Friday 12 March 2021 11:31 AM IST : By Ruby Mohanty

फ्यूनरल कंपनी चलाती हैं आईटी इंजीनियर श्रुति रेड्डी

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जीवन का शाश्वत सत्य मृत्यु है। परिवार में या अपने किसी करीबी की मृत्यु दुख का कारण बनती है। हैदराबाद की 33 वर्षीय श्रुति रेड्डी की सोच बहुत अलग है। उन्हें ऐसा लगता है कि परिवार में जब किसी की मृत्यु हो, तो परिवार के सभी सदस्यों को साथ होना चाहिए और किसी अन्य को दाह संस्कार के सभी काम देखने चाहिए। अगर आप इस बात से सहमत हैं, तो इस नयी सोच की सराहना करेंगे। जी हां, मिलिए आईटी इंजीनियर श्रुति रेड्डी से, जो फ्यूनरल कंपनी और अंत्येष्टि फाउंडेशन की मैनेजिंग डाइरेक्टर हैं। यह स्टार्टअप उन्होंने 5 साल पहले शुरू किया। आज वे अपनी सेवाएं 4 मेट्रो शहरों - पुणे, हैदराबाद, बंगलुरु और कोलकाता में दे रही हैं। जल्दी ही उनकी यह सर्विस दूसरे शहरों में भी शुरू होगी।

फ्यूनरल सर्विस

स्त्री हो कर फ्यूनरल सर्विस का आइडिया उन्हें कैसे आया, पूछने पर श्रुति कहती हैं, ‘‘मेरे पति गुरविंदर सिख हैं। हम फैमिली फ्रेंड हैं। जब गुरविंदर के दादा जी का देहांत हुआ, तो मैंने देखा कि हैदराबाद में सेटल होने के बाद भी वे आउटसाइडर ही साबित हुए, क्योंकि उन्हें दादा जी की अंत्येष्टि के समय अपनी परंपरा के अनुसार दाह संस्कार की सर्विस जुटाने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इस स्थिति ने मेरे दिल को झकझोर दिया। इसके एक साल बाद ही मैंने अंत्येष्टि फाउंडेशन और अंत्येष्टि फ्यूनरल सर्विस शुरू कर दी।’’

दिक्कत कैसी-कैसी

श्रुति को इस स्टार्टअप में सबसे पहली दिक्कत यह आयी कि जिन शहरों में वे सर्विस दे रही थीं, वहां उनका अपना कोई नहीं था। कोलकाता में भाषा की दिक्कत की वजह से लोग उन्हें आउटसाइडर समझते थे। वहीं इस प्रोफेशन में शुरुआती दौर में सपोर्टिंग स्टाफ के लिए पढ़े-लिखे लोग मिलने में दिक्कत आ रही थी। कहते हैं ना एक दरवाजा बंद होता है, तो दूसरा खुल जाता है। शुरू में इस बिजनेस से जुड़े लोगों ने श्रुति को काफी डराया-धमकाया। लोकल लोगों को लगा कि उनका बिजनेस ठप हो रहा है। कइयों को खतरा महसूस हुआ कि अब हम डिजिटल माध्यम से आ रहे हैं और उनके साथ मुकाबला करेंगे। श्रुति ने सभी को यकीन दिलाने की कोशिश की कि वे उनका बिजनेस छीनने नहीं, बल्कि उनके साथ काम करने आयी हैं।

फैमिली से मिला सपोर्ट

श्रुति कहती हैं, ‘‘मेरी मां मेरे इस कैरिअर के शुरुआती दौर में मुझसे काफी नाराज थीं। उन्हें लगता था कि मैं सॉफ्टवेअर इंडस्ट्री में अपने बेहतरीन काम और मोटी कमाई छोड़ कर क्यों शमशानों के आसपास मंडरा रही हूं।’’

कोई भी काम शुरू करते समय फैमिली से सपोर्ट मिलना जरूरी है, क्योंकि हम वर्कर्स के साथ काम कर सकते हैं, पर एनर्जी और सपोर्ट तो अपनों से ही मिलता है। अगर हम बिजनेस पार्टनर के साथ काम की शुरुआत करते हैं, तो उसके साथ ही बिजनेस में काफी उतार-चढ़ाव देखते हैं। पर बिजनेस की अकेले शुरुआत की हो, तो परिवार से सपोर्ट मिलना जरूरी है, ताकि मुसीबतों को आसानी से झेल पाएं। श्रुति लकी हैं कि उन्हें घर से सपोर्ट मिला। उनके पति सर्विस करते हैं। उनकी शादी को 11 साल हुए हैं और 8 साल का बेटा भी है। उनके पति का कहना है, ‘‘जब तुम्हें लगता है, तो तुम कर सकती हो, तो जरूर करो। मैं हर रिस्क पर तुम्हारे साथ हूं।’’

पैकेज कैसे-कैसे

श्रुति अंत्येष्टि फ्यूनरल सर्विस में कई तरह के पैकेज देती हैं। अब मेट्रो निवासी आसानी से उनकी सेवाएं ले सकते हैं। फिलहाल श्रुति बंगलुरु में सेटल हैं और 4 मेट्रो शहरों में अपनी सर्विस को कॉर्डिनेट कर रही हैं। श्रुति के मुताबिक, ‘‘हमारे पास कुल 11 स्टाफ मेंबर हैं। सभी पढ़े-लिखे हैं, जो उस शहर की लोकल अंत्येष्टि सेवाएं उपलब्ध कराते हैं। क्लाइंट की परंपराओं के हिसाब से उनके परिवार के मृतक का विधिवत संस्कार किया जाता है। जैसे कोई कन्नड़ है, तो उसी के विधि विधान के साथ दाह संस्कार होगा। अपनी सर्विस में हम पुजारी व गाड़ी का अरेंजमेंट और पहले दिन से तेरहवीं तक का संस्कार भी करवा कर देते हैं। इसमें 3000 से 25,000 हजार रुपयों तक का खर्चा आता है। अगर किसी को सिर्फ श्राद्ध के लिए ब्राह्मण चाहिए, तो वह भी ला सकते हैं। ’’

कोई भी शुरू कर सकता है

कोई भी नया स्टार्टअप शुरू करते समय 2-3 बातें गांठ बांध लें। सभी लोग बिजनेस कर सकते हैं, ऐसा नहीं है। कुछ लोगों को नौकरियां भी अच्छी लगती हैं, यह बात आपकी पर्सनल चॉइस पर तय होती हैं। लोग अपने कंफर्ट जोन से बाहर नहीं आना चाहते। यह ऐसे माहौल को टेंशन मुक्त रखती है। उनको सुविधाएं और आराम देती है। इसमें रिस्क फैक्टर कम होता है। जब बिजनेस सफल साबित ना हो, तो निराश ना हों, क्योंकि कम से कम नए बिजनेस से जुड़े अनुभव तो होंगे। पहली बार में सफलता हसिल नहीं हुई, तो आगे कुछ क्यों करें, ऐसा ना सोचें।’’

श्रुति के अपने काम से जुड़े बहुत सारे बुरे अनुभव भी हैं। दरअसल, मृत्यु संवेदनाओं से भरा पल है। किसी को सर्विस सही ना मिलने पर कोई बात बुरी लगती हो, तो उसका बिगड़ना स्वाभाविक है। पर अब समय और अनुभव के साथ सर्विस देने में काफी सुधार और सहजता आ चुकी है।