Monday 08 March 2021 11:21 AM IST : By Nisha Sinha

ब्यूटी क्वीन से फॉर्मूला -4 रेसर तक, हरफनमौला है अदिति पटनाकर गुप्ता

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बहुत लोग ऐसे हैं, जो यह मानते हैं कि महिला कार चला रही है, तो रास्ते से हट जाओ। कहने का मतलब होता है कि महिलाएं ड्राइविंग के मामले में फिसड्डी होती हैं। लेकिन क्या वाकई ऐसा है?

देश की सबसे बड़ी कार बनाने वाली कंपनी मारुति सुजुकी के अनुसार कार खरीदारों में महिलाओं की संख्या पिछले 5 सालों से 7 से बढ़ कर 12 प्रतिशत हो गयी है। वहीं हुंडई ने महिला खरीदारों की संख्या में 12 प्रतिशत की बढ़त पायी है, जो पहले 3 प्रतिशत थी। अदिति पटनाकर गुप्ता इसी में एक नाम है। दो बच्चों की यह बैंकर मां मिसेज इंडिया यूके की फाउंडर रही हैं। वे ‘फॉर्मूला 4’ कार चलाती हैं। वे बैंकर भी हैं। वे मां, पत्नी और बहू के रूप में अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही हैं। आइए अदिति की नजर से औरतों की दुनिया को देखें -

‘‘बचपन में ही मैंने बाइक चलानी सीख ली थी। मेरे बड़े भैया, उनके दोस्त सबको बाइक चलाते देख कर मेरा भी मन इसे चलाने को हुआ। फिर पापा, भाई और मुझमें कोई फर्क नहीं करते थे। उन्होंने भाई को क्रिकेट खेलने भेजा, तो मुझे भी भेजा। किक मारते समय चोट भी लगी, पैर भी जला है, लेकिन मेरे पेरेंट्स ने मुझे नयी चीजों को सीखने को ले कर कभी लिंग भेद नहीं किया। आठवीं में आने तक मुझे बाइक चलानी आ गयी थी, पर मेन रोड पर नहीं निकलती थी। लाइसेंस मिलने की उम्र तक मैंने कार चलानी भी सीख ली। तब मेरे घर में कार नहीं थी, मैंने अपने दोस्तों से कार मांग कर इसे चलाना सीखा। यही शौक मुझे फॉर्मूला 4 कार रेसिंग तक ले आया। बचपन में दूरदर्शन या दूसरे चैनल पर कार रेस दिखाते थे, यह सब मुझे रोमांचित करता। स्पोर्ट्स मूवीज की भी शौकीन हूं। स्पीड मुझे अच्छी लगती है।’’

रेसिंग, बच्चे और प्रोफेशन की जिम्मेदारियों के बीच खुद को फिट रखा। पूछने पर अदिति बताती हैं, ‘‘मुझे घर पर बना खाना पसंद है। यह पोषण से भरा और शुद्ध होता है। मैं रेगुलर जिम तो नहीं कर पाती, लेकिन घर के कामों में खुद को व्यस्त रखती हूं। लंबे समय तक विदेश में रही हूं। वहां हाउस हेल्प आसानी से नहीं मिलती, इसलिए मैं घर के हर तरह के काम करने में एक्सपर्ट हो गयी। मुझे इसमें कोई बुराई भी नजर नहीं आती। काम करके खुद को फिट रख पाती हूं।

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2013 में मैं ‘मिसेज इंडिया सिंगापुर’ की फाइनलिस्ट में रही। मेरे डैडी ने मुझे मॉडलिंग के लिए प्रोत्साहित किया। उस दौर में सुष्मिता सेन, ऐश्वर्या राय को सराहा जा रहा था। काफी छोटी उम्र में उन्होंने विश्वभर में नाम कमाया। सामाजिक सरोकारों से जुडे़ काम भी किए। इसलिए हमेशा एक झुकाव था। मिसेज इंडिया सिंगापुर कॉन्टेस्ट में जीतने के बाद मैंने मिसेज इंडिया यूके कॉन्टेस्ट शुरू किया। इस कॉन्टेस्ट की टैग लाइन बहुत ही डिफरेंट है- सौंदर्य को फिर से परिभाषित करें (redefine the beauty)। दरअसल औरतों के मन में होता है कि ब्यूटी पेजेंट जीतने के लिए ग्लैमरस होना, अच्छी हाइट होनी जरूरी है, बॉडी का फिट दिखना जरूरी है। ऐसा सोच कर वे खुद को किसी प्रतियोगिता में शामिल होने से पहले ही रिजेक्ट कर देती हैं। अपने कॉन्टेस्ट के जरिए मैं इसी मिथक को तोड़ना चाहती हूं।

‘‘रेसिंग के दौरान हादसे भी हुए, एक रेस को कंप्लीट भी नहीं कर पायी थी। लेकिन सुरक्षा को ध्यान में रखने से कोई बड़ा खतरा नहीं रहता। फिर फॉर्मूला कार ऐसी बनी होती है कि काफी हद तक उसका कंट्रोल ड्राइव करनेवाले के हाथ में होता है। इसमें होने वाली घटनाओं से सीखने को ही मिलता है। ब जरूरत है कि महिलाओं को स्टार्टअप शुरू करने या बिजनेस शुरू करने में सरकार की ओर से मदद दी जाए। महिलाएं आत्मनिर्भर होंगी, तो उनका आत्मविश्वास और बढ़ेगा।

नहीं जानते पति ड्राइविंग

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हसबैंड की ड्राइविंग को ले कर वे जोर से हंसते हुए कहती हैं कि ‘‘मेरे पति प्रशांत ड्राइविंग नहीं जानते। हालांकि वे फॉर्मूला 1 रेसिंग के दीवाने हैं। रेसिंग की नॉलेज बहुत है। उन्होंने ही मुझे बताया कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर फॉर्मूला 1 रेसिंग की सीरीज आ गयी है, इसे देखो। अगर हमें कहीं जाना होता है, तो मैं ही ड्राइव करती हूं। शादी के बाद हम एक ही ऑफिस में काम करते थे, एक कार में साथ ही जाते थे और मैं ही ड्राइव करती थी। हमारी इंटरकास्ट शादी है। हम दोनों की फैमिली डिफरेंट है। मेरे इन-लॉज जानते हैं कि मैं ब्यूटी पेजेंट करवाती हूं, गाउन पहनती हूं, मुझे समारोहों में जाना होता है, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कभी रोकटोक नहीं की। हां, रेसिंग के बारे में मेरी मदर-इन-लॉ यह जरूर कहती हैं, अदिति अपना ध्यान रखना।

इंडियन वुमन को मैं यह कहना चाहूंगी कि सफलता आसानी से नहीं मिलती। कई बार असफल होने के बाद ही यह हासिल होती है, इसलिए खुद को अपने मकसद की तरफ फोकस रखें। इसके अलावा, मुसीबतों में खुद को संभालना सीखना जरूरी है। मदद के लिए हमेशा दूसरे की तरफ देखने की जरूरत नहीं है। स्त्रियों को अपनी सौम्यता नहीं खोनी चाहिए और आसमान छू लेने के बावजूद कदम जमीन पर रखने चाहिए। सफल औरतों की यह सबसे बड़ी खूबसूरती होती है।