Wednesday 03 February 2021 11:05 AM IST : By Shyama

साड़ी और स्नीकर्स पहन कर हला हूप करती हैं एशना कुट्टी

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साड़ी पहन कर उछलने-कूदने, डांस करने के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता। पर सचमुच में कोई ऐसा कर सकती है, तो वे हैं केरल की एशना कुट्टी। वे सामान्य मलयाली लड़की नहीं हैं, बल्कि रातोंरात सोशल मीडिया में अपने हला हूप वीडियो के जरिए काफी पॉपुलर हो रही हैं। वे महिला पत्रकार चित्रा नारायण और डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर विजयन कुट्टी की बेटी हैं। जानिए हला हूप की कहानी, एशना की जबानी। उनका मानना है कि वे अपने वीडियो के माध्यम से संदेश देना चाहती हैं कि महज कपड़ों से किसी के बारे में राय कायम नहीं की जा सकती। अपने शौक को पूरा करने के लिए साड़ी को किसी तरह की रुकावट नहीं मानना चाहिए।

यूट्यूब को बनाया गुरु

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11वीं क्लास में एशना ने पहली बार हूपिंग की शुरुआत की। उन्हें कुछ अलग हट कर करने का मन था, इसीलिए उन्होंने अपने घर की चारदीवारी में ही हूपिंग शुरू की। बाद में यह उनका शौक बन गया। उनका कहना है, ‘‘स्कूल में जब मेरे पास खाली समय होता, तब मैं अकसर यूट्यूब वीडियोज देख कर तरह-तरह के एक्सपेरिमेंट करती। यहीं से मुझे हूपिंग के बारे ज्यादा जानकारी मिली।

मैंने विश्वभर के हूपिंग वीडियोज देखे। मुझे कोई लोकल या देश के किसी भी कोने से सही ट्रेनर नहीं मिला, तो यूट्यूब मेरा हूपिंग टीचर बना। शुरू में मैंने गलतियां कीं, आज भी करती हूं, लेकिन सीखना कभी नहीं छोड़ा। मेरे वीडियोज काफी पसंद किए गए। मैंने अपने गलतियों वाले वीडियोज भी यूट्यूब में डाले, क्योंकि गलतियां भी सीखने का ही हिस्सा होती हैं।’’ वैसे एशना के नाम का मतलब ही है ‘इच्छा’ और इच्छा शक्ति ही हर सफलता का राज होती है।

एशना कहती हैं, ‘‘मैंने ग्रेजुएशन साइकोलॉजी से की है, पर लोग मुझे ‘हला हूप गर्ल’ के नाम से ही जानते हैं। मैं हूपिंग में बहुत कुछ करना चाहती हूं। शुरू में मुझे लगा कि मैं हला हूप से कहीं ज्यादा कुछ कर सकती हूं। इसमें कुछ नया करने की गुंजाइश नहीं है। इसीलिए कुछ नया और अलग करने का सोचने लगी। मेरे पेरेंट्स ने ही मुझे यह आइडिया दिया कि चूंकि मैं हूपिंग में बहुत अच्छी हूं, तो मैं इसे ही अपना कैरिअर क्यों नहीं बना लेती? जिसके बारे में मैंने कभी नहीं सोचा, मेरे पेरेंट्स ने उसी काम को कैरिअर के रूप में लेने की सलाह दी।

मेरे पेरेंट्स बहुत प्रोग्रेसिव, नयी व गहरी सोच रखते हैं। ऐसे पेरेंट्स का होना भाग्य की बात है।’’ अपनी पढ़ाई के साथ-साथ एशना ने हूपिंग के छोटे-छोटे वर्कशॉप लेने शुरू किए। उन्हें हूपिंग ट्रेनर के तौर पर लोगों को हूपिंग सिखाते-सिखाते 5 साल हो चुके हैं। उनके पास 3 साल के बच्चे से ले कर 60 साल की उम्र के उम्रदराज लोग सीखने आते हैं। आज उनके पास केरल के ही नहीं पूरे भारत और वर्ल्ड के स्टूडेंट हैं। लेकिन वे इन दिनों कोरोना काल की वजह से सभी को ऑनलाइन हूपिंग टीचिंग क्लासेज दे रही हैं।

नदी सी बहती एशना

एशना के कई शौक और भी हैं, जो हूपिंग के साथ-साथ चलते हैं। जैसे वे बचपन में स्पोर्ट्स और डांस में रुचि रखती थीं। उन्हें लगता था कि वे डांस में महारत हसिल कर सकती हैं। इसके अलावा योग और एक्सरसाइज भी उन्हें पसंद हैं। उन्होंने हूपिंग में इसीलिए रुचि दिखायी, क्योंकि योग करने की वजह से उनकी बॉडी में लचक थी और उन्हें हूपिंग में आसानी हुई। वे कहती हैं, ‘‘मैंने हूपिंग शुरू की और उसके साथ नदी सी बहती चली गयी। मैं इसे ‘फ्लो ऑफ आर्ट’ कहूं, तो गलत नहीं होगा। आंखों पर पट्टी लगा कर हूपिंग करना, यह वाकई एक्सपेरिमेंटिंग है।

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हूपिंग से अच्छी सेहत होने के अलावा इसे ‘फील गुड एलिमेंट’ कह सकती हूं, जिसमें मैं खुद में डूबी होती हूं और बस नदी सी बहने लगती हूं। लोग इसे खेल और वर्कआउट टेक्नीक की तरह मानते हैं। कुछ इसे सिर्फ मनोरंजन का जरिया मानते हैं। कुछ लोग इसे ले कर बहुत सीरियस हो जाते हैं, जबकि यह एक ऐसा टूल है, जिसे अपने तरीके से मोल्ड किया जा सकता है। मैं लोगों से कहती हूं कि हूपिंग सीखने के शुरुआती समय में मेरे वीडियोज के साथ तुलना ना करें। आप मेरे जो वीडियोज आज देख रहे हैं, यह परफेक्शन बहुत प्रैक्टिस के बाद मुझे हासिल हुआ है। बहुत सी ऐसी टेक्नीक हैं, जो मैंने अपने अनुभव से खोजी हैं, उन्हें मैं अपने स्टूडेंट्स के साथ शेअर कर सकती हूं। अब मैं खुद अपने ब्रांड ‘हूप फ्लो’ के नाम से पॉपुलर हो रही हूं। इसमें आप हूपिंग वर्कशॉप से ले कर हूपिंग तकनीक और इससे जुड़े लोगों से मुलाकात कर सकेंगे।’’