Thursday 09 July 2020 12:48 PM IST : By Nishtha Gandhi

जिम में एक्सरसाइज का सही तरीका

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जिम में वर्कअाउट करनेवाले 90 प्रतिशत लोगों को कोई ना कोई चोट लग जाती है। कई बार जीवनभर लोग इससे उबर नहीं पाते। इसका कारण एक्सरसाइज का गलत तरीका, सही इंस्ट्रक्टर ना मौजूद होना अौर जरूरत से ज्यादा वर्कअाउट करना है। रोहिणी, दिल्ली के स्ट्रीक्स फ्यूजन जिम में फिटनेस इंस्ट्रक्टर अाशीष सिंह राजपूत का कहना है, ‘‘वेटलॉस की मार्केट अब बहुत बड़ी हो गयी है। सोशल मीडिया के प्रसार के चलते अब विदेशों के वीडियोज भी बहुत सर्कुलेट होने लगे हैं। लेकिन वे लोग यह नहीं समझते कि दूसरे देशों का ट्रेंड हमारे यहां से अलग है। इसे हम अपने देश में नहीं अपना सकते। जिम में अानेवाले ज्यादातर लोगों का मकसद वजन घटाना ही होता है। ऐसी भी महिलाएं जिम में अाती हैं, जो परिवार में शादी या पार्टी के लिए इंस्टेंट रिजल्ट चाहती हैं, इस चक्कर में पहले ही दिन से हार्ड एक्सरसाइज करना शुरू कर देती हैं, नतीजतन उन्हें बदन दर्द होने लगता है अौर फिर एक सप्ताह तक वे एक्सरसाइज नहीं कर पातीं।’’ जिम में कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें-
⇛ जो लोग जिम में पहली बार जा रहे हैं, उन्हें शुरुअात में वॉर्मअप एक्सरसाइज, फ्री मूवमेंट्स अौर कार्डियो एक्सरसाइज करनी चाहिए। पहले-दूसरे दिन 5-7 मिनट ट्रेडमिल अौर उतने ही समय साइकिलिंग करना काफी रहेगा। इससे शरीर के जॉइंट्स खुलते हैं। धीरे-धीरे एक्सरसाइज का समय अौर इंटेंसिटी बढ़ाएं।
⇛ जिम इंस्ट्रक्टर अाशीष का कहना है कि जिम अाने का मकसद सिर्फ वेट लॉस नहीं, बल्कि अपने अापको पूरी तरह से फिट बनाना होना चाहिए।
⇛ वर्कअाउट में वेरिएशन यानी समय-समय पर बदलाव करते रहना जरूरी है। ट्रेडमिल में अलग-अलग लेवल होते हैं। कुछ लोग इसका एक लेवल सेट करके 1-1 घंटा एक्सरसाइज करते रहते हैं। इसमें हर थोड़े समय बाद स्प्रिंट वॉक, जॉगिंग, इंक्लाइंड जैसे लेवल एडजस्ट करके एक्सरसाइज करें। इस तरह से अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलने से फायदा होगा।
⇛ अाशीष का कहना है, ‘‘विदेशों की तरह अाजकल हमारे यहां के युवाअों में भी क्रॉसफिट ट्रेनर मशीन का ट्रेंड लोकप्रिय होता जा रहा है। इसमें भी बदलाव करते रहना जरूरी है। हालांकि इसकी सहायता से किए जानेवाले सभी व्यायाम जैसे मंकी क्लाइंबिंग, स्किपिंग, जंपिंग अादि अाप अासानी से पार्क में भी कर सकते हैं। इस मशीन में अाप बैटल ड्रॉप, पुश अादि भी करें।’’ 
⇛ कुछ लोग जिम जाने को पैसों की बरबादी मानते हैं, लेकिन जिम में वर्कअाउट करने से अापके सारे बॉडी पार्ट्स की मूवमेंट होती है। यह फायदा अापको सिर्फ वॉकिंग या जॉगिंग करके नहीं मिल सकता। अकसर वॉकिंग करनेवालों की शिकायत होती है कि उनकी पिंडलियां भारी हो गयी हैं या फिर वजन तो कम हो गया है, लेकिन पेट की चरबी कम नहीं हुई। इस वजह से पेट अौर ज्यादा बाहर दिखने लगा है। जिम में अापकी सारी बॉडी की मूवमेंट होती है।
⇛ डाइबिटीज के रोगियों को दौड़ने या बहुत तेज चलने से बचना चाहिए। घुटनों, पैरों में चोट है या दर्द है, तो ट्रेडमिल से दूर रहना बेहतर है।
⇛ जिन लोगों को बीपी हाई रहता है अौर हार्ट भी कमजाेर है, उन्हें भी ट्रेडमिल पर दौड़ने से बचना चाहिए। अगर वजन कम करने की सलाह दी गयी है, तो पहले डॉक्टर अौर फिटनेस ट्रेनर से सलाह लें कि अापके लिए वेटलॉस का कौन सा तरीका सही है।
⇛ माइग्रेन के रोगियों को ट्रेडमिल की स्पीड कम रखनी चाहिए।
⇛ शुरुअात में मशीन की रफ्तार कम रखें। इसे धीरे-धीरे बढ़ाना ही ठीक रहता है।
⇛ ट्रेडमिल के इमरजेंसी स्टॉपर क्लिप काे कपड़े से लगा कर रखें, ताकि स्पीड अगर नियंत्रण से बाहर हो जाए, तो यह क्लिप अॉटोमेटिक रूप से बंद हो जाए।
⇛ सही फुटवेअर का चुनाव भी बहुत जरूरी है। ट्रेडमिल पर नंगे पांव ना दौड़ें। जूतों में एक्स्ट्रा पैडिंग होने से पैर में मोच नहीं अाती। टेडमिल पर दौड़ते समय नीचे ना देखें, वरना स्पीड बेकाबू हो सकती है।
⇛ वेट उतना ही उठाएं, जितना अाप अासानी से उठा सकें। अभी तक अाप सिर्फ 60 किलो तक वजन अासानी से उठा पा रहे थे, लेकिन दूसरों को देख कर अापने सीधा 100 किलो वजन उठा लिया, तो कोहनी में खिंचाव अा सकता है।
⇛ जिम में वर्कअाउट करने से तनाव दूर होता है। योग से मानसिक शांति मिलती है अौर गुस्सा कंट्रोल होता है, वहीं जिम में वर्कअाउट करके पसीना बहाने से अापका तनाव दूर होता है अौर बॉडी रिलैक्स होती है।