इन दिनों कोविड 19 से ठीक हो चुके लोगों में दूसरी तरह की परेशानी सामने आ रही है। वह है फंगल बीमारियों का खतरा। यह खतरा दरअसल, नमी, गंदगी और जिन्हें पहले से ही कोई स्वास्थ्य की समस्या हो, जिससे शरीर की इम्यूनिटी कम हो चुकी है, उनमें होने के चांसेज ज्यादा है। वैसे आजकल दो तरह के फंगस ज्यादा सक्रिय हैं। ब्लैक फंगस जिसे म्यूकरमायकोसिस कहते हैं और वाइट फंगस जिससे कैनडिडा कहा जाता है। इसके अलावा येलो फंगस भी एक्टिव हो रहे हैं पर इसके बारे में कोई राय कायम करना सही नहीं होगा। डॉ. सुयश मोहन, एसोसिएट प्रोफेसर, रेडियोलॉजी पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी अमेरिका इस बारे में कहते हैं कि लोगों में कोविड और इम्यूनिटी में गिरावट की वजह से फंगल इंफेक्शन के खतरे सामने आ रहे हैं। देखा जाए तो ऐसी कौन सी जगह है जहां फंगस डेवलप नहीं होते। इसीलिए इससे डरे नहीं, सावधानियां बरते। अगर इसके चपेट में आ चुकें हैं, तो इसके लक्षणों को पर गौर करें और समय पर डॉक्टरी सलाह लें।
कैसे पैदा होता है फंगस
कोविड से ठीक हुए मरीजों या जो पहले से डायबिटीज़, किडनी रोग या कैंसर से जूझ रहे हैं उनमें फंगस का रिस्क फैक्टर ज्यादा है। इन मरीजों के शरीर में इम्यूनिटी कमजोर होती है जिसे फंगस बीमारी की मुख्य वजह माना जा रहा है। फंगस कई माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। सांस, आंख, कटी त्वचा, जख्मी त्वचा ही नहीं बल्कि ये रक्त नलिकाओं पर भी असर करती है, जिससे टिसूज तक खून की आपूर्ति नहीं हो पाती है और संक्रमण के खतरे बढ़ जाते हैं।
क्या है लक्षण: अपोलो अस्पताल, दिल्ली डॉ. सुरेश सिंह नारूका सीनियर कंसलटेंट इएनटी, बताते हैं कि आंखों में सूजन, लालिमा, जलन, दर्द और आंखों के आकार में बदलाव हो, तो बिना देरी किए डॉक्टरी सलाह लें। इसके अलावा पेट में लगातार दर्द, लूज मोशन, ऐंठन हो तो भी डॉक्टर को बताएं। कई बार आंतों में भी बैक्टीरियल या फंगल इंफेक्शन होने के खतरे होते हैं। हांलाकि फंगल इंफेक्शन पहले भी होते थे, इनके इलाज भी होते थे, पर इन दिनों इसे इम्यूनिटी से जोड़ कर देखा जा रहा है।
कैसे होती है जांच: सीटी स्कैन और एंडोस्कोपी के मदद से जांच होती है। ब्लैक फंगस होने पर एंटी फंगल इंजेक्शन और दवाइयां दिए जाते हैं।
क्या रखें सावधानियां
अगर शरीर की इम्यूनिटी मजबूत है और सावधानी बरती जाए तो फंगल इंफेक्शन से आसानी से दूर रहा जा सकता है। अच्छा होगा कि सही और हेल्दी डाइट का रूल फॉलो करें और साफ सफाई का विशेष ध्यान दें। घर में फंगस न पनपने दें। फ्रिज के हैंडल से लेकर दरवाजे की रबर की और भीतर की सफाई का पूरा ध्यान रखे। साफ और ताजा पका खाना खाएं। बासी खाने पर तो शुरू से ही मनाही थी। अब तो इस रूल को और भी फॉलो करने की जरूरत है। धूल मिट्टी के सीधे संपर्क में न आएं। वर्किंग प्लेस को साफ रखें, शुगर और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल रखें, तो खतरा खुद ब खुद कम हो जाएगा।