Monday 08 March 2021 11:46 AM IST : By Ruby Mohanty

मजेदार किरदारों के माध्यम से परोला आर्ट का संरक्षण कर रही हैं मेधावी शर्मा

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उधमपुर में रहनेवाली 25 वर्षीय इंजीनियर मेधावी शर्मा इन दिनों बखूबी अपनी डोगरी परंपरा, संस्कृति और कला को खत्म होने से बचाने का काम कर रही हैं। उनका मानना है कि जम्मू की खूबसूरती सिर्फ बर्फ के पहाड़ और पश्मीना ही नहीं हैं, बल्कि इस प्रदेश की बारीक कला भी है। जम्मू में अलग-अलग समुदाय हैं, जिनमें से डोगरा समुदाय की परोला कला बहुत खूबसूरत है। पर यहां के लोग इस कला काे लगभग भूलते जा रहे हैं। डोगरी लड़की मेधावी दिल से परोला कला से प्रेम करती हैं।

परोला आर्ट क्या है

बहुत पहले डोगरों के घर मिट्टी के होते थे। वे अपने घरों को सफेद रंग की कलाकृतियों से सजाते थे, जिसे ‘परोला’ आर्ट वर्क कहते हैं। लेकिन अब यह कला ना के बराबर रह गयी है। मेधावी ने इस छोटी उम्र में इस कला को मॉडर्न घरों में पहुंचाने की जिम्मेदारी उठायी है। वे कहती हैं, ‘‘मैंने बचपन से ही बसोली मिनिएचर पेंटिंग की है। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के साथ-साथ मैंने अपनी पेंटिंग के शौक को रखा। मैं अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद जब मैं उधमपुर के बाहर नौकरी करने के लिए गयी, ताे मुझे अहसास हुआ कि हमारी कम्युनिटी और यहां के आर्ट के बारे में कोई नहीं जानता है। ऐसे स्थिति में मुझे अकसर आइडेंटिटी क्राइसिस महसूस होता। मुझे लगता कि हिंदुस्तान की इस अदभुत कला के बारे में सभी को मालूम होना चाहिए। मैंने 2 साल नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डिजाइनिंग, अहमदाबाद में पढ़ाई की। वहां लोकल क्राफ्ट को बहुत अहमियत दी जाती है। मुझे वहीं से प्रेरणा मिली। अपने शहर वापस आ कर मैंने परोला आर्ट पर फोकस किया।’’

कैसे सामने आयी कला

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मेधावी ने लोगों को ‘परोला आर्ट’ समझाने के लिए खास कैरेक्टर्स की पेंटिंग बनायी है। इन कैरेक्टर्स की एक फैमिली है। फैमिली में मुख्य किरदार बोबोजी का है। बोबोजी, जिसे डोगरी में बड़ी बहन कहा जाता है। उनके पति नमरदार जी है, उनकी बेटी दुर्गा और उनका बेटा गौरव है। यही फैमिली डोगरी संस्कृति से जुड़े तीज-त्योहारों, परंपरा को राष्ट्रीय स्तर पर सभी के सामने लाने की कोशिश कर रही हैं। इन पेंटिंग्स में मेधना ने बहुत चटक रंगों का इस्तेमाल किया है। उन्होंने अपने ब्लॉग का नाम भी ‘परोला’ रखा है, जिसमें वे डोगरा सोसाइटी को अपने परोला आर्ट वर्क और एनिमेशन के साथ जोड़ कर इसे अंतराष्ट्रीय ख्याति दिलाने की कोशिश कर रही हैं। आनेवाले समय में वे परोला आर्ट सेंटर खोल कर बच्चों को मिट्टी से जुड़ी इस कला को सिखाएंगी। उम्मीद है इनसे ज्यादा से ज्यादा लोग जुड़ेंगे।