा सकते हैं।’’ लोगों ने इन हैंडमेड गुड़िया की तारीफ भी की। स्मृति के पास देश-विदेश से काफी गुड़िया के ऑर्डर्स आ चुके हैं, जिन्हें पूरा करने का जिम्मा अब स्मृति के ऊपर है।

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