Thursday 03 June 2021 04:01 PM IST : By Nisha Sinha

सेलेब्रिटीज की सच्ची साथी साइकिल

cycle-day

किसी ने दोस्तों की फौज को साथ ले कर साइकिल सीखी, तो किसी को उसके बड़े भाई ने सिखाया। जिन्होंने बचपन में नहीं सीखा, उन्होंने जवानी में सीखी क्योंकि उनको यह कहा गया कि स्कूटर या बाइक चलानी है, तो साइकिल तो सीखनी ही पड़ेगी। अब साइकिल मजबूरी में सीखी हो या इश्क में, हर साइकिल सवार की अपनी दास्तां है। आइए वर्ल्ड साइकिल डे के मौके पर सेलेब्रिटीज के साथ साईकिल की सवारी की जाए।

मृणाल जैन : बंदिनी, हिटलर दीदी और उतरन जैसे सीरियल कर चुके मृणाल जैन को बचपन में साइकिल सीखना हर किसी को याद है। एक्टर मृणाल जैन का कहना है कि बचपन की यादों में अगर साइकिल सीखने के दिनों को निकाल दिया जाए, तो यह अधूरा रहेगा। मेरे लिए तो साइकिल सीखना आजादी की चाबी की तरह था। पूरी आजादी का लुत्फ लेना। हम साइकिल पर चढ़ कर कहीं भी जाने को आजाद थे। ना जाने कितनी बार मैं साइकिल से गिरा मगर मजाल है कि मैंने इसे छोड़ा हो। हाथ-पैर में चोट भी लगवायी, लेकिन सब अपनी जगह और साईकिल से प्यार अपनी जगह। उस समय तो अपने पास साइकिल होना भी बड़ी बात होती थी। मुझे मेरी पहली साइकिल दस साल की उम्र में मिली। देखिए, तब कहां पता था कि साइकिल चलाने के ढेरों हेल्थ बेनिफिट्स भी हैं। आज तो फिट रहने के लिए मैं कम से कम एक घंटे इस सवारी का इस्तेमाल करता हूं। खासकर इन दिनों जब जिम नहीं जा सकता, यह उस कमी को पूरा कर रहा है। इस सवारी की खासियत यह भी है कि इससे पॉल्यूशन नहीं होता।

अरुण मंडोला : सीरियल संकटमोचन महाबली हनुमान फेम एक्टर अरुण मंडोला बताते हैं कि उनको साइकिल चलाना पापा ने सिखाया। नजदीक के स्टोर से घर के लिए छोटी-मोटी चीजें लाने के लिए मैंने इसका खूब इस्तेमाल किया। साइकिल पर बैठ कर दोस्तों के साथ कॉम्पीटिशन करने का भी अपना ही मजा था। इसमें मिली जीत की तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती। आज साइकिल से गिरने के बाद की हर चोट तो याद नहीं, पर यह जरूर कहूंगा कि बचपन की सबसे प्यारी यादें इस सवारी से जुड़ी है। आज भी अगर हर आदमी छोटी-मोटी दूरी तय करने के लिए इस वाहन का इस्तेमाल करे, तो ना केवल ट्रैफिक से राहत मिलेगी, बल्कि पॉल्यूशन लेवल भी कम होगा।

प्रतीक चौधरी : परमावतार श्री कृष्ण से लोगों के दिल में समां चुके एक्टर प्रतीक यह मानते हैं कि बचपन में साइकिल सीखना सबसे बड़ा चैलेंज था। जैसे ही मैंने यह चलाना सीख लिया, मैं खुद को एक राजा की तरह महसूस करने लगा। मैं अपनी साइकिल की देखभाल खुद ही किया करता था। इसे रोज साफ करना मेरी पहली ड्यूटी थी। मैं इसमें ऑयल लगाता। इसे चमकाने के लिए तौलिए से पोंछता । यह मेरी सच्ची दोस्त थी या दूसरे शब्दों में कहें, तो मेरी फैमिली थी एक मेंबर। आज देश में अधिक से अधिक साइकिल ट्रैक बनाने की जरूरत है। इससे इसका इस्तेमाल बढ़ेगा। आज के समय में एनवॉयरमेंट को इकोफ्रेंडली रखने के लिए यह बेस्ट व्हीकल है।